जानिए Bell Bottom की Real Story, जब विमान में सवार विदेश मंत्री S Jaishankar के पिता K. Subrahmanyam ने पाकिस्तान के साथ खेला ऐसा खतरनाक खेल!
यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में महज 35 दिनों में शूट हुई फिल्म अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की ‘बेल बॉटम’ (Bell Bottom Real Story) की कहानी उतनी ही है जितनी हमने ट्रेलर में देखी है।
यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में महज 35 दिनों में शूट हुई फिल्म अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की ‘बेल बॉटम’ (Bell Bottom Real Story) की कहानी उतनी ही है जितनी हमने ट्रेलर में देखी है। फिल्म मेकर्स ने दावा किया है कि ये फिल्म सत्य घटना (Real Story) पर आधारित है। लेकिन क्या आपको पता है कि इस फिल्म में काफी कुछ आपसे छुपाया गया है? क्या आप जानते हैं कि रियल स्टोरी मे वर्तमान विदेश मंत्री S Jaishankar के पिता K. Subrahmanyam भी विमान में सवार थे? फिल्म में तो हाइजैक प्लेन सबसे पहले अमृतसर लैंड होता है लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था। तो फिर आइए आपको विस्तार से बताते हैं 80 के दशक मे घटी इस हाइजैक प्लेन की रियल स्टोरी के बारे में।
जनरैल सिंह भिंडरवाला का खालिस्तान
Bell Bottom Real Story यह उस समय की बात है जब देश से पंजाब को अलग कर एक नए देश खालिस्तान बनाने की मांग की जा रही थी। अपनी इस मांग के कारण देश में जनरैल सिंह भिंडरवाला के नेतृत्व में जगह जगह हिंसक प्रदर्शन हो रहे थे। उस दौर में एयरपोर्ट में इतनी सुरक्षा नहीं होती थी, जितनी की आज आप देखते होंगे। इसी का फायदा उठाकर खालिस्तानी समर्थक प्लेन हाइजैक करने लगे। 1981 से लेकर 1984 तक छह प्लेन की हाइजैकिंग हो चुकी थी। सातवीं हाइजैकिंग ‘IC 421’ की होने वाली थी जिसकी कहानी पर ये फिल्म बनी है।
Bell Bottom Real Story की शुरुआत-
साल 1984, तारीख 24 अगस्त और दिन शुक्रवार, घड़ी मे करीब सुबह के 7:30 बजे थे। इंडियन एयरलाइंस के एक विमान IC 421 ने चंडीगढ़ से श्रीनगर के लिए उड़ान भरी। इस उड़ान में आज के विदेश मंत्री एस॰ जयशंकर (S Jaishankar) के पिता के. सुब्रह्मण्यम (K. Subrahmanyam) भी थे। वी के मेहता मुख्यपायलट के रूप में विमान उड़ा रहे थे। विमान में यात्री और क्रू मेम्बर समेत कुल 79 लोग सवार थे। विमान ऊंचाई पर पहुंच चुका था। सुबह के आठ बजे ही थे कि तभी पगड़ी पहने कुछ सिख नौजवान तूफान की तरह कॉकपिट में दाखिल हो गये। उन्होंने तलवार लहराते हुए कहा कि प्लेन को हाईजैक कर लिया गया है।
Bell Bottom Real Story कहा लाहौर ले चलो प्लेन-
कुल सात अपहरणकर्ता थे जिनकी उम्रमहज 18 से 20 साल रही होगी। एक दुबला पतला व्यक्ति जो हाथ में तलवार लिए हुए था उसने खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाना शुरू कर दिया। हथियार के रूप में सभी के पास सिर्फ तलवार और पगड़ी में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की सुई थी। उन्होंने पायलट मेहता को आदेश दिया कि (Bell Bottom Real Story) प्लेन को अमृतसर ले चलें और हवा में स्वर्ण मंदिर की परिक्रमा करें। विमान अमृतसर पहुंचा और विमान ने स्वर्ण मंदिर के अभी दो ही चक्कर लगाये थे कि 20 साल का एक अपहरणकर्ता आया और उसने लाहौर चलने का आदेश दे दिया। उनकी इच्छा लाहौर से अमेरिका जाने की थी।
भारत से हाईजैक विमान पहुंचा लाहौर-
पायलट मेहता ने विमान को लाहौर की तरफ मोड़ा। लाहौर एयरपोर्ट के ऊपर करीब 80 मिनट तक विमान चक्कर काटता रहा लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने विमान को लैंड करने की मंजूरी नहीं दी। उन्होंने रनवे को ही ब्लॉक कर दिया। इसके बाद 80 मिनट तक फ्लाइट लाहौर के ऊपर चक्कर लगाती रही।
सिर्फ तलवार के सहारे हाइजैक हुआ था प्लेन-
आखिर में सुबह 9:50 मिनट पर जब फ्लाइट में फ्यूल कम हो गया और स्थिति खतरनाक स्तर पर पहुंच गयी तो पायलट मेहता ने रेडियो पर त्राहिमाम संदेश भेजा। अंत में पाकिस्तान ने विमान को लैंड करने की मंजूरी दे दी। (Bell Bottom Real Story) अचानक गले आ पड़ी मुसीबत से पाकिस्तान जल्द से जल्द छुटकारा पाना चाहता था। भारत से जुड़ा होने के चलते यह बहुत ही संवेदनशील मामला था। तब तक ये पता चल चुका था कि अपहरकर्ताओं के पास कोई आधुनिक हथियार नहीं है। वे सिर्फ तलवार के सहारे ही खौफ पैदा किये हुए हैं।
इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को लगाया फोन-
इस घटना के बाद भारत में तहलका मच गया था। (Bell Bottom Real Story) पिछले पांच साल में यह सातवा मौका था जब किसी भारतीय प्लेन को हाईजैक किया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी खुफिया एजेंसियों की नाकामी पर बरस पड़ी। उन्होंने उसी समय पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जियाउल हक को फोन लगाया और उन्होंने जियाउल हक से दरख्वास्त की कि वो भारत के हाईजैक विमान को पाकिस्तान से उड़ने न दें और बंधक बने विमान यात्रियों को छुड़ाने में वे मदद करें। लेकिन जियाउल हक ने इंदिरा गांधी के अनुरोध को ठुकरा दिया।
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पाकिस्तान ने नहीं की मदद, फिर से उड़ा प्लेन-
उस समय इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में केडी शर्मा राजनयिक के रूप में तैनात थे। इस घटना के बाद उन्हें लाहौर पहुंचने के लिए कहा गया। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी किसी कीमत पर भारतीय यात्रियों को छुड़ाना चाहती थीं। लेकिन जब तक केडी शर्मा लाहौर पहुंचते तब तक विमान ईधन भर कर वहां से उड़ान भर चुका था। केडी शर्मा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जब मैं लाहौर पहुंचा तो उससे पहले ही प्लेन वहां से जा चुका था। पाकिस्तान इस प्लेन में कमांडोज को भेज सकता था। उस समय हाइजैकर्स नर्वस थे और उनके पास ज्यादा हथियार भी नहीं थे। ऐसे में एक कमांडो ऑपरेशन चलाया जा सकता था।
पाकिस्तान की खतरनाक साजिश-
जब प्लेन हवा मे था तभी अपहरणकर्ताओं ने विमान अमेरिका ले चलने का आदेश दिया। तब पायलट मेहता ने उन्हें बताया कि यह घरेलू उड़ान में इस्तेमाल होने वाला प्लेन है, इसकी क्षमता अमेरिका तक उड़ान भरने की नहीं है। यह सुन कर अपहरणकर्ता असमंजस में पड़ गये। तब तक शाम के सात बज चुके थे। तभी सात अपहरकर्ताओं में से एक ने अचानक रिवाल्वर निकाल कर पायलट मेहता के सिर पर सटा दिया। उसने आदेश दिया कि विमान को बहरीन ले चलें।
पाकिस्तान ने तलवार की जगह हाथ में पकाड़ा दी बंदूक-
मेहता यह देख कर आवाक रहे गये कि 12 घंटे बाद अपहरकर्ताओं के पास अचानक रिवाल्वर कहां से आ गई। बाद में उन्हें विमान के एक ब्रिटिश यात्री डोमिनिक बर्कले ने बताया था कि जब वे लाहौर एयरपोर्ट पर थे (Bell Bottom Real Story) तब एक अपहरणकर्ता नीचे उतरा था। उन्होंने देखा था कि एक पाकिस्तानी अधिकारी ने अपहरणकर्ता को कागज का एक बड़ा लिफाफा दिया था। इसके बाद वह फौरन विमान के अंदर आ गया और लिफाफे को बहुत सावधानी से पकड़े हुए था। बाद में उसने उसी लिफाखे से अचानक रिवाल्वर निकाली थी।
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जब कैप्टने ने कहा अल्लाह के नाम पर लैंड करने दें-
सिर पर तनी पिस्तौल देख कर पायलट मेहता डर गये। लेकिन बहरीन के लिए उड़ान भरने की स्थितियां अनुकुल नहीं थी इसलिए उन्होंने इंकार कर दिया। इसके बाद फ्लाइट को कराची ले जाया गया जहां पर एक घंटे के इंतजार के बाद इसने दुबई के लिए उड़ान भरी। जब विमान दुबई एयरपोर्ट के एरिया में पहुंचा तो संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारियों ने उसे लैंड करने से रोक दिया। (Bell Bottom Real Story) एयरपोर्ट की सारी लाइट्स को स्विच ऑफ कर दिया गया (Bell Bottom Real Story) ताकि प्लेन लैंड न कर सके। रात हो रही थी और यूएई प्रशासन भी हाईजैक विमान के लफड़े में नहीं पड़ना चाहता था। विमान बहुत देर से हवा में मंडरा रहा था। इंधन फिर खत्म हो रहा था। कैप्टन लगातार दुबई की अथॉरिटीज से लैंडिंग की गुहार लगाते रहे। उन्होंने कहा, ‘अल्लाह के नाम पर उन्हें लैंड करने दें क्योंकि एयरक्राफ्ट में फ्यूल खत्म हो रहा है।’ मगर अधिकारी कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे।
कैप्टन ने कहा- खुदा के लिए इन पर रहम खाइए
उन्होंने यूएई के अधिकारियों को संदेश भेजा कि एक सौ लोगों की जिंदगी का सवाल है, खुदा के लिए इन पर रहम खाइए, अगर आप लेंडिंग की इजाजत नहीं देंगे तो विमान को समुद्र में उतारने के सिवा कोई और रास्ता नहीं बचेगा।
समुद्र में प्लेन उतारने की होने लगी तैयारी-
अगले दिन सुबह 3 बजे एयर होस्टेस रीता सिंह ने यात्रियों से धैर्य रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि हो सकता है लैंडिंग परमीशन न मिलने पर इसे समंदर में डूबाना पड़े। उन्होंने यात्रियों को उन सारी प्रक्रियाओं के बारे में बताया जिसके तहत वो प्लेन के पानी में उतरने के बाद एयरक्राफ्ट से बाहर निकल सकते थे. ये बात और भी दिलचस्प है कि इसे सुनकर भी यात्री बिल्कुल नहीं घबराए। सभी यात्री प्लेन की पहली 15 पंक्तियों में आ गए और अपने जूते उतारने लगे. यहां तक कि उन हाइजैकर्स ने भी आदेशों को माना और यात्रियों की ही तरह बर्ताव किया।
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सिर्फ पांच मिनट के लिए ही बचा था फ्यूल-
इधर रीता सिंह यात्रियों को समझा रही थी उधर कॉकपिट में कैप्टन मेहता यूएई की अथॉरिटीज से ‘प्लीज, प्लीज’ कह रहे थे। तभी अचानक दुबई एयरपोर्ट की बत्तियां जल उठीं और विमान को रनवे पर उतारने की मंजूरी मिल गयी। कैप्टन मेहता के आखों मे आसुँ थे। उन्होंने नाम आखों से अधिकारियों से कहा, ‘गॉड ब्लेस यू, गॉड ब्लेस योर कंट्री।’ 4:55 मिनट पर प्लेन ने लैंडिंग की और जिस समय लैंडिंग हुई उस समय एयरक्राफ्ट में बस 5 मिनट का ही फ्यूल बचा था।
जब सफेद रंग की मर्सिडीज को हाइजैक प्लेन के पास भेजा
यूएई ने भारत के साथ सहयोग किया। यहां तक कि भारत सरकार की तरफ से भेजे गए एक और एयरक्राफ्ट को उतरने की मंजूरी दी जो इस पूरे ड्रामे पर नजर रखने के लिए भेजा गया था। इस प्लेन में तत्कालीन विदेश राज्यमंत्री ए ए रहीम थे। इसी दौरान यूएई में भारत के राजदूत इशरत अजीज और यूएई के रक्षा मंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मख्तूम भी एयरपोर्ट पहुँच चुके थे। बिना समय गवाएं सभी हाईजैकर्स से बातचीत शुरू की।
भूख से यात्रियों का हुआ बुरा हाल-
खौफ के साये में 28 घंटे गुजर चुके थे। यात्री भूख और प्यास से छटपटा रहे थे। यूएई प्रशासन ने विमान तक खाने के पैकेट और पानी भेजा लेकिन अपहरकर्ताओं ने अंदर नहीं आने दिया। सुबह 8 बजे के करीब सभी कंट्रोल टॉवर पर पहुंचे। एक सफेद रंग की मर्सिडीज को हाइजैक प्लेन के पास भेजा गया और इसमें एक हाइजैकर आया। बाकी बचे हाइजैकर्स में से एक प्लेन के बाहर निकलकर रनवे पर टहलने लगा था।
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अमेरिका जाना चाहते थे अपहरणकर्ता-
बातचीत के दौरान मर्सिडीज से आया एक अपहरकर्ता ने मांग रखी कि उन्हें अमेरिका में शरण देने की शर्त मानी जाए। बिना देर किये हुए दिल्ली को इस बात कि सूचना दी गई। (Bell Bottom Real Story) दिल्ली ने अमेरिका के व्हाइट हाउस मे फोन घुमाया लेकिन अमेरिका ने शरण देने से साफ इंकार करते हुए 1 मिनट मे फोन काट दिया। देर हो रही थी जिसके कारण एयरक्राफ्ट में मौजूद बाकी हाइजैकर्स परेशान हो गए। उन्होंने मैसेज भेजा कि अगर उनके साथियों को अगले 10 मिनट के अंदर नहीं भेजा गया तो वो प्लेन को उड़ा देंगे। उस हाइजैकर्स को तुरंत कंट्रोल टॉवर मे भेजा गया।
अमेरिका ने ठुकराया तो बिना शर्त किया सरेंडर-
सभी हाइजैकर्स सलाह मशविरा करने लगे। सबको चिंता थी कि अमेरिका के शरण न देने पर उनका क्या होगा। दो हाइजैकर्स फिर कंट्रोल टावर में गए और समझौते पर वार्ता करने लगे। हाइजैकर्स का मन बदला और सभी ने सरेंडर करने का निश्चय किया। बाद में दुबई के पुलिस प्रमुख दाही खाल्फान तामीम ने एक प्रेस कांफ्रेस में कर बताया कि अपहरणकर्ताओं ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया है। इस तरह 25 अगस्त 1984 की शाम सात बजे सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया और एक खौफनाक कहानी का सुखद अंत हुआ।
कंगना रनौत ने की Bell Bottom की तारीफ, कहीं ये बात
विमान पर सवार थे वर्तमान विदेश मंत्री के पिता
भारतीय सिविल सेवक के. सुब्रह्मण्यम IC 421 में सवार थे। जब विमान का अपहरण कर लिया गया था। दिलचस्प बात यह है कि (Bell Bottom Real Story) गिरफ्तार किए गए अपहरणकर्ताओं ने बाद में अदालत में दावा किया था कि यह सुब्रह्मण्यम ही थे जिन्होंने “पाकिस्तान में परमाणु प्रतिष्ठानों की जांच के लिए पूरे अपहरण की योजना बनाई थी”। प्लेन IC 421 अपहरण का उल्लेख अनिल शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक IA’s Terror Trail में किया गया था।