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संसद में हुआ खेला! ना कोई चर्चा, ना कोई चुनौती 15 मिनट में कर्मचारियों से छीना हड़ताल का हक!

विपक्ष पेगासस स्पाइवेयर (Pegasus Spyware) से जासूसी के मुद्दे को लेकर हंगामा करता रहा और इसी हंगामे के बीच कई बिल भी पास होते रहे। आज केंद्र सरकार ने आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक-2021 (“Essential Defence Services Bill”) को हंगामे के बीच बीना किसी चर्चा के पास करवा लिया। 

विपक्ष को संसद की परवाह नहीं है। विपक्ष भूल गया है कि संसद की स्थापना किस लिए की गई थी। जिसका पूरा फायदा सत्ताधारी पार्टी संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में उठा रही है। विपक्ष पेगासस स्पाइवेयर (Pegasus spyware) से जासूसी के मुद्दे को लेकर हंगामा करता रहा और इसी हंगामे के बीच कई बिल भी पास होते रहे। आज केंद्र सरकार ने आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक-2021 (“Essential Defence Services Bill”) को हंगामे के बीच बीना किसी चर्चा के पास करवा लिया।

ना कोई चर्चा ना कोई चुनौती 15 मिनट में विधेयक पास-

विपक्ष के हंगामें के बीच कई बार संसद के सदन को स्थगित किया गया लेकिन विपक्ष फिर भी नहीं माना। इसी बीच आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक-2021 को बिना किसी चर्चा और चुनौती के 15 मिनट के भीतर ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इस बीच विपक्ष नारेबाजी करता रहा लेकिन किसी ने विपक्ष की एक ना सुनी। तो वहीं सदन के कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने तर्क दिया कि सरकार जानबूझकर बहस के लिए सहमत नहीं हुई और हंगामे के बीच विधेयक पारित कर दिया।

Essential Defence Services Bill क्या है महत्वपूर्ण बात-

इस विधेयक के पास होते ही केंद्र सरकार के पास एक और शक्ति आ गई है। शक्ति ये कि अब से आवश्यक रक्षा सेवाओं में लगे सरकारी कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने का कोई अधिकार नहीं होगा और साथ ही सरकार जिस भी इकाई को चाहे उसे तालाबंदी में भी खोल सकती है। और वो इकाई सरकार को मना नहीं कर सकती है। इसमें खासकर की आवश्यक सेवाओं को रखा गया है।

Essential Defence Services Bill का मुख्य उद्देश्य-

आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021 का मुख्य उद्देश्य सरकारी आयुध कारखानों के कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से रोकना है। विधेयक में उल्लेख किया गया है कि यह “आवश्यक रक्षा सेवाओं के रखरखाव के लिए है ताकि राष्ट्र की सुरक्षा और बड़े पैमाने पर जनता के जीवन और संपत्ति को सुरक्षित किया जा सके और इससे जुड़े या प्रासंगिक मामलों के लिए”।

Essential Defence Services में क्या-क्या आता है-

पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार, आवश्यक रक्षा सेवाओं में किसी भी प्रतिष्ठान या उपक्रम में कोई भी सेवा शामिल है जो रक्षा से संबंधित उद्देश्यों के लिए आवश्यक वस्तुओं या उपकरणों के उत्पादन से संबंधित है, या सशस्त्र बलों की कोई स्थापना या उनसे या रक्षा से जुड़ी है। आसान शब्दों में वो सभी सेवाएं जो देश की सुरक्षा के लिए जरुरी हैं  इसमें आपका सुरक्षा बल से लेकर कारखाने जोकि सुरक्षा उत्पाद बनाते हैं तक शामिल है इसके अंदर आते हैं। समय समय पर सरकार इसकी परिभाषा बदल सकती है।

इस विधेयक से सरकार को कैसे शक्ति मेलेगी-

विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, सरकार किसी भी सेवा को एक आवश्यक रक्षा सेवा के रूप में घोषित कर सकती है। यदि इसके बंद होने से (i) रक्षा उपकरण या सामान का उत्पादन, (ii) औद्योगिक प्रतिष्ठानों या ऐसी इकाइयों के संचालन या रखरखाव पर असर पड़ना (iii) रक्षा से जुड़े उत्पादों की मरम्मत या रखरखाव पर प्रभाव पड़ सकता है।

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अब से हड़ताल, तालाबंदी और छंटनी पर प्रतिबंध-

यह विधेयक केंद्र सरकार को आवश्यक रक्षा सेवाओं में लगे किसी भी औद्योगिक प्रतिष्ठान या इकाई में हड़ताल और तालाबंदी पर रोक लगाने का अधिकार देता है। संप्रभुता और अखंडता, किसी भी राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता के हित में यदि आवश्यक हो तो सरकार ऐसा आदेश जारी कर सकती है। यह निषेधाज्ञा यानि कि बिना रुके एक बार लागू होने पर छह महीने तक लागू रहेगी और विधेयक के तहत इसे छह महीने और भी बढ़ाया जा सकता है।

विधेयक ना मानने वालों को मिलेगी ये सजा-

इस विधेयक के अनुसार, अवैध तालाबंदी या छंटनी के माध्यम से निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने वाले नियोक्ताओं को एक साल तक की कैद या 10 हजार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकेगा। साथ ही, गैरकानूनी हड़ताल जारी रखने के लिए उकसाने, उकसाने या कार्रवाई करने वाले या जानबूझकर ऐसे उद्देश्यों के लिए पैसे की आपूर्ति करने वाले व्यक्तियों को दो साल तक की कैद या 15 हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

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क्या होगा इस बिल का असर?

बता दें कि जब यह विधेयक लोकसभा में पारित किया जा रहा था,तब क्रांतिकारी सोशलिस्ट पार्टी के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने विधेयक के खिलाफ एक संशोधन भी पेश किया और कहा कि यह विधेयक श्रमिकों के अधिकारों को छीनने वाला है। उन्होंने कहा कि अगर विधेयक कानून बन जाता है तो कम से कम 84 हजार कर्मचारी इससे प्रभावित होंगे। कई रिपोर्टों में कहा गया है कि विधेयक 41 आयुध कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में कार्यरत 70 हजार श्रमिकों को प्रभावित करेगा जिन्हें सरकार आवश्यक रक्षा सेवाओं में लगे होने के रूप में टैग कर सकती है। और फिर हड़ताल करने पर जेल और जुर्माना लगा सकती है।

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