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नागरिकता कानून का मुद्दा उठा कर भारत में अशांति फैलाना चाहता है अमेरिका?

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) मंगलवार को भारत की दो दिवसीय यात्रा 27 जुलाई और 28 जुलाई पर होंगे। इस दौरान वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) मंगलवार को भारत की दो दिवसीय यात्रा 27 जुलाई और 28 जुलाई पर होंगे। इस दौरान वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे। इस यात्रा के दौरान अफगानिस्तान के ताजा हालात, चीन, कोविड19 वैक्सीन और डिप्लोमेसी पर फोकस रहेगा। तो वहीं अमेरिका के दक्षिण और मध्य एशिया के मामलों के कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री डीन थॉम्पसन ने कहा है कि इस दौरान मानवाधिकार और लोकतंत्र से जुड़े मुद्दे भी उठाए जाएंगे। जिसमे सीएए के मुद्दे को एक बार फिर से अमेरिका छेड़ सकता है।

CAA को क्यों छेड़ना चाहता है अमेरिका-

अमेरिकी विदेश मंत्री का भारत दौरा कई मायनों में अहम माना जा रहा है। वहीं इस यात्रा से पहले एक बार फिर ये संकेत दिए गए कि विदेश मंत्री भारत में मानवाधिकारों के मुद्दे उठाएंगे। अमेरिका के विदेश मंत्रालय में दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के प्रभारी कार्यवाहक सह सचिव डीन थॉम्पसन से जब पत्रकारों ने पूछा कि मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी ने भारत में नागरिकता कानून लागू किया। इस कानून को आलोचक मुसलमानों के साथ भेदभाव करने वाला कानून बताते हैं। तो ऐसे में मानवाधिकारों का मुद्दा कितना जरूरी होगा। इसके जवाब में थॉम्पसन ने कहा कि “इस मुद्दे को उठाया जाएगा। हम यह बातचीत जारी रखेंगे क्योंकि हम इस बात में पूरा यकीन रखते हैं कि मतभेदों से ज्याद हमारे मूल्यों में समानताएं हैं।”

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भारत के नागरिकता कानून पर अमेरिका का रुख-

अमेरिका और भारत में मानव अधिकार को लेकर आपसी कलह होते रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस कानून को लेकर चिंता जता चुके हैं। इसके लिए अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने भारत के नागरिकता संशोधन विधेयक पर चिंता जाहिर की थी। अमेरिका का कहना है कि नागरिकता संशोधन बिल के लिए कोई भी धार्मिक परीक्षण किसी राष्ट्र के लोकतांत्रिक मूल्यों के मूल सिद्धांत को कमजोर कर सकता है।

विदेशी सरकारों को भारत ने दिया था ये जवाब-

भारत ने पहले ही विदेशी सरकारों और मानवाधिकार समूहों के उन आरोपों को खारिज कर दिया है, जिसके अनुसार भारत में नागरिक स्वतंत्रता में कमी आई है। भारत सरकार ने जोर देकर कहा है कि भारत में सभी के अधिकारों की रक्षा के लिए अच्छी तरह से स्थापित लोकतांत्रिक प्रथाएं और मजबूत संस्थान हैं।

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क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम(CAA) 2019-

CAA की मदद से पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न झेल भारत की तरफ जान बचाने के लिए आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के वो लोग जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर किया था। उनको भारत सरकार देश की नागरिकता देगी। इस कानून में मुस्लिम धर्म का नाम ना होने के कारण विवाद बना हुआ है।

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