वैश्विक भूख सूचकांक में गिरी भारत की रैंकिग देख मंत्रालय ने मानने से किया इंकार, गिनाई ये कमियां
वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) में इस साल भारत की रैंकिग पड़ोसी देशों से भी खराब रही। इस सूचकांक के जारी होने के बाद केंद्र सरकार की आलोचना होनी भी शुरु हुई।

वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) में इस साल भारत की रैंकिग पड़ोसी देशों से भी खराब रही। इस सूचकांक के जारी होने के बाद केंद्र सरकार की आलोचना होनी भी शुरु हुई। 2020 में भारत कुल 116 देशों में से 94वें स्थान पर था। जबकि 2021 में सात पायदान नीचे खिसक कर 101वें स्थान पर आ गया है। इस संदर्भ में महिला और बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) ने शुक्रवार को इस सूचकांक को हैरान और अवैज्ञानिक बताते हुए इसे मानने से ही इंकार कर दिया है।
मंत्रालय ने रिपोर्ट देख मानने से किया इंकार-
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि मंत्रालय ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2021 में भारत के 101वें स्थान पर आने से “हैरान” है। इस सूचकांक को बनाने के लिए इस्तेमाल की गई “अवैज्ञानिक” के रूप में कार्यप्रणाली को मंत्रालय खारिज करता है। मंत्रालय ने कहा कि रैंक पर पहुंचने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली “जमीनी वास्तविकता और तथ्यों से रहित” थी।
ग्लोबल हंगर रिपोर्ट की निकाली गलतियां-
महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, “ग्लोबल हंगर रिपोर्ट, कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगर हिल्फ़ की प्रकाशन एजेंसियों ने रिपोर्ट जारी करने से पहले अपना उचित परिश्रम नहीं किया है।” मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट एक ‘चार प्रश्न’ जनमत सर्वेक्षण के परिणामों पर आधारित थी, जिसे गैलप द्वारा टेलीफोन पर आयोजित किया गया था। “अवधि के दौरान प्रति व्यक्ति खाद्यान्न की उपलब्धता जैसे अल्पपोषण को मापने के लिए कोई वैज्ञानिक पद्धति नहीं है। अल्पपोषण के वैज्ञानिक माप के लिए वजन और ऊंचाई की माप की आवश्यकता होगी, जबकि यहां शामिल पद्धति जनसंख्या के शुद्ध टेलीफोनिक अनुमान के आधार पर गैलप सर्वेक्षण पर आधारित है।
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सरकार के इन प्रयासों की हुई अवहेलना-
महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी बयान में यह भी कहा गया है कि रिपोर्ट पूरी तरह से कोरोना काल की अवधि के दौरान पूरी आबादी की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के बड़े पैमाने पर प्रयास की अवहेलना करती है, जिस पर सत्यापन योग्य डेटा उपलब्ध है। मंत्रालय ने 2020 के दौरान शुरू की गई सभी योजनाओं को भी सूचीबद्ध किया। इन योजनाओ में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण और अन्न योजना, आत्मनिर्भर भारत योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सभी लाभार्थियों को अप्रैल से नवंबर 2020 तक मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराना, मनरेगा मजदूरी में वृद्धि शामिल है।