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Gaban Book Review: प्रेमचंद के ग़बन उपन्यास की पुस्तक समीक्षा

ग़बन की कहानी जालपा और रामनाथ से जुड़ी है। इस कहानी में एक सुंदर, सुख चाहने वाला, घमंडी, लेकिन एक नैतिक रूप से कमजोर व्यक्ति, जो अपनी पत्नी जलपा को उसके गहने उपहार में देकर खुश करने की कोशिश करता है, जिसे वह वास्तव में अपने अल्प वेतन के साथ खरीदने का जोखिम नहीं उठा सकता है। कर्ज का एक जाल, जो अंततः उसे गबन करने के लिए मजबूर करता है।

Gaban Munshi Premchand: हिंदी साहित्य और भारतीय लेखकों में मुंशी प्रेमचंद का नाम काफी चर्चित में रहा है। उन्होंने हिंदी साहित्य को एक से बढ़कर एक कहानी, उपन्यास दिए हैं। उन्हीं में से एक ग़बन मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित एक यथार्थवादी उपन्यास है। ग़बन उपन्यास बात करें तो ‘निर्मला‘ उपन्यास के बाद प्रेमचंद जी ने इसकी रचना की है। जोकि 1931 में प्रकाशित हुई थी। एक तरह से यह निर्मला उपन्यास की अगली कड़ी के रूप में देखा जा सकता है। जिसने हिंदी साहित्य में कीर्तिमान स्थापित किए हुए है। इसी कड़ी में आज हम ग़बन का अर्थ जानेंगे। इसके अलावा इस उपन्यास की पटकथा, इसकी विशेषता और उद्देश्य, प्रमुख समस्याएं, भाषा और समीक्षा के बारे में बात करेंगे। लेकिन उससे पहले आइए जानते है मुंशी प्रेमचंद के बारे में…

लेखक परिचय

मुंशी प्रेमचंद जी (1880-1936) का जन्म बनारस के लमही गाँव में हुआ था। 1910 में इन्होंने उर्दू में अपना पहला कहानी संग्रह सोज़ेवतन नाम से प्रकाशित करवाया था। उर्दू लेखन नवाब राय से करते थे। और बाद में हिंदी में प्रेमचंद नाम से लिखने लगे। प्रेमचंद जी ने 300 से ज्यादा कहानियाँ लिखीं है। प्रेमचंद – विविध प्रसंग वैचारिक लेखों का संकलन भी है। गोदान, सेवासदन, प्रेमाश्रम, ग़बन, रंगभूमि, निर्मला आदि अनेक उपन्यास मुंशी प्रेमचंद जी ने लिखें है।

उपन्यास का नाम: ग़बन (Gaban)
लेखक का नाम: प्रेमचंद (Pramchand)
प्रकाशन: भारतीय ज्ञानपीठ (Bhartiya Jnanpith)
कुल पृष्ठ: 228
उपन्यास की कीमत: अधिकतम 120 रुपये
प्रकार: काल्पनिक (Fiction)

ग़बन का अर्थ क्या होता है?

ग़बन का अर्थ होता है चोरी या किसी की अमानत को हड़पना। इस शब्द (ग़बन) का प्रयोग विशेषकर सरकारी खजानों की चोरी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आपने खबरों या न्यूज़ में सुना होगा कि फला व्यक्ति ने की इतने रुपयों का ग़बन। ऐसे में यह वही शब्द है। इसी कड़ी में मुंशी प्रेमचंद जी ग़बन नाम से पूरा उपन्यास लिखा है।

ग़बन उपन्यास की विशेषता और उद्देश्य

  • यह एक यथार्थवादी उपन्यास है। जोकि जीवन की असलियत की छानबीन गहराई से करता है।
  • समाज में व्याप्त भ्रम को दरकिनार कर पाठक को नई प्रेरणा देता है।
  • नारी समस्या को व्यापक भारतीय परिप्रेक्ष्य में रखकर देखा गया है। साथ ही इस समस्या को राष्ट्रीय आंदोलन से जोड़ने का प्रयास किया गया है।
  • समाज में रहने वाला हर व्यक्ति चाहे वह निम्न वर्ग से सरोकार रखता हो, चाहे मध्य वर्ग से या चाहे उच्च वर्ग से यह उपन्यास सभी का मार्गदर्शन करता है।

ग़बन उपन्यास की प्रमुख समस्याएं

  • मध्य वर्गीय प्रदर्शनप्रियता
  • स्त्रियों की आभूषणप्रियता
  • पुरुषों की अहं प्रवृत्ति
  • गृह कलह का पतन
  • व्यक्ति का दुर्बल चरित्र

ग़बन उपन्यास के मुख्य पात्र

ग़बन उपन्यास का नायक रमानाथ है और नायिका जालपा है।

उपन्यास के पात्र निम्न हैं

  • रमानाथ (नायक)
  • जालपा (नायिका)
  • दीनदयाल (जालपा के पिता)
  • दयानाथ (रमानाथ के पिता)
  • रामेश्वरी (रमानाथ की माँ)

बिसाती वाला, मानकी, सराफ वाला, राधा, शहजादी, बासंती, महाजन, सत्यदेव, गोपी, रमेश बाबू, विश्वम्भर, रतन, चरणदास, धनीराम, इंद्रभूषण, माणिकदास, देवीदीन, जग्गो, सेठ करोड़ीमल आदि।

ग़बन उपन्यास की भाषा शैली

ग़बन उपन्यास की भाषा स्पष्ट एवं सहज है। प्रेमचंद की भाषा की विशेषता यह है कि इनकी भाषा पात्रानुकूल होती है। शहरी पात्र की भाषा अलग और ग्रामीणों की अलग। शिक्षित और अशिक्षित पात्रों की पहचान इनकी भाषा शैली से ही पता लगाया जा सकता है। इस उपन्यास में प्रेमचंद ने भाषा को यथार्थ के धरातल पर उतारा है। सभी पात्र अपनी मनोदशा व परिस्थिति अनुकूल ही वार्तालाप करते है।

ग़बन उपन्यास की कथावस्तु

ग़बन उपन्यास का आरंभ एक बिसाती वाले से होता है, जो चमकती धमकती चीजें दिखाता है। उस में एक चंद्रहार देखकर जालपा, जो अभी बच्ची ही थी अपनी माँ से जिद करने लगती है। उस वक्त माँ उसे यानी जालपा को मना कर देती है। पर जब दीन दयाल पत्नी के लिए चंद्रहार लाता है, तो जालपा गुस्सा हो जाती है। माँ के यह कहने पर की उसका हार तो ससुराल से आएगा वह खुश हो जाती है, और यहीं से उपन्यास ग़बन की आभूषण प्रियता की समस्या प्रारंभ होती है।

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उपन्यास का नायक यानी रमानाथ जिसका परिवार मध्य वर्गीय प्रदर्शन प्रियता का शिकार है, उससे जालपा की शादी हो जाती है। किंतु जालपा को चंद्रहार से मतलब था लेकिन उसे वो नही मिलता क्योंकि रमानाथ का परिवार समाज में दिखावे के जरिये सम्मान पाना चाहते थे और इस कारण कर्जे में डूब जाते है। ऐसे में एक तो जालपा को चंद्रहार नही मिलता और दूसरे रमानाथ उसके बाकी गहने भी चुरा लेता है ताकि वह उससे कर्जा चुका सके, जोकि जालपा को अपने मायके से मिले थे। जालपा के सारे आभूषण चोरी हो जाने से वह बिल्कुल निष्प्राण हो जाती है।

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उसकी इस हालत को देख रमेश बाबू रमानाथ को एक अच्छी सरकारी नौकरी लगा देते है, जिससे वह अच्छी कमाई करने लगा। और बाद में उन सरकारी रुपयों को जालपा के गहने बनवाने में खर्च कर देता है। इस बीच जालपा की सहेली रतन के पैसे भी खर्च कर देता है। छोटी-छोटी समस्या एक दिन उसके लिए इतनी बड़ी हो जाती है कि उसे अपना घर छोड़ कलकत्ता जाना पड़ता है। और यहाँ उसकी जिंदगी का नया अध्याय शुरू होता है।

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ट्रेन में उसकी मुलाकात देवीदीन से होती है। और उसीके घर वह रहने लगता है। गिरफ्तारी का डर भी उसे सताता है। अपने डर के कारण वह पुलिस वालों के नज़र में आ जाता है। और ग़बन का इलज़ाम कुबूल करता है। पर पुलिस वाले तो उसे यूँ ही उठा कर लाते है। और उसे इस इल्ज़ाम से बचने के लिए पुलिस वाले उसे एक केस में मुखबिर बनने को कहते है। उस केस में पुलिस स्वतंत्रता सेनानियों को झूठी डकैती के मामले में फंसाकर अपने तौर पर स्वाधीनता आंदोलन का दमन करना चाहती है। यहीं रमानाथ की मुलाकात जोहरा से होती है। वहाँ उसका नैतिक पतन होता है।

बाद में वहाँ जालपा भी आती है उसे ढूँढते हुए और उसके बुरे कर्मों को वो अपने श्रम से मिटाना चाहती है। उपन्यास का अंत दुखान्त है क्योंकि जोहरा जिसने रमानाथ के प्रति अपने सच्चे प्रेम का परिचय दिया, जिसने जालपा के साथ मिलकर रमानाथ को छुड़ाने में मदद की थी, उसकी मृत्यु हो जाती है। कुल मिलाकर यह उपन्यास स्त्री के आभूषण प्रियता से आरंभ होकर उसके त्याग व बलिदान की आत्मवेदी पर समाप्त हो जाती हैं।

ग़बन उपन्यास की समीक्षा

ग़बन एक चरित्र प्रधान उपन्यास है और इसका मुख्य धरातल मनोविज्ञान है। प्रेमचंद ग़बन उपन्यास के पात्रों की योजना इस प्रकार करते है, कि उनके पात्र अलग अलग व्यक्तित्व का प्रतिनिधि बनकर पाठकों के मन में असीम छाप छोड़ देते है। ग़बन उपन्यास मध्यवर्ग के पतनोन्मुख व उन्नतिशील दोनों पहलुओं को उजागर करती है। प्रेमचंद ने इसमें उपन्यास की दृष्टि से पात्रों की संख्या उतनी ही रखी हैं जितने में ये कथावस्तु को विस्तार दे सकें और समाज के हर तबके के लोगों के चरित्र को उभार सकें। अधिक पात्रों की संख्या कभी-कभी कथावस्तु को समझने में बाधा पहुँचाते है।

उपन्यास के पात्रों के माध्यम से प्रेमचंद यथार्थ पात्रों की सृष्टि करते है। ऐसे पात्र जो समाज में आज भी अपनी चारित्रिक प्रवृत्तियों के कारण बने हुए है। प्रेमचंद जालपा के माध्यम से एक ऐसी स्त्री का चित्रण करते है जिसने अपने जीवन में पति से ज्यादा आभूषणों को महत्व दिया और उसके कारण ही रमानाथ एक के बाद एक अपराध करता चला गया।

रमानाथ के माध्यम से प्रेमचंद ने एक ऐसे अहमवादी पुरुष का चित्र खींचते है, जो पत्नी के सामने बड़ी-बड़ी बातें करता है। पर पीठ पीछे उसी के गहने चोरी कर अपने पिता को देता है। अपनी पत्नी को अपनी आर्थिक विवशता बताने के बजाय उसे प्रभावित करने के लिए उधार पर गहने भी ले आता है।

दयानाथ के माध्यम से ऐसे पिता का चित्र प्रस्तुत करते है जो समाज में दिखावे की जिंदगी जीते है, रमानाथ की शादी में भी जरूरत से ज्यादा खर्च होने पर कर्ज का बोझ आ जाता है, और उसकी भरपाई वे बहु के गहने देकर चुकाते है। यहाँ भी वे एक ऐसे पिता के रूप में प्रस्तुत होते है जिसे अपने बेटे को बहु के गहने चुराने पर डाँटना चाहिए पर वो ऐसा नही करते और स्वयं उस पाप में भागीदार बन जाते हैं।

जोहरा का चरित्र समाज के ऐसे वर्ग को प्रस्तुत करता है जिसे लोग निकृष्ट कोटि का काम करनेवाले लोगों की श्रेणि में खड़े कर देते है। पर वही जोहरा अपने प्राणों की परवाह किये बगैर ही रमानाथ को उस जंजाल से मुक्त कराती है।

उपन्यास में ऐसे पात्र भरे हुए है जो अपनी चरित्रगत विशेषता द्वारा पाठकों को संदेश देते है और उनका मार्गदर्शन भी करते है। ग़बन उपन्यास के पात्रों की योजना प्रेमचन्द जी ने बहुत विचार कर ही किया है। हर पात्र अपने चरित्र को बखूबी निभाता भी है। और समाज में सकरात्मक प्रभाव भी डालता है।

ग़बन से जुड़ी कुछ बातें…

ग़बन की कहानी क्या है? What is story of Gaban?
ग़बन की कहानी जालपा और रामनाथ से जुड़ी है। इस कहानी में एक सुंदर, सुख चाहने वाला, घमंडी, लेकिन एक नैतिक रूप से कमजोर व्यक्ति, जो अपनी पत्नी जलपा को उसके गहने उपहार में देकर खुश करने की कोशिश करता है, जिसे वह वास्तव में अपने अल्प वेतन के साथ खरीदने का जोखिम नहीं उठा सकता है। कर्ज का एक जाल, जो अंततः उसे गबन करने के लिए मजबूर करता है।

ग़बन कब लिखी गई थी? When was Gaban written?
गबन मुंशी प्रेमचंद का एक हिंदी उपन्यास है, जिसे 1931 में लिखा गया था।

ग़बन उपन्यास की प्रधान समस्या क्या है?
ग़बन उपन्यास में प्रधान समस्या आभूषण के प्रति स्त्री का प्रेम, मध्य वर्गीय प्रदर्शनप्रियता, पुरुषों की अहम प्रवृत्ति आदि है।

ग़बन उपन्यास के प्रमुख पात्र कौन है?
रमानाथ सदैव अपनी संतोषी प्रवृत्ति के कारण ही अनेक संकटों में पड़ता है। उसकी सबसे बड़ी कमजोरी ही यह है कि वह अपने मन की बात निकट से निकट व्यक्ति को भी नहीं बताता । यथा घर के आर्थिक हालात वह संकोचवश अपनी पत्नी जालपा से भी नहीं कहता इसी का परिणाम है कि वह गबन जैसी घटना को अंजाम दे बैठता है।

गबन करने के बाद रामनाथ कहाँ पलायन कर चला गया?
गबन उपन्यास में रमानाथ घर से भागकर कलकत्ता शहर गया था, जिसे अब कोलकता का नाम से जाना जाता है।

ग़बन का मूल विषय है – ‘महिलाओं का पति के जीवन पर प्रभाव’। ग़बन प्रेमचन्द के एक विशेष चिन्ताकुल विषय से सम्बन्धित उपन्यास है। यह विषय है, गहनों के प्रति पत्नी के लगाव का पति के जीवन पर प्रभाव। गबन में टूटते मूल्यों के अंधेरे में भटकते मध्यवर्ग का वास्तविक चित्रण किया गया।

ग़बन उपन्यास के लेखक कौन हैं?
ग़बन उपन्यास के लेखक मुंशी प्रेमचंद है जिन्होंने इसे 1931 में लिखा था।

ग़बन का मतलब क्या होता है?
गबन या दुर्विनियोग (embezzlement) ऐसे अपराध को कहते हैं जिसमें किसी कार्य के लिए कोई पैसा या सम्पति किसी व्यक्ति को दी गयी हो और वह व्यक्ति अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए उसे चुरा ले। ग़बन एक प्रकार का धोखा भी होता है।

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