पराली प्रबंधन पर केंद्र और राज्यों ने कसी कमर: जागरूकता, सीधी बुवाई और विविधीकरण पर ज़ोर
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यों द्वारा पराली प्रबंधन के प्रयासों की सराहना करते हुए निरंतर प्रयास की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि किसानों के बीच जनजागरूकता बढ़ाना सबसे महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली: पराली जलाने की घटनाओं से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने आज कृषि भवन, नई दिल्ली में एक संयुक्त और अहम बैठक की। इस वर्चुअल बैठक में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्रियों के साथ-साथ दिल्ली के पर्यावरण मंत्री भी शामिल हुए, जहाँ जागरूकता, वित्तीय सहायता, फसल विविधीकरण और प्रभावी निगरानी पर व्यापक चर्चा हुई।
किसानों को जागरूक करना अत्यंत आवश्यक: शिवराज चौहान
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यों द्वारा पराली प्रबंधन के प्रयासों की सराहना करते हुए निरंतर प्रयास की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि किसानों के बीच जनजागरूकता बढ़ाना सबसे महत्वपूर्ण है।
चौहान ने सुझाव दिया:
- जागरूकता अभियान में पंचायत और ग्रामीण स्तर पर जनप्रतिनिधियों और नोडल अधिकारियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
- सीधी बुवाई (Direct Seeding) को प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने घोषणा की कि वह 12 अक्टूबर को अपने खेत में धान कटने के बाद सीधे गेहूं की बुवाई करके किसानों को प्रेरित करेंगे।
- रोटावेटर चॉपर, बायो डी-कम्पोज़र और मलचिंग जैसे उपकरणों का उपयोग बढ़ाया जाए।
- बायो सीएनजी, इथेनॉल संयंत्रों और अन्य उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए।
केंद्रीय मंत्री ने राज्यों के कृषि मंत्रियों से पराली प्रबंधन के लिए आवंटित धनराशि का उचित और समय पर खर्च सुनिश्चित करने को कहा, ताकि मशीनों की उपलब्धता की समस्या न हो। उन्होंने रियल टाइम मॉनिटरिंग यानी आंखों देखी निगरानी की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
समन्वित प्रयास और उपयोग पर बल: भूपेंद्र यादव
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने पराली प्रबंधन के लिए राज्यों के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने अगले 10 दिनों में कृषि मंत्रालय और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय पर जोर दिया। यादव ने पराली के संग्रहण और भंडारण को सबसे आवश्यक बताया, ताकि इसका सही उपयोग औद्योगिक इकाइयों में किया जा सके।
उन्होंने ईंट के भट्टों और थर्मल पावर संयंत्रों में पराली की भंडारण क्षमता को बढ़ाने पर भी बल दिया, जिससे पराली आधारित बायो सीएनजी, पैलेट डिमांड कंपोस्ट इकाइयों और उद्योगों को जोड़ा जा सके। बैठक में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्रियों ने अपने राज्यों में पूरी सक्रियता और सतर्कता के साथ पराली प्रबंधन योजनाओं के क्रियान्वयन की जानकारी दी।
हरियाणा के कृषि मंत्री ने बताया कि उनके राज्य में वित्तीय सहायता के माध्यम से किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे व्यापक असर हुआ है। मंत्री चौहान ने विश्वास व्यक्त किया कि केंद्र और राज्यों के समन्वित प्रयासों से आने वाले समय में पराली जलाने की घटनाओं में निश्चित रूप से कमी आएगी, जिससे पर्यावरण और जलवायु को संरक्षित करने में सफलता मिलेगी।