बंगाल से गुजरात तक इन विभिन्न तरीकों से ऐसे मनाया जाता है Navratri का धार्मिक पर्व
नवरात्रि का पर्व इस साल 7 अक्टूबर से शुरू होकर 15 अक्टूबर तक रहेगा। नवरात्रि (Navratri) में देवी मां की पूजा कई तरीकों से की जाती है। देश में कहीं 'माता की चौकी' की स्थापना की जाती है, तो कहीं विशाल 'पंडाल' भी बनाए जाते हैं।

नवरात्रि का पर्व इस साल 7 अक्टूबर से शुरू होकर 15 अक्टूबर तक रहेगा। नवरात्रि (Navratri) में देवी मां की पूजा कई तरीकों से की जाती है। देश में कहीं ‘माता की चौकी’ की स्थापना की जाती है, तो कहीं विशाल ‘पंडाल’ भी बनाए जाते हैं। इन नौ दिनों तक मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। तो वहीं देश में नवरात्रि का मतलब ‘डांडिया’ खेलना भी होता है। आइए आपको इस लेख में बताते हैं कि कैसे नवरात्रि का यह धार्मिक पर्व देश में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है।
बंगाल में मां दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी रुप की होती है पूजा-
पश्चिम बंगाल में नवरात्रि को ‘पूजो’ के रूप में मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल राज्य की दुर्गा पूजा पूरे देश में प्रसिद्ध है। बंगाल में हर साल अलग-अलग थीम के साथ हर नुक्कड़ पर ‘पंडाल’ स्थापित किए जाते हैं। इस दौरान पंडाल में स्थापित की गई मां दुर्गा की मूर्तियां देखने लायक होती हैं। ज्यादातर पंडालो में मां दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी रुप की पूजा की जाती है। इसी दौरान इस पंडाल में देवी के साथ अन्य देवताओं की मूर्तियां भी रखी जाती हैं। इन पंडालो में मुख्य प्रार्थना नवरात्रि के छठे दिन से शुरू होती है। इन नौ दिनों के दौरान ‘महालय’, ‘षष्ठी’, ‘महासप्तमी’, ‘महाष्टमी’, ‘महानवमी’ का बहुत महत्व है।
बिहार-झारखंड-यूपी में नवरात्रि में कलश स्थापना की रस्म-
बिहार और झारखंड में भी नवरात्रि का यह पर्व धूम-धाम से मनाया जाता है। इन दो राज्यों में बंगाल के पंडालों की झलक देखने को मिल सकती है। महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा को पंडालों में विराजमान किया गया है। यहां देवी को शक्ति और तंत्र की देवी माना जाता है और इसीलिए बिहार के कुछ मंदिरों में अभी भी बाली की रस्म निभाई जाती है। घरों से नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के उपाय भी किए जाते हैं। बिहार और झारखंड के रहने वाले लोग अपने घरों में मां दुर्ग के नाम से ‘कलश स्थापना’ की रस्म भी करते हैं।
पंजाब में कीर्तन और जागरण की रस्म-
नवरात्रि के नौ दिनों में सिंह वाहिनी मां दुर्गा का कीर्तन और रात में जागरण किया जाता है। शुरुआती सात दिनों में उपवास की एक रस्म होती है जबकि आठवें और नौवें दिन नौ कन्याओं की पूजा की जाती है और उन्हें कंजिका के नाम से पूकारा जाता है।
गुजरात के लोग खेलते हैं गरबा और डांडिया-
गुजरात में मां दूर्गा के भक्त नवरात्रि के पहले दिन मिट्टी के बर्तनों की स्थापना करते हैं। जिसमें सुपारी, नारियल और चांदी के सिक्के रखे जाते हैं। मिट्टी के बर्तन में एक दीया जलाया जाता है और हर रात, क्षेत्र के लोग देवी के नौ रूपों की पूजा करने के लिए एक साथ आते हैं। पूरी रात मां दूर्गा के नाम पर गरबा और डांडिया नृत्य भी किया जाता है। जोकि सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रहता है।
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महाराष्ट्र में अखंड ज्योती जलाने की परम्परा-
महाराष्ट्र के मराठी भाषी लोग इस मौके पर अपने घरों में ‘अखंड ज्योति’ जलाते हैं और इसे लगातार नौ दिनों तक जलाए रखते हैं। दशहरे के दिन घर के पुरुष अपनी कारों, औजारों आदि की पूजा करते हैं। उत्तर भारतीय राज्य: इन राज्यों में राम लीला का प्रदर्शन किया जाता है। मंच तैयार होता है और कलाकार रामायण की कथा का मंचन करते हैं और दशहरे पर ‘रावण दहन’ किया जाता है।
दक्षिण भारत में नवरात्रि को इन नामों से पुकारते हैं-
तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी नवरात्रि का धार्मिक पर्व मनाया जाता है। यहां छोटी-छोटी मूर्तियाँ नवरात्रि के दौरान बनाई जाती हैं और ये सिर्फ देवताओं की ही नहीं होती हैं बल्कि पुल, दूल्हे, घोड़े की गाड़ी, मिट्टी के घर आदि की भी होती हैं। इन्हें रखने के लिए एक विशेष सीढ़ी जैसी चीज भी बनाई जाती है। इन राज्यों में इस त्योहार को गोलू, बोम्मा गोलू, बॉम्बे हब्बा के नाम से जाना जाता है। पहले दिन गणपति, सरस्वती, पार्वती और लक्ष्मी की पूजा की जाती है और नौवें दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है।