Saras Aajeevika Mela 2024: ग्रामीण महिलाओं ने बिखेरा रंग, लखपति दीदी अभियान को मिला बल
Saras Aajeevika Mela 2024: सरस आजीविका मेला 1999 से ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है और यह ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें शहरी बाजार से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। मेले में 'एक जिला एक उत्पाद' पैवेलियन, स्वास्थ्य डेस्क और मातृ देखभाल कक्ष जैसे विशेष आकर्षण भी हैं, जो इस मेले को और भी समृद्ध बनाते हैं।
नई दिल्ली: भारत मंडपम में आयोजित 43वें विश्व व्यापार मेले (IITF 2024) में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित सरस आजीविका मेला (Saras Aajeevika Mela 2024) ने एक बार फिर ग्रामीण महिलाओं की रचनात्मकता और हुनर को दुनिया के सामने रखा है। इस मेले का उद्घाटन करते हुए केंद्र ग्रामीण विकास एवं संचार राज्य मंत्री डॉ. चन्द्र शेखर पेम्मासानी ने कहा कि यह मेला ग्रामीण भारत की महिलाओं के आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
लखपति दीदी अभियान को मिला बल
सरस आजीविका मेला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘लखपति दीदी’ (Lakhpati didi scheme) अभियान को साकार करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। इस मेले के माध्यम से ग्रामीण महिलाएं अपने उत्पादों को बाजार तक पहुंचा रही हैं और बेहतर विपणन और पैकेजिंग तकनीकों में भी पारंगत हो रही हैं। यह मेला ‘आत्मनिर्भर भारत’ तथा ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसी सरकारी पहलों का उत्कृष्ट उदाहरण है।
Inaugurated the vibrant ‘Saras Aajeevika Mela’ at the India International Trade Fair, Pragati Maidan, New Delhi.
Visited the stalls and first hand experienced the incredible work being done by our SHG #LakhpatiDidi from across the Nation.
I encourage everyone to visit the Mela… pic.twitter.com/YfH7lSw9WV
— Dr. Chandra Sekhar Pemmasani (@PemmasaniOnX) November 18, 2024
31 राज्यों की कलाओं का प्रदर्शन
मेले में 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 300 से अधिक स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं भाग ले रही हैं। हॉल नंबर 9 और 10 में लगे 150 से अधिक स्टॉलों पर विभिन्न प्रकार के उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं। इनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश की रेशम और सूती साड़ियाँ, झारखंड की तसर साड़ियाँ, मध्य प्रदेश की चंदेरी साड़ी, जम्मू-कश्मीर की पश्मीना शॉल, असम और आंध्र प्रदेश के लकड़ी के हस्तशिल्प, तथा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हस्तनिर्मित उत्पाद प्रमुख हैं।
प्रगति मैदान में चल रहे अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला के चौथे दिन भी हॉल नंबर 9-10 में लगे सरस आजीविका मेला में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के स्टॉल्स पर भारी संख्या में लोग आए और खरीददारी की।
ये मेला 27 नवंबर तक चलेगा आप भी अपने परिवार के साथ मेले में आएँ और हॉल नंबर 9-10 के… pic.twitter.com/7AI63AQsoY
— Ministry of Rural Development, Government of India (@MoRD_GoI) November 17, 2024
मुख्यधारा के बाजार से जुड़ेंगी ग्रामीण महिलाएं
मेले में उत्पाद पैकेजिंग, संचार, और बी2बी मार्केटिंग पर विशेष कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं ताकि ग्रामीण महिलाएं अपने उत्पादों को मुख्यधारा के बाजार में सफलतापूर्वक उतार सकें। यह मेला ग्रामीण क्षेत्रों की पारंपरिक कला और शिल्प को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ स्थानीय उत्पादों की मांग को भी बढ़ावा देता है।
आगंतुकों ने जमकर की खरीदारी
Saras Aajeevika Mela 2024: मेले में बड़ी संख्या में आगंतुक पहुंचे, जिन्होंने जमकर खरीदारी की और ग्रामीण कलाओं की सराहना की। विभिन्न खाद्य उत्पादों, मसालों और अचार के स्टॉलों पर भी लोगों ने विशेष रुचि दिखाई।
सरस आजीविका मेला: एक सशक्त माध्यम
सरस आजीविका मेला 1999 से ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है और यह ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें शहरी बाजार से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। मेले में ‘एक जिला एक उत्पाद’ पैवेलियन, स्वास्थ्य डेस्क और मातृ देखभाल कक्ष जैसे विशेष आकर्षण भी हैं, जो इस मेले को और भी समृद्ध बनाते हैं।
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सरस आजीविका मेला 2024 निश्चित रूप से ग्रामीण महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में एक और प्रभावी कदम साबित होगा। यह मेला न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा बल्कि देश के समग्र विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।