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पीएम मोदी को अखिलेश यादव ने आंदोलन पर ऐसे पढ़ाया पाठ!

किसान आंदोलन के बीच संसद में राजनीतिक दलों के बीच तनातनी जारी है। पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में किसान आंदोलन पर धावा बोला। जिसपर अब सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता पलटवार कर रहे हैं।

किसान आंदोलन के बीच संसद में राजनीतिक दलों के बीच तनातनी जारी है। पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में किसान आंदोलन पर धावा बोला। जिसपर अब सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता पलटवार कर रहे हैं। पीएम मोदी के आंदोलनजीवी वाले बयान को लेकर लोकसभा में अखिलेश यादव ने भी घेरा। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने नया शब्द चंदाजीवी दिया। चंदाजीवी सुन बीजेपी के सांसद बौखला उठे। जिससे संसद में अखिलेश यादव के बयान के बाद माहौल गर्म हो गया।

अखिलेश यादव ने किसे चंदाजीवी कहा?

पीएम मोदी ने किसान आंदोलन को लेकर कहां कि देश में नए तरह के आंदोलनजीवी पैदा हो गए हैं। जिसके तर्ज पर ही अखिलेश यादव ने पूछा कि अगर आंदोलन करने वाले आंदोलन जीवी हो गए तो फिर, ‘उन लोगों को क्या कहना चाहिए जो दान लेने के लिए बाहर जाते हैं? क्या वे चंदा जीवी संगठन के सदस्य नहीं है?’ ये बात उन्होंने देशभर में राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन और विश्व हिंदू परिषद को निशाना बनाते हुए कही। क्योंकि देश में इस वक्त ये ही संगठन हैं, जो बड़े स्तर पर चंदा इकट्ठा कर रही हैं।

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अखिलेश ने बताया आंदोलन क्यों है जरूरी

अखिलेश यादव ने पीएम मोदी को घेरते हुए संसद के सदन में आंदोलन का महत्व बताया। पीएम मोदी ने कहा था कि पिछले कुछ समय से इस देश में आंदोलन जीवियों की एक नई जमात पैदा हुई है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती। जिसपर अखिलेश यादव ने कहा कि देश को आंदोलन से ही आजादी मिली है। आंदोलन के माध्यम से ही ‘महिलाओं को वोट डालने का अधिकार’ जैसे तमाम अधिकार लोगों को मिले हैं। महात्मा गांधी भी राष्ट्र के पिता आंदोलन करने से ही बने। इसके लिए ही वो अफ्रीका से भारत आए। इसीलिए लोकतंत्र में आंदोलन जरूरी है।

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MSP को लेकर अखिलेश का सवाल

लोकसभा में अखिलेश यादव किसान आंदोलन को लेकर बोले। उन्होंने कहा कि कल मैंने एमएसपी था, एमएसपी है और एमएसपी रहेगा सुना। पर ये सिर्फ भाषण में है लेकिन जमीन पर नहीं। किसानों को ये नहीं मिल रहा है। मैं आंदोलनकारी किसानों को बधाई देता हूं कि उन्होंने पूरे भारत के किसानों को जगाया है। साथ ही कहा सरकार को कानून वापस ले लेने चाहिए अगर किसान इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं तो।

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