आईटी अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सरकार ने उठाया कदम: “सूचना प्रबंधन” पर कार्यशाला का आयोजन
मध्यस्थ प्लेटफार्मों पर सूचना प्रबंधन कार्यशाला को संबोधित करते हुए, कृष्णन ने आईटी अधिनियम के इन दो महत्वपूर्ण प्रावधानों के बीच के अंतर को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि धारा 69ए सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था जैसे कारणों से ऑनलाइन कंटेंट को ब्लॉक करने का अधिकार देती है, जबकि धारा 79 मध्यस्थों को गैरकानूनी सूचना हटाने या पहुँच को अक्षम करने के लिए नोटिस भेजने से संबंधित है, जिससे उनके दायित्व और संभावित जवाबदेही को सूचित किया जाता है।

नई दिल्ली: डिजिटल प्लेटफॉर्म के तेजी से बढ़ते दायरे के बीच गैरकानूनी सूचनाओं पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने आज नई दिल्ली में “मध्यस्थ प्लेटफार्मों पर सूचना प्रबंधन” विषय पर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यशाला आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69ए और 79(3)(बी) के तहत शक्तियों के विवेकपूर्ण और स्पष्ट प्रयोग की आवश्यकता पर केंद्रित थी, जैसा कि एमईआईटीवाई के सचिव श्री एस. कृष्णन ने जोर देकर कहा।
मध्यस्थों को नोटिस देने में स्पष्टता और एकरूपता की मांग
कार्यशाला को संबोधित करते हुए, कृष्णन ने आईटी अधिनियम के इन दो महत्वपूर्ण प्रावधानों के बीच के अंतर को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि धारा 69ए सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था जैसे कारणों से ऑनलाइन कंटेंट को ब्लॉक करने का अधिकार देती है, जबकि धारा 79 मध्यस्थों को गैरकानूनी सूचना हटाने या पहुँच को अक्षम करने के लिए नोटिस भेजने से संबंधित है, जिससे उनके दायित्व और संभावित जवाबदेही को सूचित किया जाता है।
सचिव ने इस बात पर विशेष बल दिया कि धारा 79(3)(बी) के तहत मध्यस्थों को जारी किए जाने वाले नोटिस पूरी तरह से मानकीकृत होने चाहिए। उन्होंने आगाह किया कि इन नोटिसों में धारा 69ए के समान निर्देश/आदेश नहीं होने चाहिए क्योंकि दोनों प्रावधानों का दायरा भिन्न है। उन्होंने कहा कि नोटिसों की भाषा स्पष्ट होनी चाहिए और उनमें प्रासंगिक कानूनी प्रावधान, स्पष्टता और एकरूपता जैसे ज़रुरी तत्व शामिल होने चाहिए ताकि वे न्यायिक जाँच का सामना कर सकें।
फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं पर लगाम लगाने की पहल
कार्यशाला के स्वागत भाषण में, संयुक्त सचिव (साइबर कानून) श्री अजीत कुमार ने फर्जी खबरों, गलत सूचनाओं और सूचना प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग के कारण बढ़ती चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नोटिसों में कमियों के कारण अक्सर न्यायिक चुनौतियाँ सामने आती हैं, इसलिए एक व्यापक और मानकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की सख्त जरूरत है।
कार्यशाला का मुख्य लक्ष्य गुणवत्तापूर्ण नोटिस तैयार करने के लिए एक मानकीकृत प्रारूप अपनाने पर सरकारी विभागों के बीच आम सहमति बनाना था। इस पहल से कार्यान्वयन में अधिक स्पष्टता, एकरूपता और प्रभावशीलता सुनिश्चित होने की उम्मीद है, जिससे गैरकानूनी सूचनाओं पर लगाम लगाने के प्रयास सुव्यवस्थित हो सकेंगे।
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इस महत्वपूर्ण कार्यशाला में भारतीय अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी), विधिक कार्य विभाग (डीओएलए), भारतीय सेना सहित विभिन्न मंत्रालयों एवं सरकारी विभागों के प्रतिनिधियों और एमईआईटीवाई के विषय विशेषज्ञ एक मंच पर एकत्रित हुए। सरकार ने सभी हितधारकों से मानकीकृत प्रक्रियाओं का पालन करने और प्रभावी डिजिटल शासन सुनिश्चित करने के लिए नोटिसों में ज़रुरी तत्वों को शामिल करने की अपील की है।