Delhi MCD Election: दिल्ली के विधायक और मंत्रियों की ताकत कम कर सकती है केंद्र सरकार
राजधानी दिल्ली अब कहीं न कहीं दो पार्टीयों के बीच टकराव की जगह बन गई है। केंद्र में मौजूद भारतीय जनता पार्टी और दिल्ली में मौजूद आम आदमी पार्टी दोनों ही दंगल में आमने सामने हैं।
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राजधानी दिल्ली अब कहीं न कहीं दो पार्टीयों के बीच टकराव की जगह बन गई है। केंद्र में मौजूद भारतीय जनता पार्टी और दिल्ली में मौजूद आम आदमी पार्टी दोनों ही दंगल में आमने सामने हैं। आम आदमी पार्टी लगातार निकाय चुनावों को टालने को लेकर बीजेपी को घेर रही है। ऐसे में खबर यह भी है कि दिल्ली के विधायक और मंत्रियों की ताकत भी कम हो सकती है। इनकी ताकत को छीन, नगर निगम में बदलाव कर दिल्ली के मेयर को दिया जा सकता है।
दिल्ली में काम करेंगी तीन सरकार –
साल 2012 में दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बांट दिया गया था। दक्षिणी, पूर्वी और उत्तरी ये तीन भाग जोकि वर्तमान में मौजूद हैं। लेकिन जब ये तीनों भाग एक हुआ करते थे और दिल्ली में एक मेयर हुआ करता था। तब की स्थिति दिल्ली में कुछ और ही थी। 2012 से पहले की न्यूज रिपोर्ट बताती हैं कि तब दिल्ली में तीन सरकारें चला करती थीं। केंद्र सरकार, राज्य सरकार और नगर निगम की सरकार। क्योंकि दिल्ली का एक मेयर अपने पास दिल्ली के मुख्यमंत्री जीतनी ही ताकत रखता था। जिसमें कुछ इलाकों को छोड़कर वहां की साफ-सफाई, प्राइमरी स्वास्थ्य व्यवस्था, शिक्षा, आदि क्षेत्र मेयर के अंदर ही था। ऐसे में कई बार मेयर और मुख्यमंत्री के बीच लगातार टकराव की खबरें सामने आती रहती थीं।
2012 में बंटवारे से बढ़ गई थी विधायकों और मंत्रियों की ताकत –
2012 से पहले मेयर के सामने विधायकों और मंत्रियों की ताकत कम पड़ जाती थी। मेयर पूरी दिल्ली को संभाल रहा होता है। जबकी विधायक और मंत्री सिर्फ एक इलाके या विभाग को देख रहे होते हैं। ऐसे में यह हालात एक बार फिर से आ सकते हैं। जब दिल्ली में मेयर का दूसरा नाम मुख्यमंत्री भी हो सकता है।
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क्या यही चाहती है भारतीय जनता पार्टी –
2012 से दिल्ली नगर निगम में बीजेपी की सरकार रही है। 2017 में भी बीजेपी ही तीनों निकायों में पहली पार्टी रही। जबकी दूसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी रही। लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर आम आदमी पार्टी का कब्जा रहा। खबरें लगातार आती रहीं कि केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच अनबन जारी है। बीजेपी को भी दिल्ली में झुक-कर ही काम करना पड़ता है। ऐसे में बीजेपी यह सोच सकती है कि तीनों निकायों को एक कर एक मेयर बनाया जाया। जोकि सीधा दिल्ली के मुख्यमंत्री की ताकत को दिल्ली में टक्कर दे।
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