Mass Communication in India Book Review: लेखक Keval J. Kumar की किताब
Mass Communication in India Book Review: जानकारी के लिए इस किताब को कोई भी वह व्यक्ति पढ़ सकता है जिसे पत्रकारिता और जनसंचार में रुचि है और इस जगत के बारे में जानने का इच्छुक है। आमतौर पर इस किताब को भारी संख्या में पत्रकारिता के छात्र पढ़ते हैं।
Mass Communication in India Book Review : भारत में जनसंचार, किताब को लेखक केवल जे. कुमार ने लिखा है। यह किताब मुख्यरुप से जनसंचार और पत्रकारिता जगत में रुचि रखने वाले पाठकों को ध्यान में रखकर लिखी गई है। इस किताब की समीक्षा इस लेख में कई प्रमुख बिंदूओं पर की गई है। यहां बिंदू, एक तरह से वह सारे प्रश्न हैं जोकि किताब खरीदने से पहले खरीदने वाले के मन में जरुर आते हैं।
प्रश्न जैसेकि, इस किताब से मैं क्या लाभ उठा सकता हूं?, किताब का जैसा प्रमुख पृष्ठ है क्या वैसा ही मजा इसे पढ़ने में भी आएगा?, इसको खरीदने के बाद पैसा खराब तो नहीं जाएगा? क्या यह किताब मेरे लिए है?, आदि। किताब से जुड़े कई सवालों के जवाबों के साथ ही इस किताब में क्या है खास बात और क्या है वह बात जो शायद लेखक लिख देते तो यह किताब और भी मददगार साबित होती।
किताब का नाम – भारत में जन संचार ( Mass Communication in India )
लेखक का नाम – केवल जे कुमार ( Keval J. Kumar )
कीमत – अधिकतम
कुल पेज़ – 632
अंक (Edition) – पांचवा ( Fifth 2021 )
किताब की भाषा – हिंदी, इंग्लिश और अन्य
किताब के अंदर मुख्य महत्वपूर्ण बिंदू –
किसके लिए है यह किताब –
जानकारी के लिए इस किताब ( Mass Communication in India Book Review ) को कोई भी वह व्यक्ति पढ़ सकता है जिसे पत्रकारिता और जनसंचार में रुचि है और इस जगत के बारे में जानने का इच्छुक है। आमतौर पर इस किताब को भारी संख्या में पत्रकारिता के छात्र पढ़ते हैं। इसे ग्रैजुएश्न और पोस्ट ग्रैजुएश्न स्तर पर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पत्रकारिता के छात्रों को पढ़ने के लिए सलाह भी देते हैं।
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किसी-किसी विश्वविद्यालय में यह किताब पाठ्यक्रम का हिस्सा भी है, जहां इस किताब को बकायदा परीक्षा में सफल होने के लिए पठाया जाता है। इतना ही नहीं नेट/जेआरएफ की तैयारी कर रहे छात्र भी इस किताब को पत्रकारिता जगत की प्रारंभिक जानकारी के रुप में जरुर पढ़ते हैं। इस किताब से किसी को आसानी से मीडिया जगत के बारे में मोटा-मोटी अंदाजा लग जाता है। यह किताब संचार के इतिहास से लेकर वर्तमान समय की छलकी को अपने साथ रखती है।
किताब पढ़ने से आपको मिलेगी यह जानकारी –
किताब को पढ़ने के बाद आपको मास कम्युनिकेशन से जुड़ी वह सारी जानकारी मिल जाएंगी जिसकी आपको तलाश है। इस किताब के कंटेंट पृष्ठ पर, कम्युनिकेशन थ्योरी, सिनेमा, रेडियो, म्यूजिक इंडस्ट्री, बुक पब्लिशिंग, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, विज्ञापन और पब्लिक रिलेशन आदि के बारे में, जानकारी दी गई है। इस किताब को पढ़ने के बाद आप मास कम्युनिकेशन से जुड़े तमाम रास्तों को समझ सकेंगे और असल मायने में तभी आपको समझ आएगा की कम्युनिकेशन की दुनिया की कितनी बड़ी है। इसमें उन तमाम कानूनों के बारे में भी लिखा गया है जिनकी एक मास कम्युनिकेशन से जुड़े व्यक्ति को सख्त जरुरत होती है। यह किताब आपके लिए मास कम्युनिकेशन की दुनिया में आपकी नीव को मजबूत करने का काम करती है।
कितनी मददगार है यह किताब नेट/जेआरएफ के लिए –
जनसंचार और पत्रकारिता, पेपर 63, नेट/जेआरएफ की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों की किताब लिस्ट में इस किताब का नाम जरुर ही होता है। यह किताब आपको जनसंचार और पत्रकारिता जगत के बारे में एक सम्पूर्ण दृष्टि जरुर देता है जिससे आपको मोटा-मोटी कई अंदाजे लग जाते हैं। पर अगर बात करें नेट/जेआरएफ के पाठ्यक्रम के हिसाब से, तब यह किताब आपको ज्यादा मददगार साबित होती हुई नहीं दिखाई देती है। इस किताब को पढ़ने के बाद आप आम जानकारी जरुर ही हासिल कर सकते हैं लेकिन जो विशेष जानकारी आपसे एनटीए नेट/जेआरएफ की परीक्षा में पूछता है, उसके लिए आपको अन्य किताबों का अध्ययन करना ही पड़ेगा।
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ऐसा कम ही देखा गया है जब सीधा-सीधा कोई प्रश्न नेट/जेआरएफ की परीक्षा में इस किताब से पूछा गया हो। यह किताब जरुर ही आपकी सोच को विस्तार दे सकती है लेकिन अगर आप सिर्फ इस किताब के भरोसे नेट/जेआरएफ परीक्षा को निकालने की सोच रहे हैं तो आप जरुर ही गलत सोच रहे हैं।
पुस्तक से जुड़े कुछ मुख्य शब्द ( Keywords Related To Keval J. Kumar ) –
Industrial Revolution, Engine and Electricity, Computer Digitalization, 3D Printing, Big Data Analytics, Communication Media, Communication Event, Communication Technologies, Communication professionals, Information Age, Communication Age, Network Age, Sadharanikaran, Propaganda by Political Scientist, Creel Committee, Neo Marxist, Nazi Propaganda, Denis McQuail, Aristotle, Daniel Lerner, Wilbur Schramm, Massline Communication, Kusum Singh, Magic Multiplier, David Berlo, Chargles Osgood, Shannon-Weaver Model etc.