चुनाव की जमीन से ‘पैसा और ताकत’ बनाम ‘पेट में कांटे’ वाला किस्सा
भारत में प्रतिवर्ष कहीं न कहीं चुनाव होते हैं। इनमे मुख्य रुप से लोकसभा, विधानसभा, निकाय चुनाव, पंचायती चुनाव आदि शामिल हैं। प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में यह चुनाव नए नेताओं को जन्म देते हैं। जन्म लेने वाले नेताओं में दो प्रकार होते हैं।
भारत में प्रतिवर्ष कहीं न कहीं चुनाव होते हैं। इनमे मुख्य रुप से लोकसभा, विधानसभा, निकाय चुनाव, पंचायती चुनाव आदि शामिल हैं। प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में यह चुनाव नए नेताओं को जन्म देते हैं। जन्म लेने वाले नेताओं में दो प्रकार होते हैं। एक वह जो जमीन से मेहनत करते हुए उभर रहे हैं। तो वहीं दूसरे वह जिनके यहां पैसे और ताकत की खेती होती है। समय इन दोनों ही प्रकार के नेताओं को मौका देता है। कई बार यह दोनों ही प्रकार एक दूसरे के साथी हो जाते हैं, तो कई बार आमने सामने खड़े दिखाई देते हैं।
उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव 2022 की जमीन पर कुछ ऐसा ही खेल चल रहा था। लड़ाई टक्कर की नहीं थी। लेकिन कभी टक्कर की जरुर हुआ करती थी। समय ने सबसे पहले पैसा और ताकत को मौका दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि पैसा और ताकत उस समय जमीन से नए नेताओं को जन्म देने में लगे हुए थे। यह बात ‘पैसा और ताकत’ को अपनी जेब में लेकर चल रहे उस नेता को भी नहीं पता थी कि आज जिसे वह सींच रहा है कल वही उससे उसका सबकुछ छिनने लगेगा। नाम, पहचान, काम और इज्जत सब कुछ। बस एक ठुनक पर कि हमे आप पसंद नहीं।
यहां जिस नेता के पास पैसा और ताकत था, वह दयालु था। वह भीड़ में भी अपनों को खोज लेता था। लेकिन जिसे वह खोजता था उसे ऐसा लगता था कि मानों भीड़ में भी उसे बार-बार यह याद दिलाया जा रहा है कि वह पैसा और ताकत के दम पर खड़े नेता का एक महज नौकर ही तो है। शायद इसलिए ही वह अब अपने मालिक के लिए हर बार जुबां से फूल की कोमल पंखूड़ियों की तरह शब्द निकालता था और फूल के उन कांटों को पेट में इकट्ठा करने लगा था। किसी के पेट में क्या है यह बात कैसे भला कोई पता करे।
पैसा और ताकत, शायद इस गुरुर में थे कि उनके आगे झुकने वाले सिर अगर कभी उठेंगे तो वही भीड़ जिनके सामने उन्हे नौकर कहा जाता है। वही लोग बीच बाजार उसे नौकर कह-कहकर शर्म से मार देंगे। शर्म से न मरा तो उसका पेट दबा के जरुर ही मार देंगे। लेकिन समय सभी को मौका देता है।
यहां समय कई आरोपों के साथ आया। इन आरोपों में सबसे बड़ा आरोप ‘पैसा और ताकत’ की हत्या करने का था। लोगों ने कहा की मेहनत के रास्ते में पैसा और ताकत ऐसी दीवार बनकर खड़े थे जिसको पार कर पाना मेहनत के बस का नहीं था। मेहनत ने कई बार कोशिश की थी मगर हमेशा सिर झुकाए दिवार के सामने खड़ा होना ही पड़ा। पैसा और ताकत जैसे ही उसके रास्ते से हटते हैं उन्हे हटाने का आरोप भी उस पर ही लग जाता है।
आरोपों पर मेहनत ने पसीना बहाया जिसे लोगों ने मगरमच्छ के आंशू कहे। लेकिन अब समय आ गया था। पैसा और पावर के सामने मेहनत के खड़े होने का। झुकी हुई कमर को सीधा करके, आंखों से आंखे मिलाकर बात करने का। जनता भी बटने लगी थी। लालच अभी भी पैसा और ताकत देख रहा था। लेकिन मेहनत हर गल्ली मुहल्ले पर एक दुसरे से चिपक रहा था। साथ आगे बढ़ने और चलने के वादे कर रहा था।
चौक-चौराहे अब एक नया तरीका सीख रहे थे। अब वहां बैठने वाले लोग चेहरा देख कर बात करने वाले बन रहे थे। शब्दों की एक ऐसी छुरी थी उनके हाथ में। जिससे शब्द तो गुलाब जैसा महकता हुआ निकलता था लेकिन धार कांटों की तरह वोट काटने लगी थी। मौसम अब वैसा न रहा था जैसा कि कुछ वर्ष पहले हुआ करता था। पेट पर इतने वर्षों से इकट्ठा हो रहे फूल के कांटे भी अब जुबां से बाहर निकलने लगे थे। सभी जगह उन्ही कांटों की चर्चा थी। लोगों को फूल से भरे रास्ते अब कायरों के घर तक जाते दिखाई देने लगे थे। अब तो लोगों को कांटों पर चलकर खूद का बहता हुआ खून देखकर खुशी होने लगी थी।
Spring ; Blooming Heart by Anupama Sharma
शब्दों के रुप में जुबां से निकल रहे कांटे लोगों के दिलों को घात करने लगे थे। लोग अब अपना जख्म लिए अपने नेता के पास जाने लगे थे। लोगों को महसूस होने लगा था कि उनके साथ धोखा हुआ है। उन्हे गुलाम ही बनाकर रखा गया। आजादी से पहले अंग्रेजों का और अब आजादी के बाद पैसा और ताकत ने गुलाम बना दिया है। हम भारत के लोग कुछ करे या न करें लेकिन जिस दिन यह समझ में आ जाता है कि कोई हमशे गुलामी करवा रहा है उसी दिन उसकी गुलामी को नकारने लगते हैं।
मेहनत जोकि पहले सिर्फ मेहनत थी। अब वह पैसा और ताकत पर कब्जा करने लगती है। मेहनत के पास लोगों का समर्थन है जो चाहते हैं मेहनत पैसा और ताकत को बर्बाद कर दे। लेकिन जब मेहनत पैसा और ताकत के करीब जाती है। तब वह खुद एक नया स्वरुप ले लेती है। वर्तमान में पैसा और ताकत और मेहनत दोनों तरफ हैं। अब संघर्ष की लड़ाई जारी है। जिसका संघर्ष ज्यादा होगा। अंत में विजय पताका उसी के हाथों में शिखर के सबसे ऊंची चोटी पर लहराती हुई आसमान की धीमी हवाओं से बाते करेगी, जिसके पास संघर्ष करने की सबसे ज्यादा क्षमता होगी।