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भीमा कोरेगांव केस: कवि वरवरा राव को अदलत से मिली 6 महीने की जमानत, जानें क्या है पुरा मामला?

भीमा कोरेगांव केस मामले में बंबई हाईकोर्ट ने सोमवार यानि आज कवि वरवरा राव को 6 महीने की अंतरिम जमानत मेडिकल आधार पर मंजूरी दे दी है।

भीमा कोरेगांव केस मामले में बंबई हाईकोर्ट ने सोमवार यानि आज कवि वरवरा राव को 6 महीने की अंतरिम जमानत मेडिकल आधार पर मंजूरी दे दी है। साथ ही कोर्ट ने उन्हें हिदायत दी है कि वह मुंबई में ही रहे और जब भी जांच के लिए उनकी जरूरत पड़े वह उपलब्ध रहें। बता दें, इस मामले की जांच राष्टीय एजेंसी एनआईए (NIA) कर रही है। वरवरा राव की वकील इंदिरा जयसिंह ने अपने मुव्वकिल की सेहत का हवाला देते हुए बॉम्बें हाइकोर्ट से अंतरिम जमानत का अनुरोध किया था। वरवरा राव पर कोरेगांव की जंग की 200वीं वर्षगांठ के जश्न के मौके पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा है।

क्या हैं पुरा मामला?
1 जनवरी 2018 को महाराष्ट्र के पुणे जिले के भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था। ईस्ट इंडिया कंपनी और महाराष्ट्र सेना के बीच हुए युद्ध और उसमें मराठों की हार की 200वीं वर्षगांठ पर जश्न के बाद हिंसा भड़की थी। इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे। इस मामले की जांच कर रहे नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने आरोप लगाया था कि राव भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी और उसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए षड्यंत्र कार्यों से संपर्क में रहिए। इस मामले में बर्बर राव के अलावा सुधीर झा वाले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गेंडलिंग, अरुण फरेरा, वर्नन गोंसालवेस, हनी बाबू, शोभा सेन, महेश राउत, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबडे को भी गिरफ्तार किया गया था।

एनआईए ने लगाया ये आरोप-
वरवर राव ‌पर प्रतिबंधित माओवादी संगठनों के नेताओं के संपर्क में रहने, उन्हें सूचनाएं और धन राशि पहुंचाने, युवाओं को माओवादी संगठन में शामिल कर उन्हें उकसाने के आरोप हैं। इस जांच के दौरान पुलिस को माओवादियों की चिट्ठी मिली। जिससे प्रधानमंत्री की हत्या की साज़िश का खुलासा हुआ। इसी चिट्ठी में वरवर राव का भी जिक्र है।

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वरवर पर एक नजर-
वरवर राव खुद एक कवि हैं। मार्क्सवादी आलोचक के रूप में उनकी खास पहचान है। वें प्राध्यापक भी रहें हैं। कई सालों तक उन्होंने कालेजों में साहित्य भी पढ़ाया है। सवर्ण जाति से होने के बावजूद वरवर राव को दलित आदिवासियों और पिछड़ी जाति लोगों के पक्ष में आवाज उठाने वालें नेता के रूप में वरवर राव शुरू से ही नक्सलियों और माओवादियों का समर्थक होने की वजह से विवादों में ‌रहें हैं।

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