विचार

क्या इस वजह से घाटी में यूपी और बिहार के लोगों को मार रहे हैं आतंकवादी

जम्मू कश्मीर में एक बार फिर से आतंकवादी खूनी खेल खेलना शुरु कर चुके हैं। 30 साल पहले 1991वें में कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ आज कहीं ना कहीं उसी राह पर 2021 में फिर से गरीब और अल्पसंख्यक लोगों के साथ हो रहा है।

जम्मू कश्मीर में एक बार फिर से आतंकवादी खूनी खेल खेलना शुरु कर चुके हैं। 30 साल पहले 1991वें में कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ आज कहीं ना कहीं उसी राह पर 2021 में फिर से गरीब और अल्पसंख्यक लोगों के साथ हो रहा है। एक के बाद एक अब तक कई बेकसुर, रोजगार की तलाश में जम्मू कश्मीर में काम रहे लोगों का खून आतंकवादियों ने बंदूक से सड़कों पर बहा दिया है। उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक लोगों के घर मातम पसरा हुआ है। जम्मू कश्मीर में काम रहे लोग अब किसी भी तरह से वहां से निकलना चाहते हैं। साथ ही वहां के लोकल भी चाहते हैं कि ये लोग वापस चले जाएं आखिरकार कुछ ही दिनों में ऐसा कैसे हो गया।

इसका पहला कारण खुद डरपोक आतंकवादी हैं। जोकि मजहब के नाम पर खून बहा रहे हैं। हाल ही में जिस तरह से बहादुर भारतीय सेना ने एक के बाद एक आतंकवादियों को घाटी में मौत के घाट उतारा है उससे अब आतंकवादियों में बिल्कुल भी दम नहीं है कि वो भारतीय सेना का मुकाबला कर सकें। जिसके बाद अब इन आंतकवादियों ने निहत्थे, बेकसूर अपनी रोजी रोटी के लिए सड़कों पर गोल गप्पे की रेड़ी लगाकर दिनों रात मेहनत करने वाले मजदूरों को निशाना बनाना शुरु कर दिया है। और ये आतंकवादी छिपकर अचानक से आते हैं और हमला करके गायब हो जाते हैं। यानि की एक तरह से Gorilla War शुरु हो चुका है घाटी में।

दूसरा कारण कंट्रोल है। आतंकवादियों के आका डरते हैं इस बात से कि कहीं कश्मीर में आतंकवाद का मुद्दा कमजोर न पड़ जाए। कमजोर पड़ने का साफ मतलब है कंट्रोल। आतंकवादी किसी भी हालत में कश्मीर से अपना कंट्रोल नहीं खोना चाहते। क्योंकि अगर आतंकवादियों ने यहां कंट्रोल खो दिया तो उनके आकाओं की फंडिग के साथ, उनका एजेंडा भी बंद हो जाएगा। इसलिए ये इनका डर ही है जोकि अब ये लोग यूपी बिहार के लोगों को चुन चुन कर मारना शुरु कर रहे हैं।

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तीसरा कारण है आतंकवादियों का बूझता दीया। जम्मू कश्मीर से जब से अनुच्छेद 370 को हटाया गया है। हर एक दिन किसी न किसी आतंकवादी की मारे जाने की खबर सामने आती रहती है। ऐसे में अब आतंकवादियों की संख्या घाटी में कहीं ना कहीं कम हो गई है। इसी बीच प्रवासी मजदूरों की संख्या घाटी में बढ़ने लगी है। अब आतंकवादियों को यह हजम नहीं हो पा रहा है कि एक यूपी और बिहार का आदमी कैसे कश्मीर में जाकर न सिर्फ रोजगार पा रहा है बल्की वहां को लोगों के लिए भी रोजगार उत्पन्न कर रहा है। आतंकवादी जोकि पहले से ही बेरोजगार हैं उन्हे ये सब होता हुआ देख हजम नहीं हो रहा है।

आतंकवादियों का खात्म कैसे करें इसको लेकर दिल्ली से जम्मू कश्मीर तक हाई लेवल मीटिंग हो रही हैं। ताकि जल्द से जल्द इस बुझते दीया को फड़-फड़ाते हुए बुझा दिया जाए।

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