जब पाकिस्तान ने कर दी थी हवाई जहाज में बैठे गुजरात के मुख्यमंत्री की हत्या, पत्र लिख मांगी थी माफी!
करीब तीन चार मिनट बाद कंट्रोलर ने क़ैस मज़हर हुसैन को हुक्म दिया कि आप इस जहाज़ को शूट कर दें । फायटर पायलेट ने निश्चिंत होकर एक बर्स्ट फ़ायर किया और देखा कि कुछ ही देर मे बलवंत राव मेहता के विमान के दाहिने इंजन से लपटें निकलने लगीं है ।
कहते है कि किसी भी व्यक्ति का सबसे अच्छा मित्र उसका पड़ोसी होता है लेकिन भारत का दुर्भाग्य ऐसा है कि इसका सबसे बड़ा दुश्मन ही पड़ोस में बैठा हुआ है। भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक तीन युद्ध हो चुके हैं और खास बात ये है कि हर बार युद्ध पाकिस्तान की तरफ से ही शुरू होता है। हाँ ये अलग बात है कि सभी बार उसे हार का सामना करना पड़ा है।
युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं है, क्योंकि जीत हार किसी की भी हो, नुकसान दोनों तरफ होता है। ऐसा ही कुछ हुआ भारत के साथ, जब देश ने युद्ध के दौरान एक मुख्यमंत्री को खो दिया जिन्हे ‘पंचायती राज का जनक’ भी कहा जाता है।
जब पाकिस्तान ने कहा गिरा दो विमान-
समय था 1965 का जब देश पाकिस्तान के साथ युद्ध कर रहा था। दोनों तरफ की सेनाएं हरदम अलर्ट मोड़ पर ही रहती थी। दिल्ली का माहौल खुशनुमा था क्योंकि भारत की सेना पाकिस्तान की सीमा लांघ चुकी थी।
उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री बलवंतराव मेहता (Balwant Rai Mehta) थे जिन्हे ‘पंचायती राज का वास्तुकार’ तथा भारत में ‘पंचायती राज का जनक’ भी कहा जाता है।
19 सितंबर 1965 को गुजरात के मुख्यमंत्री बलवंतराव मेहता सुबह 5:30 बजे ही उठ गए थे। उस दिन उन्हे एक रैली को संबोधित करके भुज निकलना था। अपने समय के मुताबिक रैली करके करीब दोपहर डेढ़ बजे बलवंतराव मेहता अहमदाबाद हवाई अड्डे अपनी पत्नी सरोजबेन, तीन सहयोगी और ‘गुजरात सामाचार’ के एक संवाददाता के साथ पहुँच चुके थे।
वहां एक ब्रीचक्राफ्ट विमान उनके इंतजार में खड़ा था। जैसे ही वो हवाई अड्डे पहुंचे, भारतीय वायुसेना के पूर्व पायलट जहाँगीर जंगू इंजीनयर ने उन्हें सेल्यूट किया। सभी लोग विमान में सवार हुए और निकाल पड़े 400 किलोमीटर दूर द्वारका के पास मीठापुर की तरफ जहाँ बलवंतराय मेहता को एक रैली में भाषण देना था।
देखते ही देखते विमान में विस्फोट हो गया-
करीब तीन बजे के आसपास, पाकिस्तान के मौरीपुर एयरबेस पर फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट बुख़ारी और फ़्लाइंग ऑफ़िसर क़ैस हुसैन से उनके एक ऑफिसर ने कहा कि भुज के पास उड़ रहे विमान को रडार पर चेक करें।
साढ़े तीन बजे मेरीपुर एयरबेस से एक पायलट अपनी उड़ान की तैयारी कर रहा था जिसने अभी चार महीने पहले ही अमेरिका से एफ़ 86 सेबर विमान उड़ाने की ट्रेनिंग ली थी। इस पायलट का नाम था फ़्लाइंग ऑफ़िसर क़ैस मज़हर हुसैन। फ़्लाइंग ऑफ़िसर क़ैस मज़हर हुसैन ने सायरन बजने के तीन मिनट बाद जहाज़ स्टार्ट किया और विमान को बीस हज़ार फ़ुट की ऊँचाई पर उड़ना शुरू किया। कुछ ही देर में फ़्लाइंग ऑफ़िसर क़ैस मज़हर हुसैन ने भारत की सीमा पार कर ली।
सीमा पार करने के तीन चार मिनट बाद फ़्लाइंग ऑफ़िसर ने अपना विमान तीन हज़ार फ़ुट की ऊँचाई पर ले आया। उन्होंने 3 हजार फुट की उचाईं पर देखा कि एक भारतीय जहाज़ भुज की तरफ़ जा रहा है। उन्होंने उसे मिठाली गाँव के ऊपर इंटरसेप्ट किया। जब उन्होंने देखा कि ये सिविलियन जहाज़ है तो वो चौक गए। फ़्लाइंग ऑफ़िसर ने तुरंत अपने कंट्रोलर को रिपोर्ट किया कि ये असैनिक जहाज़ है।
क़ैस मज़हर हुसैन ने बताया कि वे उस जहाज़ के इतने करीब है कि उन्हे उसका नंबर भी साफ दिख रहा है। उन्होने पूछा कि ये आठ सीटर जहाज़ है। बताइए इसका क्या करना है? कंट्रोलर ने कहा कि आप वहीं रहें और हमारे निर्देश का इंतज़ार करें।
करीब तीन चार मिनट बाद कंट्रोलर ने क़ैस मज़हर हुसैन को हुक्म दिया कि आप इस जहाज़ को शूट कर दें। आदेश सुनकर भी मज़हर हुसैन ने तुरंत उस विमान को शूट नहीं किया। उन्होंने दोबारा कंट्रोल रूम से पूछा कि क्या वो वास्तव में चाहते हैं कि उस विमान को शूट कर दिया जाए।
कंट्रोलर ने जवाब दिया कि आप इसे तुरंत शूट करें। अब फ़ाइटर पायलट के पास दो ऑप्शन थे। अगर वो मिस करते तो कोर्ट ऑफ़ इनक्वाएरी होती और अगर वो जान कर नहीं मारता तो ये कोर्ट मार्शल ऑफ़ेंस होता कि आपने आदेश का उल्लंघन क्यों किया।
फ़ाइटर पायलट नहीं चाहता था कि वो इनमें से किसी आरोप का हिस्सा बने। आदेश पाकर 100 फ़िट की दूरी से फ़ाइटर पायलट ने उस जहाज़ को इंटरसेप्ट किया तो उसने अपने विंग्स को हिलाना शुरू किया जिसका मतलब होता है ‘हैव मर्सी ऑन मी’ लेकिन दिक्कत ये थी कि उन्हे विमान गिराने का ऑर्डर मिला था।
विमान बन गया आग का गोला-
फ़ाइटर पायलट ने निश्चिंत होकर एक बर्स्ट फ़ायर किया और देखा कि उसके बाँए विंग से कोई चीज़ उड़ी है। उसके बाद अपनी स्पीड धीमी कर उसे थोड़ा लंबा फ़ायर दिया। कुछ ही देर में बलवंत राव मेहता के विमान के दाहिने इंजन से लपटें निकलने लगीं । विमान 90 डिग्री की स्टीप डाइव लेता हुआ ज़मीन की तरफ़ गिरने लगा । जैसे ही उसने जमीन को हिट किया वो आग के गोले में बदल गया और जहाज़ में बैठे सभी लोग मारे गए।
इस विमान में बलवंतराय मेहता, उनकी पत्नी सरोजबेन मेहता, उनके तीन सहयोगी और ‘गुजरात सामाचार’ के एक संवाददाता सवार थे। इनमें से कोई भी जिंदा नहीं बच पाया। पीवीएस जगनमोहन और समीर चोपड़ा अपनी किताब ‘द इंडिया पाकिस्तान एयर वार ऑफ़ 1965’ में लिखते हैं कि “नलिया के तहसीलदार को क्रैश साइट पर भेजा गया। वहाँ उन्हें गुजरात सामाचार के पत्रकार का जला हुआ परिचय पत्र मिला”
चार महीने बाद इस पूरे मामले की जाँच रिपोर्ट आई तो पता चला कि मुंबई के वायुसेना प्रशासन ने मुख्यमंत्री के विमान को उड़ने की अनुमति नहीं दी थी। जब गुजरात सरकार ने ज़ोर डाला तो वायु सेना ने कहा था कि अगर आप जाना ही चाहते हैं तो अपने रिस्क पर वहाँ जाइए।
पाकिस्तानी पायलट ने मांगी माफी-
इस दुर्घटना के करीब 46 साल बाद 2011 में पाकिस्तानी पायलट कैस हुसैन ने भारतीय विमान के पायलट जहांगीर इंजीनियर की बेटी फरीदा सिंह से ईमेल के जरिए अफ़सोस प्रकट किया और उस दिन घटी घटना बताई।
कौन थे बलवंत राय गोपाल जी मेहता-
बलवंत राय मेहता भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे, जो आजादी से पहले सौराष्ट्र क्षेत्र से भारत की संविधान सभा के लिए चुने गए। आजादी के बाद उन्हें ‘पंचायती राज का वास्तुकार’ तथा भारत में ‘पंचायती राज का जनक’ कहा जाने लगा। बलवंत राय मेहता का पूरा नाम बलवंत राय गोपाल जी मेहता था, जिनका जन्म 19 फरवरी 1900 को भावनगर के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था।