प्रदूषण से बचने के लिए दिल्लीवासियों के पास कोई विकल्प नहीं!
राजधानी दिल्ली में रहने वाला हर एक नागरिक प्रदूषण (Delhi Pollution) का शिकार है। प्रदूषण जाने-अनजाने में उसके शरीर के अंदर घुस कर रहा है। हर किसी के शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है।

राजधानी दिल्ली में रहने वाला हर एक नागरिक प्रदूषण (Delhi Pollution) का शिकार है। प्रदूषण जाने-अनजाने में उसके शरीर के अंदर घुस कर रहा है। हर किसी के शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है। अब क्योंकि यह कोरोनावायरस जैसा तुरंत दम घोंटू नहीं है। इसलिए सरकार के साथ लोगों को भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा है। जागरुक दिल्लीवासि जरुर इसके खिलाफ आवाज उठाते हुए नजर आ रहे हैं लेकिन उनकी आवाज मक्खी के भीन-भीनाने की आवाज से भी कम है।
रोजाना प्रदूषण का सिगरेट पीते दिल्लीवासी-
दिल्ली में बढ़े प्रदूषण स्तर (Delhi Pollution) को देखते हुए लोगों को घर से बाहर न निकलने की सलाह दी जा रही है। दिल्लीवासियों को प्रदूषण का खतरनाक आंकड़ा दिखाया जा रहा है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता सूचकांक का आंकड़ा कई दिनों से 450 के ऊपर ही है। जिसका मतलब यह है कि दिल्लीवासी अपने फेफड़ों को ऑक्सीजन कम प्रदूषण ज्यादा दे रहे हैं। विद्वानों के मुताबिक यह दिनभर में 7 से 10 सिगरेट पीने के जैसा है।
प्रदूषण बढ़ने के साथ ही जागे सरकारी बाबू-
दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता आपातकालीन स्तर (Delhi Pollution) की ओर बढ़ चुकी है। हवा की गुणवत्ता बिगड़ने के साथ, सरकारी अधिकारियों ने शुक्रवार को निवासियों के लिए एक सलाह जारी की, जिसमें उन्हें बाहरी गतिविधियों को सीमित करने के लिए कहा गया। केंद्रीय प्रदूषण प्रहरी ने सरकारी और निजी कार्यालयों से वाहनों के उपयोग में कम से कम 30 प्रतिशत की कटौती करने को कहा है।
यह है यमुना नदी में बहने वाले जहरीले झाग का वैज्ञानिक कारण
18 नवंबर तक ऐसे ही छाया रहेगा प्रदूषण-
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) पर एक उप-समिति के अनुसार, 18 नवंबर तक प्रदूषकों के फैलाव के लिए मौसम संबंधी स्थितियां अत्यधिक प्रतिकूल होंगी और संबंधित एजेंसियों को ‘आपातकालीन’ श्रेणी के तहत उपायों को लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने की सलाह दी गई है।
लॉकडाउन में 365 प्रतिशत बढ़ा जाली नोटों का कारोबार, देखें 2014 से 2020 तक NCRB का आंकड़ा