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Bangladesh में ISKCON Radhakanta Temple पर 200 लोगों ने किया हमला

बांग्लादेश (Bangladesh) की राजधानी ढाका (Dhaka) में इस्कॉन राधाकांत मंदिर (ISKCON Radhakanta temple) में गुरुवार, 17 मार्च की रात करीब 200 से अधिक लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया।

बांग्लादेश (Bangladesh) की राजधानी ढाका (Dhaka) में इस्कॉन राधाकांत मंदिर (ISKCON Radhakanta temple) में गुरुवार, 17 मार्च की रात करीब 200 से अधिक लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया। इस दौरान इस्कॉन मंदिर में आए श्रद्धालु गौर पूर्णिमा उत्सव की तैयारी कर रहे थे। जब उन पर घात लगाए हमलावरों ने हमला किया। इससे पहले की बांग्लादेश की पुलिस वहां पहुंची सभी हमलावर भागने में कामयाब रहे।

बांग्लादेश में हो रहे हैं लगातार ऐसे हमले –

तस्वीरों में साफ है कि किस तरह से हमलावरों ने हमला कर पूरी दिवार को तोड़ दिया है। इस तस्वीर को साझा करने वाले पेज ने ट्वीटर पर लिखा, “शब-ए-बरात की रात ढाका के वारी राधाकांत #इस्कॉन मंदिर पर फिर से चरमपंथी हमला कर रहे हैं। हम सभी हिंदुओं से अनुरोध कर रहे हैं कि वे मंदिर की रक्षा में अपनी भूमिका निभाएं।”

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बांग्लादेश में हुए हमले पर बोले इस्कॉन पदाधिकारी –

बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर पर हुए हमले पर बोलते हुए वीपी, इस्कॉन कोलकता ने कहा, “बीती शाम जब श्रद्धालु गौर पूर्णिमा उत्सव की तैयारी कर रहे थे, 200 लोगों की भीड़ ने श्री राधाकांत मंदिर, ढाका के परिसर में प्रवेश किया और उन पर हमला किया, उनमें से 3 हाथापाई में घायल हो गए। सौभाग्य से, उन्होंने पुलिस को बुलाया और बदमाशों को भगाने में सफल रहे।”

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विश्व हिंदू परिषद ने हमले की निंदा की –

विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने शनिवार को ढाका में इस्कॉन मंदिर पर हुए इस हमले की निंदा की और बांग्लादेश सरकार से देश में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपाय करने का आह्वान किया। इसी के साथ ही विश्व हिंदू परिषद ने नरेंद्र मोदी सरकार से ढाका की घटना का संज्ञान लेने की भी अपील की।

बता दें कि इस्कॉन मंदिर पर हाल ही में पिछले अक्टूबर में हमला हुआ था। जिसको लेकर काफी विवाद भी हुआ था। यह हमला बांग्लादेश के नोआखली शहर में एक इस्कॉन मंदिर में हुआ था जिसमें तोड़फोड़ की गई थी। वहीं 16 अक्टूबर को भीड़ द्वारा एक इस्कॉन मंदिर के एक भक्त की हत्या कर दी गई थी।

इससे पहले, पिछले साल 13 अक्टूबर को कमिला में एक पूजा मंडप में कुरान के अपमान के आरोपों के बाद बांग्लादेश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया था, जिससे देशभर के कई जिलों में हिंसा हुई थी।

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