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Tunisia Update: राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री को किया बर्खास्त, संसद हुई भंग तो लोगों में मनाया जश्न, जाने क्यों

उत्तरी अफ्रीका के ट्यूनीशिया (Tunisia) में इन दिनों गंभीर सियासी संकट पैदा हो गए हैं। मामला इतना गंभीर हो गया है कि विपक्ष इसे तख्तापलट बता रहे हैं।

उत्तरी अफ्रीका के ट्यूनीशिया (Tunisia) में इन दिनों गंभीर सियासी संकट पैदा हो गए हैं। मामला इतना गंभीर हो गया है कि विपक्ष इसे तख्तापलट बता रहे हैं। ट्यूनीशिया के लोग कोरोना महामारी से निपटने में नाकाम सरकार के खिलाफ पुरे देश में प्रदर्शन कर रहे थे। देखते ही देखते यह विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए। कई जगहों पर सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारी के बीच झड़प भी हुई। जिसको देखते हुए राष्ट्रपति कैस सैयद (Kais Saied) ने देश के प्रधानमंत्री हिकेम मेचिचि (Hichem Mechichi) को ही बर्खास्त करते हुए देश की संसद को भंग कर दिया।

Tunisia के प्रधानमंत्री को पद से हटाना क्यों था जरुरी-

ट्यूनीशिया में छाया राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। देश के लोग कोरोना महामारी से निपटने में नाकाम सरकार के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन कर रहे हैं। कहीं-कहीं यह प्रदर्शन हिंसक रूप भी ले रहा है। जिसको देखते हुए ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति कैस सैयद ने प्रधानमंत्री हिकेम मेचिचि (Hichem Mechichi) को बर्खास्त कर संसद को भंग कर दिया। राष्ट्रपति ने बर्खास्त करते हुए कहा कि जब तक टयूनिशिया में समाजिक शांति बहाल नहीं की जाती है, तब तक हम अपने देश को नहीं बचा सकते। राष्ट्रपति के इस फैसले से प्रर्दशनकारी जश्न मनाने लगें। यहां तक की खुद राष्ट्रपति कैस सैयद खुद राजधानी ट्यूनिस में प्रदर्शनकारियों के साथ जश्न में शामिल हो गए।

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राष्ट्रपति की ये बात सुन लोग हुए खुश-

ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति का कहना है कि उन्होंने देश में शांति लाने के इरादे से ऐसा किया गया है। अब नए प्रधानमंत्री की मदद से हालात संभलें जाएंगे। वहीं राष्ट्रपति ने चेतावनी देते हुए ये भी कहा कि अगर अब भी लोग नहीं माने और आगे किसी भी तरह की हिंसा की तो अब उनसे सैन्य बलों से निपटा जाएगा।

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लोगों की उम्मीदों पर नहीं उतरी ये लोकतांत्रिक सरकार-

आज से दस साल पहले यानी की 2011 में ट्यूनीशिया में हुए एक क्रांति ने देश में लोकतंत्र की राह बनाई थी। जिससे ट्यूनीशिया में अरब स्प्रिंग नाम से मशहूर आन्दोलन को जन्म हुआ था। लोगों को उम्मीद थी कि लोकतांत्रिक सरकार आने के बाद उनके लिए रोजगार बढ़ाएंगे लेकिन यहां भी उनको निराशा हाथ लगी। जिसके बाद कुछ ही सालों में आई कोरोना महामारी ने और भी परेशानी बढ़ा दी। जिसके बाद वहां के लोग इस तरह से सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हो गए।

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