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क्या है ‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म’ जिसकी पीएम मोदी ने खुद की पैरवी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म' (One Nation One Legislative Platform) के आइडिया को देश के सामने रखा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म’ (One Nation One Legislative Platform) के आइडिया को देश के सामने रखा है। पीएम मोदी ने यह बात भारत में विधानमंडलों के शीर्ष निकाय अखिल भारतीय पीठासीन के अधिकारियों के सम्मेलन (AIPOC) 2021 में संबोधन करते हुए कही। प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान सबको संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र सिर्फ एक व्यवस्था नहीं बल्कि भारत की एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है।

‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म’ पर बोले पीएम-

पीएम मोदी ने ‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म’ को लेकर कहा, “भारत की संघीय व्यवस्था में, जब हम ‘सबका प्रयास’ की बात करते हैं, तो राज्य एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पीएम ने जोर देकर कहा कि सभी के प्रयासों से राष्ट्र ने नई ऊंचाइयां हासिल की हैं। बीते वर्षों में देश ने ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’, ‘वन नेशन वन मोबिलिटी कार्ड’, जैसे कई व्यवस्थाओं को लागू किया है। इसी तरह की व्यवस्थाओं से जनता भी कनेक्ट हो रही है। इससे देश भी कोने-कोने में कनेक्ट हो रहा है। मैं चाहूंगा कि हमारी सभी विधानसभाएं और राज्य, आजादी के अमृत काल में इस अभियान को एक नई उचाई तक ले जाएं।”

पीएम मोदी का नया विचार-

पीएम मोदी ने आगे कहा, “मेरा एक विचार ‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म’। क्या यह संभव है? एक ऐसा डिजिटल प्लेटफार्म, एक ऐसा पोर्टल जो न केलव हमारी संसदिय व्यवस्था को टेक्निकल बूस्ट दे बल्की देश की सभी लोकतांत्रिक इकाईयों को जोड़ने का काम करे। हमारे हाउसेस के लिए हमारे सारे रिसोर्से इस पोर्टल पर उपलब्ध हो, केंद्र और राज्य विधान मंडल पेपर लेस मोड में काम करे, लोकसभा के मामनिय अध्यक्ष और राज्यसभा के उप सभापति के नेतृत्व में ऑफिसर इस पर काम करे। सांसद और विधानमंडलो की सभी पुस्तकालय को डिजिटल करने में भी यह ऑफिसर अपना योगदान दें।”

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25 साल देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण-

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे जोर देते हुए कहा कि अगले 25 साल भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसमें उन्होंने सांसदों से केवल एक ही मंत्र- कर्तव्य, कर्तव्य, कर्तव्य को समझने का आग्रह किया। साथ ही उन्होने संसद और विधानसभाओं की परंपराएं और व्यवस्थाएं भारतीय प्रकृति के अनुसार हों इसपर जोर दिया है।

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