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फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में राज्य को मिली बड़ी कामयाबी, अब कुल केस एक लाख से कम हुए

70% हाइड्रोसील के बैकलॉग केसों की सर्जरी व एम.एम.डी.पी. क्लिनिक बनाना है प्रमुख उदेश्य। राज्य में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को लेकर सरकार पूरी तरह से सजग है और पिछले कुछ वर्षों में हुए प्रयासों से यह दिख रहा है कि राज्य ने निश्चित तौर पर आशातीत सफलता भी प्राप्त की है ।

राज्य में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को लेकर सरकार पूरी तरह से सजग है और पिछले कुछ वर्षों में हुए प्रयासों से यह दिख रहा है कि राज्य ने निश्चित तौर पर आशातीत सफलता भी प्राप्त की है । राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2021 के अंत तक प्रदान किए गए आंकड़ों के आधार पर फाइलेरिया के सबसे ज्यादा केस लिम्फोएडेमा या हाथीपांव के दर्ज किए गए हैं जिनके प्रबंधन के लिए सरकार ने हाल ही में MMDP क्लीनिक को प्रत्येक जिले व प्रखण्ड स्तर पर बनाने का एक निर्देश हाल ही में जिलों को भेजा गया है ।

बिहार सरकार के द्वारा एकत्रित 2021 के आंकड़ों के मुताबिक पूरे राज्य में लिम्फोएडेमा या हाथीपांव के कुल 77000 केस को चिन्हित किया गया है और हाइड्रोसील के 17076 केस राज्य में मिलें हैं । राज्य द्वारा इन सभी चिन्हित केसों के प्रबंधन के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है और हाल ही में कार्यपालक निदेशक के निर्देशानुसार सभी जिलों को 70% हाइड्रोसील के बैकलॉग केस को सर्जरी करके उन्हें पुनः सामान्य जीवन प्रदान करने के लिए राज्य द्वारा सतत प्रयास किया जा रहा है । वहीं हाथीपांव से ग्रसित व्यक्तियों के लिए MMDP क्लीनिक कि स्थापना तथा MMDP किट के लिए भी निरंतर प्रयास किया जा रहा है।

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सरकारी रिपोर्ट के आधार पर राज्य में सबसे अधिक हाथीपांव के केस समस्तीपुर में सामने आएं हैं, जिनकी संख्या लगभग 16977 तो वहीं गोपालगंज में 6225 केस, मुंगेर में 5380, गया में 4792, पूर्वी चंपारण में 4538, सारण में 4028, सीवान 3955 और वैशाली 3446 मामले चिन्हित हुए हैं । अन्य जिलों में संख्या लगभग 100 से 500 के आस-पास के केसों को दर्ज किया गया है ।

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वहीं बिहार सरकार द्वारा जारी 2021 के आंकड़ों के मुताबिक हाइड्रोसील के राज्य में मिले कुल 17076 केस में सबसे अधिक 4612 केस गया में मिले हैं । इसके बाद पूर्णिया में 1538, मुंगेर में 1178 केस, पूर्वी चंपारण में 1040, समस्तीपुर में 1035 केस, मधुबनी में 29, शिवहर में 39 और भागलपुर में मात्र 40 केस ही दर्ज हुए है । वहीं कई अन्य जिले ऐसे भी हैं जिनमें यह संख्या 500 से 1000 के बीच है।

अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी फाइलेरिया के कार्यालय में कार्यरत राज्य सलाहकार फाइलेरिया, डॉ अनुज सिंह रावत ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के दो प्रमुख भाग है जिनमें प्रथम एम.डी.ए. (Mass Drug Administration) व दूसरा एम.एम.डी.पी. (Morbidity Management & Disability Prevention) है । राज्य द्वारा इस सफलता में सभी सहयोगी संस्थाओं का काफी सहयोग भी प्राप्त हो रहा है । हाल ही में राज्य द्वारा सभी जिलों में MMDP क्लिनिक की स्थापना, हाइड्रोसील के मरीजों की सर्जरी, MDA के दौरान राज्य स्तरीय पर्यवेक्षण, सभी तरह के फ़ारमैट और रिपोर्ट का डिजिटलीकरण के साथ- साथ राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है जिससे कार्यक्रम को सफल बनाया जा सके । हाल ही में विभिन्न जिलों में हुए कार्यक्रम की समीक्षा में पाया गया है कि निश्चित तौर पर लोगों में जागरूकता बढ़ी है और अब लोग पहले से बहुत अधिक सहयोग प्रदान कर रहे हैं।

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