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महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बिगड़े रिश्ते के बीच क्या उद्धव ठाकरे बचा पाएंगे अपनी सरकार ?

महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार ने भले ही अपना एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया हो, लेकिन हाल के राजनीतिक बयानबाजी ने महाराष्ट्र की सियासत में एक नए कयास को जन्म दे दिया है।

महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार ने भले ही अपना एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया हो, लेकिन हाल के राजनीतिक बयानबाजी ने महाराष्ट्र की सियासत में एक नए कयास को जन्म दे दिया है। कयास ये है कि क्या उद्धव ठाकरे अपना कार्यकाल पुरा कर पाऐंगे ? कयास ये कि क्या महाराष्ट्र में फिर से शिवसेना और बीजेपी की सरकार बनेगी ? ये कयास यूंही नहीं लगाए जा रहे है। बीते कुछ समय से महा विकास अघाड़ी के तीनों घटक दलों के बीच मनमुटाव की खबरें आती रही है। कभी सरकारी कामकाज को लेकर तो कभी इन पार्टियों के राजनीतिक विचारधारा को लेकर इनके बीच तनातनी देखने को मिली है।

राजनैतिक पार्टियों के बयानबाज़ी से शिवसेना पर मंडराया खतरा-
विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद जब शिवसेना ने बीजेपी से अपनी राह अलग कर कांग्रेस और एनसीपी का फैसला किया था, तभी से राजनीतिक विश्लेषक इस गठबंधन को बेमेल बता रहे थे। इसका एक मुख्य कारण शिवसेना की हिंदुत्व और कांग्रेस पार्टी की सेक्यूलर छवि थी। हालांकि तीनों घटक दलों के नेता लगातार यह दावा करते है कि उनके बीच सब ठिक है और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार अपना पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा करेगी। लेकिन फिर किसी मुद्दे पर उनकी बयानबाजी उनके दावों को कमजोर साबित कर रहे हैं।

एनसीपी नेता जितेंद्र अवध ने शिवसेना पर साधा निशाना
आपको बता दें कि महाराष्ट्र कैबिनेट मंत्री और एनसीपी नेता जितेंद्र अवध ने रविवार (17 जनवरी) को ठाणे जिले के कल्याण में सड़कों की खराब हालत को लेकर शिवसेना को जिम्मेदार ठहराया। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एनसीपी नेता जितेंद्र ने कहा कि कल्याण की सड़कों की हालत पूरे महाराष्ट्र में सबसे खराब है। जब एनसीपी नेता ने अपने भाषण में खराब सड़क का जिक्र किया, तब उस वक्त मंच पर स्थानीय शिवसेना विधायक विश्वनाथ भोईर भी मौजूद थे। यहां ध्यान देने वाली बात है कि कल्याण डोंबिवली नगर निगम में शिवसेना का शासन है।

औरंगाबाद शहर को लेकर हुई तीखी बहस-
इसके अलावा औरंगाबाद शहर का नाम बदलने को लेकर भी शिवेसना और कांग्रेस के बीच रविवार को तीखी बहस हुई। शिवसेना का कहना है कि यदि किसी को क्रूर एवं धर्मांध मुगल शासक औरंगजेब से लगाव है तो इसे धर्मनिरपेक्षता नहीं कहा जा सकता है। पलटवार करते हुए कांग्रेस ने शिवसेना पर नाम बदलने को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया और उनसे पूछा कि जब वे सत्ता में थी, उस दौरान उन्हें यह मुद्दा क्यों नहीं याद आया?

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राजनीति में भावुकता कि कोई गुंजाइश नहीं-
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोरात ने कहा कि राज्य में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार स्थिर है। हम कॉमन मिनीमम प्रोग्राम के तहत काम कर रहे हैं, और इसमें भावुकता की राजनीति के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। इन तमाम राजनीतिक बयानबाजी पर नजर डालें तो शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं दिख रहा है। अगर जल्द ही तीनों घटक दलों के बीच रिश्ते ठीक नहीं हुए तो उद्धव ठाकरे के बतौर मुख्यमंत्री कार्यकाल पूरा करने पर संशय के बादल मंडराने लगेंगे।

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