चेन स्नैचर निकले केजरीवाल सरकार के यह सिविल डिफेंस वालंटियर
कोरोना काल में दिल्ली की सड़कों पर आपने जगह-जगह सिविल डिफेंस कर्मचारियों को ड्यूटी निभाते हुए देखा होगा। यह सिविल डिफेंस कर्मचारी लोगों को कोरोना की गाइडलाइंस का पालन करना सिखाते हैं।

कोरोना काल में दिल्ली की सड़कों पर आपने जगह-जगह सिविल डिफेंस कर्मचारियों को ड्यूटी निभाते हुए देखा होगा। यह सिविल डिफेंस कर्मचारी लोगों को कोरोना की गाइडलाइंस का पालन करना सिखाते हैं। साथ ही मास्क न पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने वालों का चालान भी काटते हैं। लेकिन इन सब के बीच कई वीडियो ऐसे वायरल हुए थे जिसमें सिविल डिफेंस कर्मचारी सड़कों पर गुंडागर्दी करते हुए भी दिखाई दे रहे थे।
जिसके बाद इनकी नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े होने लगे थे और यह मामला कोर्ट तक भी गया था। लेकिन अब दक्षिणी दिल्ली में झपटमारी का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें केजरीवाल की सरकार में सिविल डिफेंस वॉलंटियर को एक महिला की सोने की चेन छीनने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। आरोपी की पहचान मुकुल वर्मा के रूप में हुई है। मुकुल वर्मा पिछले सात महीने से संगम विहार में सिविल डिफेंस वॉलंटियर के रूप में काम कर रहा था। साथ ही एक सुनार राकेश वर्मा (42) को भी पकड़ा गया है, जिसे आरोपी ने लूटी हुई सोने की चेन बेची थी।
जानकारी के मुताबिक मामला 17 सितंबर दोपहर करीब 2:30 बजे की है, जब एक महिला इलाके में पैदल अपने घर की तरफ जा रही थी उसी दौरान एक बाइक वाले ने जबरन उसकी सोने की चेन छीनी और मौके से फरार हो गया। महिला ने संगम विहार थाने में अपनी लिखित शिकायत दी और पुलिस को बताया कि उसने झपटमार की बाइक का नंबर देख लिया है। लेकिन महिला ने पुलिस को जो नंबर बताया वो अधुरा ही था। जिसके बाद पुलिस ने घटनास्थल पर लगे सीसीटीवी कैमरे से बाइक की फुटेज खंगाल मारी। इस तरह से पुलिस के हाथ बाइक सवार बदमाशों का पता लग गया।
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पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) अतुल कुमार ठाकुर ने कहा कि जांच के दौरान दिल्ली और गाजियाबाद में कई जगह छापेमारी की गई और आरोपी को सोमवार को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान आरोपी ने बताया कि उसने संगम विहार के सुनार राकेश को सोने की चेन बेची है। राकेश ने बताया कि उसने सोने की चेन पिघला दी है और पुलिस ने पिघले हुए सोने के धातु को अपने कब्जे में ले लिया। साथ ही पुलिस ने चोरी के लिए इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल भी अपने कब्जे में ले ली है।
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इस घटना से सवाल खड़ा होता है कि दिल्ली सरकार जिन वॉलिंटियर्स को आम जनता के चालान काटने जैसे भारी भरकम काम देती है, क्या इनकी नियुक्ति से पहले इनकी वेरिफिकेशन होती है? क्या इनकी कोई ट्रेनिंग होती है? और क्या इन नियुक्ति से पहले इन्हें जनता की सेवा के प्रति कोई शपथ दिलाई जाती है? सवाल कई हैं जिनका जवाब जनता जानना चाहती है।