दिल्ली

WHO के खतरनाक स्तर से बीस गुना ज्यादा दिल्ली में प्रदूषण का स्तर

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में रहने वालों के लिए प्रदूषण (Delhi Pollution) एक गंभीर समस्या के रुप में छाया हुआ है। शहर में बढ़ते प्रदूषण और धुंध के बीच सांस लेने के लिए लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में रहने वालों के लिए प्रदूषण (Delhi Pollution) एक गंभीर समस्या के रुप में छाया हुआ है। शहर में बढ़ते प्रदूषण और धुंध के बीच सांस लेने के लिए लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है। दिल्ली में हुए एक शोध ने दावा किया है कि घर के अंदर वायु प्रदूषण का स्तर बाहर फैले वायु प्रदूषण से भी ज्यादा खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।

दिल्ली में इनडोर है ज्यादा प्रदूषण-

एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट शिकागो विश्वविद्यालय (Energy Policy Institute at the University of Chicago) में किए गए अध्ययन में दावा किया गया है कि नई दिल्ली में इनडोर वायु प्रदूषण (घर और ऑफिस के अंदर) का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों से लगभग बीस गुना अधिक है।

PM 2.5 का फेफड़ो पर वार-

विशेषज्ञों के अनुसार, पीएम 2.5 का स्तर सरकारी पोर्टलों पर बताए गए बाहरी वायु प्रदूषण (Delhi Pollution) के स्तर से काफी अधिक पाया गया। पीएम 2.5 हवा में छोटे-छोटे कण होते हैं जो फेफड़ों को भी अत्यधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं।

अध्ययन में कहा गया कि दिल्ली में, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई अमीर और कोई गरीब है, किसी को भी स्वच्छ हवा में सांस लेने को नहीं मिलता है। यह एक जटिल दुष्चक्र है। जब आप अपने घरों के अंदर प्रदूषण के स्तर के बारे में नहीं जानते हैं, तो आप इसके बारे में चिंता नहीं करते हैं, और इसलिए आपके सुधारात्मक कार्रवाई करने की संभावना कम होती है। जागरूकता बढ़ने से ही स्वच्छ हवा की मांग बढ़ सकती है।

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बाहर से ज्यादा घर में दो गुना प्रदूषण-

विशेषज्ञों ने दावा किया है कि अधिकांश लोग वायु प्रदूषण (Delhi Pollution) के संपर्क में बाहर की बजाय घर के अंदर हो रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPS) के विशेषज्ञों के अनुसार, इनडोर वायु प्रदूषक का स्तर बाहरी की तुलना में घर के अंदर दो से पांच गुना अधिक है। यह अध्ययन परिणाम ऐसे समय में आया है जब दिल्ली ने पिछले छह वर्षों में अपने सबसे खराब नवंबर वायु प्रदूषण स्तरों में से एक दर्ज किया है। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि निवासियों को इस साल नवंबर के पूरे महीने के लिए ‘अच्छी’ वायु गुणवत्ता का एक दिन भी नहीं मिला।

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