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ब्लास्ट में पिता और भाई को खो चुका है तालिबान का सुप्रीम लिडर Haibatullah Akhundzada, अब नहीं है इंसानियत से उसे प्यार!

अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अब हर किसी को नई सरकार का इंतज़ार है। कहा जा रहा है कि तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा (Haibatullah Akhundzada) को बड़ा रोल मिल सकता है।

अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अब हर किसी को नई सरकार का इंतज़ार है। कहा जा रहा है कि तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा (Haibatullah Akhundzada) को बड़ा रोल मिल सकता है। अखुंदज़ादा अफगानिस्तान की सत्तारूढ़ परिषद के प्रमुख बन सकते हैं। वहां यह पद राष्ट्रपति के बराबर का होता है। इस बीच तालिबान के एक और नेता वहीदुल्ला हाशिमी ने बुधवार को समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि तालिबान एक सत्तारूढ़ परिषद बना सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि नई सरकार में और अफगान सेना के पूर्व पायलटों और सैनिकों को शामिल किया जा सकता है।

तालिबान का अंतिम फैसला अखुंदज़ादा ही लेता है-

अखुंदज़ादा तालिबान (Haibatullah Akhundzada) का सर्वोच्च नेता है जो समूह के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों पर अंतिम फैसला सुनाता है। अखुंदज़ादा को इस्लामिक कानून का विद्वान माना जाता है। साल 2016 में अमेरिका ने एक ड्रोन हमले में तालिबान के प्रमुख अख्तर मंसूर को मार गिराया था। इसके बाद अखुंदज़ादा को मंसूर का उत्तराधिकारी बनाने का ऐलान किया गया। कहा जा रहा है कि अखुंदज़ादा की उम्र करीब 60 साल है।

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Haibatullah Akhundzada के पिता थे मस्जिद में इमाम-

अखुंदज़ादा का जन्म 1961 में अफगानिस्तान राज्य के कंधार के पंजवेई जिले में हुआ था। उसका पहला नाम हिबतुल्लाह जिसका अरबी में अर्थ है “ईश्वर की ओर से उपहार” था। उसके पिता मुहम्मद अखुंद, एक धार्मिक विद्वान होने के साथ-साथ गाँव की मस्जिद के इमाम भी थे। किसी भी भूमि या बागों का मालिक नहीं होने के कारण, परिवार इस बात पर निर्भर करता था कि मण्डली ने उसके पिता को नकद या उनकी फसल के एक हिस्से में क्या भुगतान किया।

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बम ब्लास्ट में Haibatullah Akhundzada के पिता और भाई की हुई मौत-

अखुंदज़ादा ने अपने पिता के मुताबिक अध्ययन किया। सोवियत आक्रमण के बाद परिवार क्वेटा चला गया। अखुंदज़ादा पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान में कई मदरसों का नेतृत्व करता रहा। अखुंदज़ादा दो बार मरने से बचा है। 16 अगस्त 2019 को शुक्रवार की नमाज के दौरान पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में एक भव्य मस्जिद में जोरदार धमाका हुआ। मस्जिद पर हुए हमले में अखुंदजादा (Haibatullah Akhundzada) के भाई हाफिज अहमदुल्ला और उसके पिता की मौत हो गई।

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फिर से मरने से बचा अहमदुल्ला अखुंदज़ादा-

अहमदुल्ला अखुंदज़ादा (Haibatullah Akhundzada) के बाद खैर उल मदारैस मस्जिद के नेता के बनाया गया था। जिसने अखुंदज़ादा को तालिबान अमीर के रूप में नियुक्त किया । उसके बाद अखुंदज़ादा ने क्वेटा शूरा की मुख्य बैठक स्थल के रूप में कार्य करने लगा। बाद में अखुंदज़ादा के एक रिश्तेदार की विस्फोट में मारे जाने की पुष्टि हुई। अफगानिस्तान इस्लामिक अमीरात की उच्च परिषद ने हमले की जिम्मेदारी ली और कहा कि मुख्य लक्ष्य अखुंदजादा था।

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पुरानी सोच नहीं बदलेगा तालिबान-

अखुंदज़ादा कंधार का एक कट्टर धार्मिक नेता है। लिहाजा कहा जा रहा है कि वह तालिबान को अपनी पुरानी सोच नहीं बदलने देगा। 1980 के दशक में, उसने अफगानिस्तान में सोवियत सैन्य अभियान के खिलाफ इस्लामी अभियान चलाया था। लेकिन उसे उसके मानने वाले सैन्य कमांडर से ज्यादा एक धार्मिक नेता के तौर पर जानते हैं। कहा जाता है कि अखुंदज़ादा  (Haibatullah Akhundzada) ने ही इस्लामी सज़ा की शुरुआत की थी। जिसके तहत वो खुलेआम मर्डर या चोरी करने वालों को मौत की सज़ा सुनाता है। इसके अलावां वह फतवा भी जारी करता है।

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