Author Shubham Mishra
- विशेष
Short Story in Hindi: केवल महिलाएं! नेहरू प्लेस से केंद्रीय संचिवालय तक
Short Story in Hindi: ‘ठीक है, मैं निकलता हूं! अब कल मुलाकात होगी’ इन शब्दों को कहते हुए मैं मेट्रो स्टेशन की तरफ जाने वाली…
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दुख और ज्यादा खाना
जिस तरह से हम अपने पेट में जबरन खाने को ठूस-ठूस कर भरते हैं, ठीक उसी तरह समय हमारे जीवन में दुख को भरता है।…
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अंत में क्या होता है
अंत में आप अपना सबकुछ दान कर देते हैं। अंत में खुद से खुद को छुड़ाने का रास्ता ही एकमात्र दान का रास्ता है। अपने…
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अच्छी सलाह लेना कब बंद कर रहे हैं, आप ?
यह लोग शायद इस भ्रम में जीते हैं कि दूसरे व्यक्ति के जीवन के बारे में उनसे अच्छी सलाह और कोई नहीं दे सकता है।…
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उपहार के लिए भिड़ते मीडिया पत्रकार
उस समय को मैं आसानी से याद कर सकता हूं, जब कोई अपने नाम के पीछे पत्रकार लगाकर अपना परिचय पूरा करता था तब वहां…
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