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जितिन प्रसाद ने कांग्रेस छोड़ क्यों थामा बीजेपी का हाथ? बताई ये वजह

कांग्रेस में लंबें समय तक रहें जितिन प्रसाद ने बीजेपी की सदस्यता ले ली है। ऐसे में बीजेपी में शामिल होते ही जितिन प्रसाद ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और कांग्रेस छोड़ने की वजह भी बताई।

कांग्रेस पार्टी कई समय से अपनी खुद की विचारधाराओं से संघर्ष कर रही थी। इसी कड़ी में यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री और राहुल गांधी के बेहद करीबी मानें जानें वाले नेता जितिन प्रसाद सिंह कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए। उन्होंने आज हीं बीजेपी मुख्यालय पर सदस्यता ग्रहण की। पार्टी बदलने से पहले जितिन प्रसाद ने रेल मंत्री पीयुष गोयल के साथ बैठक की। वहीं कांग्रेस के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद यह दुसरा सबसे बड़ा झटका साबित हो सकता है।

जितिन प्रसाद ने क्यों छोड़ी कांग्रेस-
कांग्रेस में लंबें समय तक रहें जितिन प्रसाद ने बीजेपी की सदस्यता ले ली है। ऐसे में बीजेपी में शामिल होते ही जितिन प्रसाद ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और कांग्रेस छोड़ने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि मैं जिस पार्टी में था वहां अपने ही लोगों के हितों की रक्षा नहीं होती। ऐसे में जहां अपने ही लोगों के हितों की रक्षा आप नहीं कर सकते तो ऐसी पार्टी में रहने क्या मतलब है। बता दें, पिछले कई समय से जितिन प्रसाद कांग्रेस सुप्रीमों से नाराज़ चल रहे थे।

कांग्रेस में नहीं सुनी जाती अपने ही लोगों की बात-
उन्होंने कहा की मैं जिस पार्टी में था वहां मैने महसूस किया कि यहां अपने ही लोगों की बात नहीं सुनी जाती। ऐसे में जहां अपने ही लोगों की बात ना सुनी जाए और अपने ही लोग पार्टी के काम ना आ सके, तो ऐसी पार्टी में रहने का कोई औचित्य नहीं बनता।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने दिलाई सदस्यता-
जितिन प्रसाद का सफर कांग्रेस के साथ करीब तीन दशकों तक रहा है। ऐसे में कांग्रेस छोड़ उन्होंने आज बीजेपी मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अनिल बलूनी के हाथों पार्टी की सदस्यता ली।

कांग्रेस में व्‍यापक सुधार की जरूरत!
गौरतलब हैं कि G-23 के नाम से एक कांग्रेसी नेताओं का समुह था। इस समुह का हिस्सा जितिन प्रसाद भी थे, जिन्‍होंने पार्टी में व्‍यापक सुधार की जरूरत बताते हुए सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्‍होंने पार्टी में पूर्णकालिक नेतृत्‍व की आवाज बुलंद की थी। वैसे, इस लेटर के बाद भी जितिन उन नेताओं में थे जिन्‍हें ‘असंतोष’ जताने के बावजूद पार्टी में कोई भूमिका दी गई थी।

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बंगाल चुनाव में सोपीं थी चुनाव की कमान-
पश्चिम बंगाल में जितिन प्रसाद को कांग्रेस के प्रचार अभियान से जोड़ा गया था लेकिन इन चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। जितिन ने बंगाल चुनाव में उनकी पार्टी की ओर से इंडियन सेक्‍युलर फ्रंट के साथ किए गए गठबंधन की सार्वजनिक तौर पर आलोचना की थी। उन्होंने ने ट्वीट कर लिखा, ‘गठबंधन के निर्णय पार्टी और कार्यकर्ताओं के हितों को ध्‍यान में रखकर लिए जाते हैं। अब समय है कि सभी हाथ मिलाएं और चुनावी राज्‍यों में कांग्रेस की संभावनाओं को मजबूत करने की दिशा में काम करें।’

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एक नजर में जानें जितिन प्रसाद का राजनीतिक सफर-

यूपी की धौराहरा सीट से पूर्व सांसद रहे जितिन, दो बार सांसद रहे और कांग्रेस की केंद्र सरकार में राज्यमंत्री रहे चुके हैं।

2004 में शाहजहांपुर लोकसभा सीट से पहली बार सांसद बने।

2008 में केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री बनाए गए।

2009 में परिसीमन के बाद धौरहरा से चुनाव लड़े और दूसरी बार सांसद बने।

यूपीए 2 में सड़क, परिवहन, पेट्रोलियम और मानव संसाधन विभाग में राज्यमंत्री रहे।

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में धौरहरा से लगातार चुनाव हारे।

इसके अलावा, जितिन प्रसाद के पिता जितेंद्र प्रसाद भी शाहजहांपुर से चार बार सांसद रहे चुके हैं।

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