देशव्यापार

Flipkart, Amazon पर एक्स्ट्रा चार्ज को लेकर सरकार सख्त: केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ‘डार्क पैटर्न’ की जांच के दिए आदेश

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म 'एक्स' (पहले ट्विटर) पर एक यूज़र का पोस्ट वायरल हुआ, जिसमें फ्लिपकार्ट ऑर्डर के चेकआउट के दौरान लगाए गए कई अस्पष्ट शुल्कों (जैसे 'ऑफर हैंडलिंग फीस', 'पेमेंट हैंडलिंग फीस', 'प्रोटेक्ट प्रॉमिस फीस') का स्क्रीनशॉट साझा किया गया था। इन अतिरिक्त शुल्कों की कुल राशि ₹226 थी। यूज़र ने शिकायत की कि इन शुल्कों से विज्ञापित छूटों का लाभ कम हो जाता है, जिससे ग्राहक भ्रमित होते हैं और उत्पाद की अंतिम कीमत बढ़ जाती है।

नई दिल्ली: त्योहारी बिक्री (Festive Sale) के दौरान ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स (E-commerce Platforms) जैसे फ्लिपकार्ट (Flipkart) और अमेज़न (Amazon) द्वारा ग्राहकों से कैश-ऑन-डिलीवरी (COD) और अन्य शुल्कों के नाम पर मनमाना अतिरिक्त शुल्क लेने के मामले पर केंद्र सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी (Pralhad Joshi) ने इस तरह के शुल्कों को ‘डार्क पैटर्न’ (Dark Pattern) बताते हुए, विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वादा किया है।

क्या है मामला?

हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर एक यूजर का पोस्ट वायरल हुआ था, जिसमें उसने फ्लिपकार्ट से एक ऑर्डर के चेकआउट के दौरान लगाए गए कई शुल्कों का स्क्रीनशॉट साझा किया था। इस स्क्रीनशॉट में ‘ऑफर हैंडलिंग फीस’, ‘पेमेंट हैंडलिंग फीस’ और ‘प्रोटेक्ट प्रॉमिस फीस’ जैसे अस्पष्ट शुल्क शामिल थे, जिनकी कुल राशि ₹226 थी। ग्राहक ने शिकायत की थी कि विज्ञापित छूट के बावजूद, ये अतिरिक्त शुल्क उत्पाद की कुल कीमत को बढ़ा देते हैं, जिससे ग्राहकों को भ्रमित किया जाता है और वे अनजाने में अधिक भुगतान करते हैं।

केंद्रीय मंत्री का सख्त बयान

वायरल पोस्ट पर तुरंत संज्ञान लेते हुए, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ‘एक्स’ पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, “उपभोक्ता मामलों के विभाग (Department of Consumer Affairs) को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स द्वारा कैश-ऑन-डिलीवरी पर अतिरिक्त शुल्क लेने की शिकायतें मिली हैं, यह एक ऐसा तरीका है जिसे ‘डार्क पैटर्न’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है जो उपभोक्ताओं को गुमराह और उनका शोषण करता है।”

मंत्री ने आगे कहा, “एक विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है और इन प्लेटफॉर्म्स की बारीकी से जांच करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पारदर्शिता सुनिश्चित करने और भारत के बढ़ते ई-कॉमर्स क्षेत्र में उचित व्यवहार बनाए रखने के लिए सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

‘डार्क पैटर्न’ क्या है?

‘डार्क पैटर्न’ उन भ्रामक युक्तियों और डिज़ाइन रणनीतियों को कहते हैं, जिनका उपयोग डिजिटल प्लेटफॉर्म ग्राहकों को गुमराह करके अनपेक्षित खरीदारी करने, सदस्यता लेने या छिपे हुए शुल्क देने के लिए करते हैं। सरकार पहले ही ‘ड्रिप प्राइसिंग’ (Drip Pricing), ‘फाल्स अर्जेंसी’ (False Urgency) और ‘डिस्गाइज्ड एडवरटाइजमेंट्स’ (Disguised Advertisements) जैसे कई ‘डार्क पैटर्न’ पर रोक लगा चुकी है।

केंद्रीय मंत्री का यह कदम ऐसे समय में आया है जब भारत में ऑनलाइन खरीदारी तेजी से बढ़ रही है और त्योहारी सीजन की बिक्री जोरों पर है, जहां करोड़ों ग्राहक इन प्लेटफॉर्म्स पर भारी छूट की उम्मीद में खरीदारी करते हैं। सरकार की इस सख्ती से ई-कॉमर्स कंपनियों पर पारदर्शिता बढ़ाने और उपभोक्ता हितों की रक्षा करने का दबाव बढ़ गया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि वह ग्राहकों के शोषण को रोकने के लिए इन प्लेटफॉर्म्स पर कड़ी निगरानी रखेगा।

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