महिला दिवस से पहले मिली बड़ी सौगात, डीएसपी बनी हिमा दास
भारत की स्टार फर्राटा धावक हिमा दास (Hima Das) ने असम पुलिस में डीएसपी का कार्यभार संभालते हुए एक नई पारी की शुरुआत की है।
भारत की स्टार फर्राटा धावक हिमा दास (Hima Das) ने असम पुलिस में डीएसपी का कार्यभार संभालते हुए एक नई पारी की शुरुआत की है। शुक्रवार को असम में हुए एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने हिमा दास को नियुक्ति पत्र सौंपा। इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक समेत अन्य आला अधिकारी भी मौजूद रहे। हिमा की उपलब्धियों की अगर बात करें तो ये फेहरिस्त काफ़ी लंबी है। लेकिन हिमा का कहना है कि उनका सपना बचपन से ही देश की सेवा करना रहा है। वैसे देश के लिए पदक जीतकर वे देश की सेवा तो कर ही रही हैं। ऐसे में अब वह लोगों की रक्षा करते हुए भी देश की सेवा करेंगी।
हिमा दास (Hima Das) अपने कंधों पर लगे सितारों को देख हर्ष-उल्लास से भरी नज़र आई। साथ ही, देश की तमाम बेटियों के सामने कामयाबी की एक मिसाल भी पेश की है। खेल मंत्री किरण रिजिजू ने भी हिमा दास को इस अवसर पर बधाई दी। हिमा दास ने भी डीएसपी का पद संभालने के बाद अपने फैंस के लिए सोशल मीडिया पर काफी तस्वीरें शेयर की।
हिमा दास की बड़ी उपलब्धियां-
- वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप ट्रैक इवेंट में 400 मीटर रेस में गोल्ड मेडल (समय 51.46 सेकंड)
- एशियाई खेलों में रजत पदक
- जूनियर विश्व चैंपियनशिप विजेता
कैसी रही हिमा दास की शुरुआत-
असम के नंगाव ज़िले के धींग गांव में बेहद गरीब परिवार में 9 जनवरी, 2000 को हिमा का जन्म हुआ। इनके पिता का नाम रंजीत और माता का नाम जोनाली है। बचपन से ही हिमा अपने पिता के साथ खेतों में काम करती रही हैं और खाली समय में हिमा फुटबॉल और दौड़ का अभ्यास किया करती थी। उन्हें दौड़ने का जुनून इस कदर था कि लड़कों को भी हरा देती थी। किसी टीचर ने हिमा की इस प्रतिभा को पहचाना और इनके परिवार की सहमति से इन्हें गुवाहाटी में प्रशिक्षण के लिए भेज दिया। जिसके बाद स्टेट चैंपियनशिप में पहली बार हिस्सा लिया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी क्योंकि अभ्यास की कमी थी।
I’m so happy that one of my biggest dreams came true today. I am proud to be the DSP, @assampolice .
It’s an honour I will always wear with pride.
I would like to thank our CM @sarbanandsonwal sir, @himantabiswa sir and @KirenRijiju sir for their constant support.Contd..1/2 pic.twitter.com/ftgA16goqf
— Hima (mon jai) (@HimaDas8) February 26, 2021
यूं बनी ADIDAS की ब्रांड एम्बेसडर-
परिवार के हालात इतने खराब थे कि इनके लिए जूते तक खरीदने के पैसे नहीं थे, फिर भी हिमा के पिता ने 1200 रूपए के जूते हिमा को दिलवाए ताकि वो ठीक से अभ्यास कर सके। खैर समय हमेशा एक सा नहीं रहता और मेहनत का फल हमेशा मीठा ही होता है और ऐसा ही हुआ। आज जूते बनाने वाली जर्मन कंपनी ADIDAS की हिमा ब्रांड (Hima Das) एम्बेसडर हैं।
Newly appointed DSP of @assampolice Hima Das conveys her gratitude to Govt of Assam for ensuring a bright and secured future for athletes in the state. Under the leadership of Hon’ble CM Shri @sarbanandsonwal , Assam has undergone immense transformation in the sports arena. pic.twitter.com/vrfcvpFB8d
— MyGov Assam (@mygovassam) February 26, 2021
गोल्ड मेडल जीतने वाली देश की पहली महिला-
हिमा ने अपना अभ्यास लगातार जारी रखा और आखिरकार 18 अगस्त 2018 को वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप ट्रैक इवेंट में हिमा ने एक नया मुकाम हासिल किया। हिमा दास ने 400 मीटर का फासला महज 51.46 सैकेंड में पार करके भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता और एक नया इतिहास रचा। किसी भी वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली वे भारत की पहली महिला बनी है। 19 दिन के भीतर अलग-अलग इवेंट्स में पांच स्वर्ण पदक जीतकर हिमा दास ने विश्व स्तर पर भारत और भारतीयों को गौरवान्वित किया है। वहीं, आज से डीएसपी का कार्यभार संभाल कर अपने माता पिता के प्रेम व स्नेह, अपने गांव, ज़िले, राज्य और देश की उम्मीदों को नया आयाम दिया है।
आगे का सफ़र-
हिमा दास आज भारत ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर तमाम महिलाओं के लिए एक मिसाल पेश कर रही है। हिमा दास अंग्रेजी की उस कहावत को सच साबित करती हुई नज़र आ रही हैं कि “Life without struggle is a Life without success” हिमा को कामयाबी के लिए संघर्ष ज़रूर करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी अपने जुनून को कम नहीं होने दिया और आखिरकार उन्हें सफलता भी मिली।
हो रही ओलंपिक की तैयारी-
इस वक्त हिमा दास नेता जी सुभाष नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स (NSNIS) पटियाला में टोक्यो ओलंपिक के लिए जोरदार अभ्यास कर रही हैं। पूरे देश की उम्मीदें हिमा दास (Hima Das) से लगी हैं कि वे ओलंपिक में भी भारत के लिए पदक जरूर जीतें। जिस प्रकार से उन्होंने लगातार संघर्ष और मेहनत के बल पर तमाम उपलब्धियां हासिल की हैं। उम्मीद है की वे आगे चलकर इन उपलब्धियों में और इज़ाफा करें।
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