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दिल्ली

SDMC और पुलिस को अदालत की फटकार! कहा- मुनिरिका में मिलिभगत के बिना संभव नहीं यह काम

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) और दिल्ली पुलिस को फर्नीचर बाजार सहित मुनिरका गांव (Munirika Village) से दैनिक आधार पर अवैध विक्रेताओं को हटाने का निर्देश दिया।

Munirka News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) और दिल्ली पुलिस को फर्नीचर बाजार सहित मुनिरका गांव (Munirka Village) से दैनिक आधार पर अवैध विक्रेताओं को हटाने का निर्देश दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी अतिक्रमणकर्ता वापस न आए।

अदालत ने लगाई निगम और पुलिस को फटकार-

“ये लोग सबको खुश रख रहे हैं। उन सभी के द्वारा हफ्ता का भुगतान किया जा रहा है। इसके बिना ऐसा नहीं होता है।” अदालत ने SDMC को नियमित निगरानी रखने और किसी भी अतिक्रमण के मामले में तुरंत पुलिस को सूचित करने के लिए कहा है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने कहा कि SDMC के कार्यकारी अभियंता और किशनगढ़ थाने के एसएचओ व्यक्तिगत रूप से उसके आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होंगे। कोर्ट ने अधिकारियों से अगली तारीख पर तस्वीरों के साथ स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है।

अदालत ने दिल्ली पुलिस और निगम को दिया यह आदेश-

अदालत ने कहा, “निगम और दिल्ली पुलिस का यह अनिवार्य कर्तव्य है कि वह यह सुनिश्चित करें कि संबंधित क्षेत्र में सड़कों पर या पैदल मार्ग पर कोई हॉकिंग या वेंडिंग न हो।” SDMC ने पहले अदालत को बताया कि वह कार्रवाई कर रही है, लेकिन वेंडर उनकी कार्रवाई के बाद जल्द ही लौट आते हैं। यह क्षेत्र एक ‘नो-हॉकिंग नो-वेंडिंग जोन’ है, जहां कोई तहबाजारी लाइसेंस किसी को नहीं दिया गया है।

इस एसोसिएशन ने दायर की थी याचिक-

मुनिरका विलेज रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (Munirka Village Resident Welfare Association) द्वारा आदालत में यह याचिका दायर की गई थी। जिसपर सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश पारित किया, जिसमें कहा गया था कि गांव में और उसके आसपास, विशेष रूप से राम बाजार में सार्वजनिक सड़कों और पैदल रास्तों पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण था।

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वेंडर कर रहे थे बिजली की चोरी-

कोर्ट को बताया गया कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। एसोसिएशन ने अदालत को यह भी बताया कि वेंडरों द्वारा लाइव तारों में टैप करके बिजली का अवैध रूप से उपयोग किया जा रहा था। BSES राजधानी पावर लिमिटेड ने अदालत को बताया कि उसने छापेमारी की और आठ सितंबर को ऐसे तीन मामले मिले थे।

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अदालत ने कहा मिलीभगत से हो रहा है ऐसा काम-

पीठ ने यह भी कहा कि वह बिजली कंपनी द्वारा की गई कार्रवाई से असंतुष्ट है। कोर्ट ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि यह केवल एक विंडो-ड्रेसिंग अभ्यास है। उनकी मिलीभगत के बिना, किसी के लिए भी दिन के उजाले में अवैध रूप से बिजली लाइनों में नियमित रूप से टैप करना संभव नहीं होगा।” अदालत ने कंपनी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हुए कहा कि अतिक्रमणकारियों द्वारा क्षेत्र में बिजली की चोरी नहीं होती है।

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