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क्या प्रशांत किशोर के कहने पर चिराग ने छोड़ा था एनडीए का साथ?

बिहार चुनाव से ठिक पहले चिराग पासवान की एलजेपी ने एनडीए से अलग हो चुनाव कर चुनाव लड़ने का फैसला लेकर सबको चौका दिया था। लेकिन परिणामों में पार्टी का जो हस्र हुआ वो किसी से छुपा नहीं है।

बिहार विधानसभा चुनाव को काफी समय बीत चुका है, लेकिन यहां राजनितिक उठा-पटक का सिलसिला अभी भी जारी है। चुनाव से ठिक पहले चिराग पासवान की एलजेपी ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला लेकर सबको चौका दिया था। लेकिन परिणामों में पार्टी का जो हस्र हुआ वो किसी से छुपा नहीं है। एलजेपी बिहार चुनाव में मात्र एक सीट जीत पाई थी।

इस चुनाव में चिराग की सफलता मात्र इतनी थी कि उन्होंने नीतिश कुमार को कमजोर कर दिया, और पहली बार जेडीयू बीजेपी से कम सीटों पर जीती। लेकिन उस समय चिराग पर नीतिश कुमार को हराने का भूत सवार था। जिसका खामियाजा एलजेपी को भुगतना पड़ा।

चुनाव के दौरान ये आरोप लगे की चिराग बीजेपी के रणनिती के तहत ऐसा कर रहें है, ताकी चुनाव में नीतिश को कमजोर किया जा सके। लेकिन इन सबके बीच सबसे ज्यादा नुकसान तो एलजेपी का हुआ।एक तो अकेले लड़ने की वजह से पार्टी सीटें नहीं जीत पाई, दूसरा रामविलास पासवान के मृत्यु के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट भी गंवा दिया। अब चुनाव के बाद चिराग को एक और बड़ा झटका लगा है।

दरअसल, रविवार (17 जनवरी) को राजधानी पटना में लोजपा से निसकासित पूर्व महासचिव केशव सिंह की अध्यक्षता में हुई एक बैठक हुई। इस बैठक में एलजेपी के पूर्व प्रदेश महासचिव रामनाथ रमण, विश्वनाथ कुशवाहा, दीनानाथ क्रांति, पारसनाथ गुप्ता, अशोक पासवान, एजाज उस्मानी, श्रम प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कौशल किशोर सिंह कुशवाहा, प्रदेश सचिव विजय कुमार सिंह, दलित सेना के प्रदेश महासचिव सुभाष पासवान, समेत 27 नेताओं ने लोजपा से इस्तीफा देने का एलान कर दिया है।

बागी नेताओं ने चिराग पर आरोप लगया है कि उन्होंने कांग्रेस और अन्य दलों से पैसे लेकर अलग चुनाव लड़ा, जिससे नीतिश कुमार को नुकशान हो सके। केशव सिंह ने तो यह भी दावा किया है चिराग पासवान ने प्रशांत किशोर के साथ मिलकर ये सारी रणनिती बनाई थी, इसको लेकर और खुलासे जल्द होगें।

फिलहाल कहा जा रहा है कि जिन 27 नेताओं ने एलजेपी छोड़ा है वो अब एनडीए के अलग-अलग दलों से संपर्क करेंगें और जिस दल में उन्हें सम्मान मिलेगा उसमें शामिल हो जाऐंगें। इसके लिए जेडीयू, बीजेपी, हम और वीआईपी से सम्पर्क साधने के लिए पांच-पांच नेताओं की दो अलग-अलग टीमें भी बनाई गई।

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एलजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सूरजभान सिंह ने दावा किया है कि एलजेपी के विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने से महागठबंधन को फायदा हुआ है और तेजस्वी ज्यादा सीटें जीत पाए। साथ हीं उन्होंने ने चिराग का बचाव करते हुए कहा कि चुनाव के बाद चिराग कई बार बिहार आए हैं और उन्होंने चुनाव की समीक्षा भी की है।

इस बीच आज सोमवार (18 जनवरी) को एलजेपी पार्टी विस्तार को लेकर एक बैठक करने जा रही है। उम्मीद कि जा रही है कि इस बैठक में पार्टी में हो रही टूट को लेकर चर्चा होगी।

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