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किसान नेता राकेश टिकैत के आंसू के बाद कितना बदल गया आंदोलन

किसानों के भेष में दिल्ली के अलग अलग हिस्सों में दंगा भड़काने वालों पर कार्रवाई तेज हो गई है। पुलिस अब प्रदर्शनकारियों से सख्ती से निपट रही है। हिंसा करने वालों पर पुलिस ने कई मुकदमें दर्ज किए हैं। कई किसान नेताओं को भी पुलिस ने नोटिस भेजा है।

किसानों के भेष में दिल्ली के अलग अलग हिस्सों में दंगा भड़काने वालों पर कार्रवाई तेज हो गई है। पुलिस अब प्रदर्शनकारियों से सख्ती से निपट रही है। हिंसा करने वालों पर पुलिस ने कई मुकदमें दर्ज किए हैं। कई किसान नेताओं को भी पुलिस ने नोटिस भेजा है। तो वहीं अब पुलिस प्रशासन के सख्त रूख को देखते हुए दिल्ली के अलग अलग बार्डर्स पर चल रहे धरने भी समेटे जा रहे हैं। हिंसा के तुरंत बाद राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन और भारतीय किसान यूनियन ने आंदोलन खत्म कर दिया है। इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन एकता और भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति ने भी अब आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर दिया है। उधर यूपी गेट और गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डालकर बैठे किसानों को हटाने के लिए पुलिस ने भी अब कमर कस ली है।

बिलबिला उठे किसान नेता राकेश टिकैत

गाजीपुर बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया है। ऐसे में अब अकेले पड़े किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) बिलबिला रहे हैं। राकोश टिकैत ने रोते हुए कहा है कि कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो वो फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेंगे। इसके बाद खत्म होता हुआ धरना एक बार फिर से रुक गया। किसान जो घरों को वापस लौट रहे थे वो फिर से ठहर गए।

राकेश टिकैत के समर्थन में उतरे नरेश टिकैत

जब ये बाक किसान नेता राकेश के बड़े भाई नरेश टिकैत को पता चली तो वो भी भाई के समर्थन में खड़े हो गए। जोकि इससे पहले गाजीपुर बॉर्डर से धरना खत्म करने का ऐलान कर चुके थे।

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किसानों को भड़का रहे हैं राकेश टिकैत

राकेश टिकैत लगातार किसानों के मंच से ऐसे भाषाण दे रहे हैं जिससे फिर से अशांति पैदा हो सकती है। इसीलिए अब इस आंदोलन के जरिए कोई भी हल नहीं निकल सकाता है। क्योंकि कुछ किसान नेता ना तो सरकार से बातचीत के जरिए इस मुद्दे का हल निकालना चाहते हैं औऱ ना ही उन्हें देश की सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा रह गया है।

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जिद्द पर अड़े हैं किसान

किसान सिर्फ एक ही जिद पर अड़े हुए हैं और वो है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। केंद्र सरकार भी अपनी तरफ से किसानों को मनाने के लिए पूरी कोशिश कर चुकी है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कृषि कानूनों को लेकर जितना बदलाव कर सकते थे, उसकी बात किसानों के सामने रख चुके हैं। लेकिन सरकार और किसानों के बीच ये मामला कहीं भी सुलझता हुआ नजर नहीं आ रहा है।

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