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लॉकडाउन में 365 प्रतिशत बढ़ा जाली नोटों का कारोबार, देखें 2014 से 2020 तक NCRB का आंकड़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में जाली नोटों (Fake Currency India) और काले धन (Black Money India) को खत्म करने के लिए कई अभियान चलाए। इन अभियानों में से एक नोटबंदी भी रही।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में जाली नोटों (Fake Currency India) और काले धन (Black Money India) को खत्म करने के लिए कई अभियान चलाए। इन अभियानों में से एक नोटबंदी भी रही। नोटबंदी 8 नवबंर 2016 को की गई थी। नोटबंदी के बाद ऐसा लगा कि देश से जाली नोटों का सफाया हो जाएगा। लेकिन तालाबंदी के दौरान आए NCRB के आंकड़ों  ने मोदी सरकार के इस सपने पर पानी फेर दिया है। देश में प्रतिवर्ष कम होने की जगह जाली नोटों की संख्या अब बढ़ती ही जा रही है।

2015-19 में पकड़े गए जाली नोटों की संख्या-

2015 में पकड़े गए जाली नोटों (Fake Currency India) की संख्या 8 लाख 86 हजार 58 की थी। 2016 में पकड़े गए जाली नोटों की संख्या 5 लाख 74 हजार 176 थी, जिसकी कीमत 15 करोड़ 90 लाख रुपये दर्ज है। 2017 में 28 करोड़ 10 लाख की कुल कीमत वाले जाली नोट पकड़े गए थे। 2018 में पकड़ी गई नकली नोटों की कीमत में एक बार फिर से गिरावट आई। 2018 में कुल 17 करोड़ 95 लाख रुपये के जाली नोट पकड़े गए। देशभर में साल 2019 में कुल 2 लाख 87 हजार 404 जाली नोट पकड़े गए थे। जिसकी कीमत कुल 25 करोड़ 39 लाख थी। यह आंकड़ा NCRB द्वारा जारी किया गया है।

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2020 में पकड़े गए जाली नोटों की संख्या-

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी 2020 के आंकड़ों के मुताबिक देशभर में साल 2020 में कुल 8 लाख 34 हजार 947 जाली नोट (Fake Currency India) पकड़े गए। इन नोटों में दो हजार से लेकर सौ रुपये के नोट शामिल हैं। 2020 में कुल पकड़े गए इन जाली नोटों की कीमत 92 करोड़ 80 लाख रुपये है। यह जाली नोटों की इतनी बड़ा राशि वह है जोकि सरकारी अधिकारियों ने पकड़ ली है। जबकि जाली नोटों की उस राशि के बारे में अभी तक कुछ कहना मुश्किल है जोकि बाजार में मौजूद है। 2019 में पकड़े गए जाली नोटों कि तुलना में 2020 में पकड़े गए जाली नोटों में 365 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त आई है। जाली नोटों में अचानक से आई इस बढ़त के कारण नोटबंदी को नाकामयाब बताया जा रहा है।

कांग्रेसी सरकार में पकड़े गए जाली नोट-

देशभर में जाली नोटों को लेकर 2014 में आया NCRB के आंकड़े के मुताबिक 40 करोड़ 6 लाख जाली नोट पकड़े गए थे। जबकि 2013 में जाली नोटों की कीमत 42 करोड़ 90 लाख थी। साल 2020 में पकड़े गए जाली नोटों ने इन सभी का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।

मोदी सरकार की नोटबंदी रही नाकामयाब-

देश में जाली नोटों (Fake Currency India) को लेकर आए इस सैलाब को देखते हुए यह कहना आसान होगा कि 2016 में की गई नोटबंदी नाकामयाब रही है। नोटबंदी के बाद मोदी सरकार ने काला धन और जाली नोटों पर प्रहार करने की बात कही थी। मोदी सरकार का मानना था कि नोटबंदी से जाली नोट और काला धन दोनों ही देश से खत्म या कम हो जाएंगे। लेकिन NCRB के इन आंकड़ों के सामने मोदी सरकार के दावें झूठे साबित हो चुके हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन जाली नोटों में 2 हजार, 5 सौ और 2 सौ के नए नोट भी शामिल हैं।

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