‘मैं तुमसे प्यार करता हूं’ कहते ही आप अपनी आजादी खो देते हैं
वर्तमान में प्रेम (Love) के क्या मायने हैं? वर्तमान में प्रेम का सही और अनिवार्य रुप में मतलब है कि कोई खुद के लिए खुद से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। खुद के लिए खुद से ज्यादा महत्व रखने वाले को हम अपना दिल दे बैठते हैं। लेकिन यह आपके खुद के अस्तित्व के लिए खतरा हो सकता है।
प्यार से आपके अस्तित्व को खतरा-
जिस भी पल आप किसी से ‘मैं तुमसे प्यार करता हूं’ (I Love You) कहते हैं, आप अपनी सारी स्वतंत्रता खो देते है। आप खुद की चीजों का बटवारा कर देते हैं। आधा खुद के लिए और आधे ज्यादा अपने प्रमी के लिए। अब आप वैसे नहीं रहते अपने जीवन के गोल को लेकर जैसेकि आप पहले थे। इससे आपके अस्तित्व पर खतरा मडराने लगता है।
एक मीठा जहर है प्यार-
प्यार में असंख्य समस्याएं हैं। इन समस्याओं को आप झेलते रहते हैं प्यार के नाम पर। लेकिन साथ ही प्यार आपको अंदर की तरफ भी खींचता रहता है। प्यार को कई लोग एक मीठा जहर भी कहते हैं। एक बहुत ही मीठा जहर जो आपके लिए आत्म-सत्यानाश साबित हो सकता है। यदि आप अपने आप के कुछ हिस्से को खत्म नहीं करते हैं, तो आप प्यार को कभी नहीं जान पाएंगे। क्योंकि आपको अपनी कुछ चीजों को मारना पड़ता ही है जहां पर आपका प्रेमी आपके अंदर उस स्थान पर कब्जा कर सके। और यदि आप ऐसा नहीं होने देते हैं, तो वो कोई प्यार नहीं, केवल अपके दिमाग की गणना है।
जीवन में प्यार के रिश्ते-
हमने अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के रिश्तों का गठन किया है। पारिवारिक रिश्ते, पति-पत्नी के रिश्ते, व्यावसायिक रिश्ते, सामाजिक रिश्ते। हमारे जीवन की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विभिन्न प्रकार के रिश्ते हैं। इन सभी रिश्तों को आप काम की तरह प्रेमपूर्वक संचालित कर सकते हैं। लेकिन वो सच में प्यार होगा या नहीं इस पर प्रश्न चिंह रहेगा।
प्रेमी प्यार में सब कुछ खोने को तैयार रहते हैं-
‘सर्वनाश’ शब्द खुद में एक एक नकारात्मक शब्द की तरह दिखाई देता है। जब आप वास्तव में किसी से प्यार करते हैं, तो आप अपना सर्वस्व समर्पण करने के लिए तैयार रहते हैं। आपका व्यक्तित्व, आपकी पसंद, आपकी पसंद-नापसंद सब कुछ में कोई और भी शामिल होने लगता है। लेकिन प्यार करने से पहले व्यक्ति अकेला कठोर पदार्थ सा होता है।
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कठोर पदार्थ से प्यार की तरफ का सफर-
अचानक जब कोई व्यक्ति किसी से साथ प्यार (Love) करने लगता है, तो वो किसी भी तरह से खुद को प्रेमी की तरफ मोड़ने के लिए तैयार रहता है। जोकि एक शानदार आध्यात्मिक प्रक्रिया है। क्योंकि इससे आप कठोर से लचीले होते जा रहे हैं। तो प्रेम निश्चित रूप से आत्म-सत्यानाश है जोकि प्रेम का सबसे सुंदर हिस्सा है। चाहे आप इसे सर्वनाश कहें या मुक्ति, चाहे आप इसे विनाश कहें या निर्वाण। लेकिन जब हम कहते हैं, ‘शिव संहारक हैं, ‘हम कह रहे हैं कि वह एक अनिवार्य प्रेमी हैं। प्रेम जरूरी नहीं कि आत्म-सत्यानाश हो, यह सिर्फ सत्यानाश हो सकता है। यह सब निर्भर करता है कि आपको किसके साथ प्यार हुआ है। वह आपको नष्ट कर देता है क्योंकि अगर यह आपको नष्ट नहीं करता है, तो यह एक वास्तविक प्रेम संबंध नहीं है।
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प्रेम आपको नष्ट कर देता है-
नष्ट करने का मतलब यह नहीं है कि आपके घर, आपके व्यवसाय या इस या उस को नष्ट कर देना। बल्कि नष्ट होना यहां आपके व्यक्तित्व से है जो कठोर व्यक्तित्व है और अब वह प्यार (Love) करने की प्रक्रिया में नष्ट हो चुका है। इसे आत्म-विनाश भी कहते हैं।
प्यार में इंसान पिघल जाता है-
आपके सोचने के तरीके, आपकी भावनाओं के तरीके, आपकी पसंद-नापसंद, आपके दर्शन, आपकी विचारधाराएं ये सब प्यार में पड़ने के बाद पिघल जाती हैं। दूसरे इंसान के तुम्हारे पास आने से यह सब होना तय है। और कहीं ना कहीं आप इसे रोक भी नहीं सकते हैं। इस प्रकार के खुद में विनाश के बाद आप खुद को ही खो देते हैं। खुद को खो देना खुद की आजादी को भी खो देने के बराबर होता है।
नोट– यह लेख सद्गुरू की किताब से लिया गया है।