‘डिजिटल वर्क फोर्स’ तैयार करने के लिए ‘डिजिटल स्किलिंग प्रोग्राम’ की शुरुआत हुई
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने सोमवार को नई दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान की उपस्थिति में उभरती और भविष्य की प्रौद्योगिकियों में एक ‘डिजिटल स्किलिंग’ कार्यक्रम की शुरूआत की।
Digital Skilling : अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने सोमवार को नई दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान की उपस्थिति में उभरती और भविष्य की प्रौद्योगिकियों में एक ‘डिजिटल स्किलिंग’ कार्यक्रम की शुरूआत की। ‘डिजिटल स्किलिंग’ 1 करोड़ छात्रों को ‘इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज’ में इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप और रोजगार के माध्यम से स्किलिंग, रीस्किलिंग और अपस्किलिंग पर अपना ध्यान केंद्रित करेगी।
‘डिजिटल स्किलिंग प्रोग्राम’ में भाग लेने वाली प्रमुख कंपनियों में माइक्रोसॉफ्ट, एडब्लूएस, एआई, एड्यूस्किल, गिटहब, माइल्स एडुकेशन, गूगल, वीएम वेयर, स्मार्ट ब्रीज, माईटाट, अमारा राजा, आईडीएस आईएनसी, आईबीएम, अडोब, सेल्सफोर्स, जिएग्लर, एयरोस्पेस, सेलोनिक्स, नैसकॉम, जीएमआर, रेडहैट, पाई-स्क्वायर और निपुणा शामिल हैं।
अपने उद्घाटन भाषण में बोलते हुए, केंद्रीय शिक्षा मंत्री, श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “जब ‘ह्यूमन कैपिटल’ की बात आती है तब भारत में व्यापक संभावनाएं नजर आती हैं, विशेष रूप से आगे आने वाले मजबूत जनसांख्यिकीय लाभांश को देखते हुए। यह कार्यक्रम सही आवेदकों को कौशल प्रशिक्षकों से और उभरती प्रौद्योगिकी के विभिन्न पाठ्यक्रम को एक साथ जोड़ने में कारगर है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, बिग डेटा, डेटा एनालिटिक्स, साइबर सुरक्षा और क्लाउड कंप्यूटिंग शामिल है। यह देश के लिए हमारे माननीय पीएम मोदीजी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को पूरा करने के लिए एक सक्रिय कदम है।”
” आज के युवा प्रौद्योगिकी को जल्दी से सीख लेते हैं क्योंकि यह उनके स्वभाव में है। भारत में महामारी की शुरुआत में पीपीई किट नहीं थी, और हमने उस वक्त इस चुनौती का सामने करने के लिए देश में ही पीपीई कीट का निर्माण करना शुरु किया। उस वक्त भारत के पास टीके नहीं थे, लेकिन अब हमने न केवल अपनी आबादी का टीकाकरण किया, बल्कि दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं को भी टीके प्रदान किए। भारत में मौजूदा 40 करोड़ी ‘वर्क फोर्स’ में से 15-20 करोड़ ‘व्हाइट कॉलर वर्कर’ तैयार करने की जरुरत है। आज, जीवन का हर पहलू प्रौद्योगिकी और डिजिटलीकरण से जुड़ा हुआ है। सभी खरीद, ऑर्डर और भुगतान अब ऑनलाइन होते हैं। हमें भारत में पुन: कौशल का एक जन आंदोलन बनाना है।”
माननीय राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय ने कहा, “भारत पिछले एक दशक में तकनीकी शिक्षा के लिए एक उभरता हुआ देश बन गया है। इसने विनिर्माण और व्यवसाय संचालन के मामले में कई अवसर उत्पन्न हुए हैं। जिस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत ने अपने तकनीकी कौशल को सही दिशा में बढ़ाना शुरू कर दिया है। हमें खुशी है कि इस कार्यक्रम से एक करोड़ युवा कौशल और रोजगार के मामले में लाभान्वित होंगे।”
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“कोरोनाकाल के बाद अवसरों का परिदृश्य बदल गया है जिससे अब डिजिटलीकरण में बढ़ोत्ररी हुई है। इसका परिणाम आज यह है कि भारतीय या वैश्विक अर्थव्यवस्था का कोई भी पहलू डिजिटलीकरण से अछूता नहीं है। हम तकनीक के नेतृत्व वाले भारतीय यूनिकॉर्न का उदय देख रहे हैं। डिजिटलीकरण के लिए प्रतिभा की आवश्यकता दुनिया को है उसकी उपल्बधता और जरुरत के बीच में भारी कमी है। विश्व उद्यमों के लिए नई तकनीक की आवश्यकता है। भारत के पास ट्रिलियन-डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था का स्वागत करने का एक बड़ा अवसर है, जिसके लिए हमें नए क्षेत्रों में कुशल प्रतिभा की आवश्यकता है।”
श्री धर्मेंद्र प्रधान ने शिक्षा-तकनीक निर्माताओं से भारतीय भाषाओं में शिक्षण सामग्री तैयार करने का आग्रह करते हुए कहा, “इस कार्यक्रम में भाग लेने वाली प्रमुख कंपनियों के प्रवक्ताओं ने ‘डिजिटल अपस्किलिंग’ की आवश्यकता और आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों पर इसके व्यापक प्रभाव के बारे में बात की”।
एआईसीटीई के अध्यक्ष डॉ. अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा, “हम भविष्य के उद्यमियों को उनकी युवावस्था से ही प्रशिक्षित करने की योजना बना रहे हैं। ‘डिजिटल स्किलिंग’ कार्यक्रम छात्रों और औद्योगिक कंपनियों के बीच की खाई को पाटने का भी काम करेगा। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि यह 7वीं कक्षा के छात्रों से शुरु हो रहा है जहां एक स्कूल में पढ़ रहे छात्र को भी बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ सीखने का मौका मिलेगा। इससे आप सोच सकते हैं कि हमारे देश के युवाओं का भविष्य समृद्ध रहेगा। इसके लिए हमें भविष्य के लिए शीर्ष बाजार की अग्रणी कंपनियों में छात्रों के लिए एक्सपोजर तैयार करना है नहीं तो यह सपना पूरा कर पाना कठीन होगा। ”
यह एआईसीटीई, शिक्षा मंत्रालय, कौशल मंत्रालय और संबद्ध एनएसडीसी, और कौशल भारत कार्यक्रमों (प्रौद्योगिकी के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन) जैसे शीर्ष मंत्रालयों के बीच पहली बार राष्ट्रीय स्तर किसी पहल के लिए एक साथ सामने आए हैं। बता दें कि 100 से अधिक प्रौद्योगिकी ‘कॉर्पोरेट/मैन्युफैक्चरिंग’ फर्में पहले से ही इस मंच पर मुफ्त में उभरती हुई प्रौद्योगिकी सर्टिफिकेट प्रदान करने के लिए शामिल हो चुकी हैं।
एआईसीटीई के सीओओ श्री बुद्ध चंद्रशेखर ने कहा, “हमारे देश भारत को दुनिया की प्रौद्योगिकी राजधानी बनाने की दृष्टि से, एआईसीटीई ने केंद्र सरकार के समर्थन से इस अभियान की शुरुआत की है। प्रत्येक भारतीय छात्र के लिए प्रौद्योगिकी का वादा करते हुए, इस पहल का उद्देश्य मूल्यांकन, प्रशिक्षण, अभ्यास, प्रशिक्षु, प्रदर्शन, प्रमाणित और नियोजित करना है। इसी के साथ 1 करोड़ से अधिक छात्रों को पंजीकृत करने के साथ उन्हें 3 से 6 महीने के लिए उभरते क्षेत्रों में प्रशिक्षित करने की कल्पना लिए आज इस पहल की शुरुआत हो रही है।”
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण से सकल घरेलू उत्पाद का योगदान बढ़ रहा है, जिससे उद्योगों की विविध मांगों को पूरा करने वाली कौशल पहलों को लाना अनिवार्य हो गया है। एआईसीटीई, इस पहल के माध्यम से, केंद्र के सक्रिय समर्थन से देश के कोने-कोने में नौकरी के लिए भर्ती करने वाले और कौशल प्रशिक्षकों का सृजन करेगा। एआईसीटीई ‘डिजिटल स्किलिंग’ के माध्यम से कक्षा 7वीं से स्नातक तक के छात्रों के लिए तकनीकी क्षेत्र में इंटर्नशिप के अवसर देगा।
डॉ राजीव कुमार, सदस्य सचिव, एआईसीटीई ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया और कहा, “मैं इस पहल को शुरू करने के लिए इस अवसर पर सम्मानित अतिथि के रूप में माननीय श्री धर्मेंद्र प्रधान जी, केंद्रीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार और माननीय राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय और हमारे सलाहकार और मेंटर एआईसीटीई, अध्यक्ष डॉ. अनिल सहस्रबुद्धे जी को उनके मार्गदर्शन और समर्थन के लिए को धन्यवाद देता हूं।”