Mumtaz (मुमताज़) – इस वजह से है भारतीय सिनेमा की एक बेहतरीन अदाकारा
लेखिका – स्वाति कुमारी
सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में, तुम भी निकल सको तो चलो
किसी के वासते राहें कहा बदलती हैं
तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो।।
-निदा फ़ाज़ली
निदा फ़ाज़ली की लिखीं गयी ये चंद लाइने, भारतीय सिनेमा की मशहूर अदाकारा “मुमताज़ माधवानी” (Mumtaz Madhvani) की जीवनी पर सटीक बैठती हैं। मुमताज़ (Mumtaz) का जन्म 31 जुलाई 1947 को मशाद के ईरान में हुआ था। इनके पिता, अब्दुल सलीम (Abdul Saleem Askari) अस्कारी और मां शादी हबीब अघा थीं। मुमताज़ के पिता ड्राइ फ्रूट्स बेचा करते थे। मुमताज़ (Mumtaz) के जन्म के एक साल बाद ही, इनके माता-पिता का तलाक हो गया था।
मुमताज़ का शुरूआती दौर-
मुमताज़ (Mumtaz) की एक बड़ी बहन भी थी। जिनका नाम मल्लिका था। मल्लिका ने एक्टर और रेसलर एस एस रंधावा से शादी की थी। रंधावा दारासिंह के बड़े भाई थे। मुमताज़ ने अपने जीवन में बहुत से उतार चढ़ाव देखें। एक दौर ऐसा भी था जब बड़े-बड़े स्टार मुमताज़ के साथ काम नहीं करना चाहते थे। ऐसा इसलिए था, क्योंकि मुमताज़ उस समय एक जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर जानी जाती थी।
वक़्त बदलने में देर नहीं लगती-
इन सब के बावजूद भी मुमताज़ ने हार नहीं मानी। शायद उन्हें पता था कि एक दिन वो लोगों के दिलो में राज करेंगी। कहते हैं, वक़्त बदलने में देर नहीं लगती। समय का पहिया चला और मुमताज़ को जूनियर आर्टिस्ट से स्टंट गर्ल और स्टंट गर्ल से भारतीय सिनेमा की मशहूर अदाकारा बनने में वक़्त नहीं लगा।
मात्रा 12 साल की छोटी सी उम्र में अपने करियर की शुरुआत करने वाली मुमताज़ ने ब्लैक एंड व्हाइट ज़माने से लेकर रंगीन जमाने तक में अपना जलवा बिखेरा। अपने वक़्त के हर स्टार के साथ काम करके उन्होने अपनी एक अलग ही पहचान बनाई।
मुमताज़ (Mumtaz) ने अभिनेत्री के रूप में इस फिल्म से की शुरूआत-
सन् 1958 में मुमताज़ ने सोने की चिड़ियां फिल्म में बाल अभिनेत्री के रूप में काम किया। किशोरी के रूप में 1960 के शुरुआती दशक में वल्लाह क्या बात है, स्त्री और सेहरा में सपोर्टिंग एक्ट्रेस के रूप में काम किया। इन्होंने वयस्क के रूप में कुछ ए- ग्रेड फिल्मे भी की, जिनमें गहरा दाग जैसी फिल्में शामिल हैं।
मुमताज़ और दारा सिंह-
अभिनेत्री के तौर पर मुमताज़ (Mumtaz) ने 15 से 16 फिल्मों में दारा सिंह (Dara Singh) के साथ काम किया। इन्ही फिल्मों से ही इन्हें मुख्य अभिनेत्री का दर्जा मिला। दारा सिंह के साथ काम करने से इन्हें स्टंट गर्ल और एक्शन फिल्में करने वाली एक्ट्रेस का तमगा मिला। जिसके बाद ऐसा कहा जाने लगा कि मुमताज़ रोमेंटिक फिल्में नहीं कर सकती। वे सिर्फ एक्शन फिल्मों के लिए बनी हैं। पर मुमताज़ ने राजेश खन्ना, शशि कपूर,दिलीप कुमार, विनोद खन्ना जैसे बड़े एक्ट्रेस के साथ काम करके एक बार फिर लोगों कि बातों को झूठा साबित कर दिया।
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जिंदगी का हसीन सफर शुरू हो गया उसके बाद से मुमताज़ ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक सफलता कि सीढ़ियां चढ़ती गईं।
मुमताज़ की दारा सिंह के साथ की गई मशहूर फिल्में-
फ़ौलाद वीर भीमसेन, टार्ज़न कम्स टू देल्ही, सिकंदर-ए-आज़म,रूस्तम-ए-हिंद, राका, और डाकू मंगल सिंह हैं। दारा सिंह मुमताज़ को प्यार से स्टंट प्रिंसेस बुलाया करते थे। ये वो दौर था जब मुमताज़ अपनी पहचान बनाने के लिए स्ट्रगल कर रही थी। दारा सिंह मुमताज़ के लिए लक्की साबित हुए क्योंकि इन्हें मुख्य अभिनेत्री का तमगा दारा सिंह की फिल्मों में काम करने के बाद ही मिला था।
दारा सिंह के साथ इतनी फिल्में करने के कारण बॉलीवुड में इन दोनों के नाम पर चर्चा भी होने लगी। लेकिन मुमताज़ दुनिया की बाते अनसुनी करके अपने करियर को बनाने में लगी रही।
फिल्म दो रास्ते ने मुमताज़ को दी एक नई पहचान-
1969 में आई राज खोसला की ब्लॉक बास्टर फिल्म दो रास्ते ने मुमताज़ को एक नई पहचान दी। स्टंट एक्ट्रेस के नाम से जानी जाने वाली अदाकार धीर-धीरे रोमेंस क्वीन बनने की ओर रुख कर रही थी। इस दौर में इनके साथ सबसे पहले काम किया राजेश खन्ना ने। राजेश खन्ना के साथ इनकी जोड़ी को खूब सराहा गया।
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इस जोड़ी ने कभी ना मिटने वाली यादे भारतीय सिनेमा को दी। राजेश खन्ना और मुमताज़ पर फिल्माए गए सभी गीत उस ज़माने के सुपर हिट गीत हुआ करते थे। उनमें से कुछ गीत तो ऐसे भी थे, जिन्हें लोग आज भी गुनगुनाते हैं और किसी और ही दुनिया में खो जाते हैं। इनकी अदा आज भी लोगों को दीवाना बना देती है।
मुमताज़ और राजेश खन्ना की जोड़ी ने मचाया घमाल-
दो रास्ते (1969), बंधन (1969), सच्चा- झूठा (1970), दुश्मन (1971), अपना देश (1972), आपकी कसम (1974), रोटी (1974), प्रेम कहानी (1975) इस फिल्म में राजेश खन्ना के साथ शशि कपूर भी नज़र आए थे। ये कुछ फिल्में हैं, जो उस समय की हिट फिल्में रहीं। राजेश खन्ना और मुमताज़ हर एक फिल्म के साथ भारतीय सिनेमा को चाहने वाले लोगों के दिल में छाप छोड़ते रहे और प्यार की अलख जलाते रहे।
दिलीप कुमार के साथ प्रमुख फिल्में-
मुमताज़ ने अपने फिल्मी कैरियर में दिलीप कुमार, शशि कपूर जैसे कलाकारों के साथ भी किया। दिलीप कुमार के कि गई उनकी फिल्मों में से राम और श्याम (1967), साधु और शैतान (1968) प्रमुख हैं।
मुमताज़ और शशि कपूर-
दिलीप कुमार के साथ अभिनय करने के बाद मुमताज़ नजर आई शशि कपूर की चोर मचाएं शोर (1974) में। इस फिल्म के गीतों को बहुत सराहना मिली। इसी के साथ ही मुमताज़ ने ये साबित कर दिया कि अभिनय उनके खून में शामिल है, उन्हें बस एक प्लेटफॉर्म चाहिए था अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए।
मुमताज़ को मिलें अवॉर्ड एंड हॉनर्स-
1971 में मुमताज़ को फिल्म फेयर अवॉर्ड फॉर बेस्ट एक्ट्रेस से सम्मानित किया गया। 1997 में मुमताज़ को फ़िल्म फेयर लाइफ टाइम अचीमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया। 2008 आइफा अवार्ड फॉर आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट इन इंडियन सिनेमा से भी सम्मानित किया गया। मुमताज़ ने अपने 15 साल के फिल्मी कैरियर में 108 फिल्में की जिनमें से उन्हें खिलौना फिल्म के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड भी मिला।
मुमताज़ (Mumtaz) की शादी के किस्से-
ऐसा कहा जाता है कि शम्मी कपूर मुमताज़ से शादी करना चाहते थे, लेकिन उनकी एक शर्त थी कि मुमताज़ शादी के बाद फिल्में नहीं करेंगी। लेकिन अदाकारी तो मुमताज़ के खून में थी, शायद इसलिए ही उन्होंने शम्मी कपूर से शादी का रिश्ता ठुकरा दिया। मुमताज़ को जब खुद ही लगा कि उन्हें फिल्मों से किनारा कर लेना चाहिए तो उन्होंने मयूर माधवानी से शादी कर ली और फिल्मों से कुछ समय के लिए संन्यास ले लिया।
मुमताज़ की पर्सनल लाइफ और परिवार-
मयूर माधवानी से मुमताज़ की दो बेटियां हुईं, नताशा और तन्या। मुमताज़ ने अपनी बड़ी बेटी नताशा की शादी फिरोज खान के बेटे फरदीन खान से कर दी। परिवार आदि कामो से फ़्री होने के बाद मुमताज़ ने एक बार फिर खुद को फिल्मों में आजमाना चाहा। जिसके बाद वो आंधियां फिल्म में नज़र आईं लेकिन ये फिल्म फ्लॉप हो गई और मुमताज़ ने फिल्मों से हमेशा के लिये संन्यास ले लिया।
कैंसर जैसी ख़तरनाक बीमारी को दे चुकी हैं मात-
मुमताज़ जैसी जिंदादिली अदाकारा के बारे में जो कुछ भी कहा जाए कम है। वे उम्रभर खुद को किसी ना किसी किरदार में ढालकर लोगों का मनोरंजन करती रही हैं। एक वक़्त ऐसा भी आया जब उन्हें कैंसर जैसी ख़तरनाक बीमारी का भी सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने फिल्मी पर्दे की ही तरह जिंदगी से लड़ते हुए कैंसर को मात दे दी।
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