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Chhorii Movie Review: यहां दिन में आती है चुड़ैल, देती है यह ज्ञान, Nushrratt ने जीता दिल

फिल्म Chhorii अमेजन प्राइम पर रिलीज हो चुकी है। यह एक तरह की डरावनी और सोशल मेसेज वाली फिल्मों ( Chhorii Film Review)में से एक है। यह एक कम बजट वाली फिल्म है। इस फिल्म के मुख्य किरदार में अभिनेत्री नुसरत भरूचा (Nushrratt Bharuccha) हैं।

फिल्म Chhorii अमेजन प्राइम पर रिलीज हो चुकी है। यह एक तरह की डरावनी और सोशल मेसेज वाली फिल्मों (
Chhorii Film Review)में से एक है। यह एक कम बजट वाली फिल्म है। इस फिल्म के मुख्य किरदार में अभिनेत्री नुसरत भरूचा (Nushrratt Bharuccha) हैं। जोकि एक शहरी लड़की हैं और उन्हे बच्चो से काफी लगाव व प्यार है। इस फिल्म में सहायक किरदार में सौरभ गोयल (Saurabh Goyal), राजेश जैस (Rajesh Jais) और मिता वशिष्ठ (Mita Vashisht) हैं।

क्या है Chhorii Film Review

फिल्म की शुरुआत बहुत ही डरावनी है। शुरुआत के कुछ ही सेकेंड में किसी को कुछ भी समझ नहीं आता और एक औरत खुद ही अपने पेट में पल रहे बच्चे की जान ले लेती है।  इसके बाद कहानी में अभिनेत्री नुसरत भरूचा (साक्षी) और अभिनेता सौरभ गोयल (हेमंत) की एंट्री होती है। इस फिल्म में ये दोनों पति-पत्नी की भूमिका में हैं। उधार के पैसे न दे पाने पर हेमंत शहर से गांव की तरफ भागता है और साथ में साक्षी को भी ले जाता है जिसका गर्भवति का 8वां महीना चल रहा है। दोनों अपने ड्राइवर के कहने पर उसके साथ उसके घर जाते हैं जोकि गन्ने के खेतों में बना हुआ है। इसी घर में तीन बच्चों के साथ चुड़ैल (Chhorii Film Review) रहती है। जिसके बार में कहा जाता है कि वो 8वें महीने की गर्भवती महिलाओं के बच्चों को मार देती है।

रात में गायब और दिन में दिखती है चुड़ैल-

अब तक आपने ज्यादातर फिल्मों में देखा होगा कि भूत, प्रेत और चुड़ैल ये सब रात में ही हमला करते हैं। लेकिन छोरी फिल्म में आपकी यह धारणा गलत साबित हो जाएगी। क्योंकि इस फिल्म में चुड़ैल जो भी करती है दिन-दहाड़े (Chhorii Film Review) करती है। चुड़ैल और तीन बच्चों का सबसे प्रिय खेल छुप्पन-छुपाई है। रेडियो में गाना बजता है और खेल शुरु होता है।

 

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Chhorii फिल्म में चुड़ैल का सोशल मेसेज-

जैसे-जैसे फिल्म (Chhorii Film Review) आगे बढ़ती है वैसे वैस पता चलता है कि चुड़ैल भी कभी एक महिला हुआ करती थी। उसकी कहानी कुछ ऐसी दिखाई देती है जैसे कि फिल्म में सच में एक बार फिर से वही सब हो रहा है। फिल्म का सोशल मेसेज कोख में बेटियों को मारने के खिलाफ है। जैसे ही पता चलता है कि महिला के पेट में लड़की है, वैसे ही उसे जला दिया जाता है। जिसके बाद वो कैसे भी करके बच जाती है और अपनी बेटी को जन्म देती है। लेकिन इसके बाद अच्छी फसल हो इसके लिए नवजात बेटी को कुएं में फेक दिया जाता है। इसी कुप्रथा के खिलाफ यह फिल्म है।

कम बजट में अच्छी स्टोरी और एक्टिंग-

इस फिल्म में आपको ज्यादा लोग नजर नहीं आएंगे। कम लोग और कम जगह के साथ कम बजट में इस फिल्म को फिल्माया गया है। नुसरत की एक्टिंग इस फिल्म में कमाल की है। उन्हे देख के ऐसा लगता है कि आने वाले समय में नुसरत ऐसे ही मुख्य किरदार में नजर आने वाली और फिल्मे करेंगी। फिल्म के लास्ट में “ओ री चिरईया” गाना जैसे ही बजता है, मानों दिल को पिघला देता है। इसलिए जनता कनेक्ट आप सभी को इस फिल्म को देख इसका सोशल मेसेज समझने की अपील करेगा।

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