टेक्नोलॉजी

सेंसेक्स पहली बार 50 हजार के पार, BSE ने सेंसेक्स के सफर का दिया ब्योरा

कोरोना वायरस का प्रभाव जैसे-जैसे कम हो रहा है, वैसे-वैसे मार्केट में तोजी आ रही है। इसका संकेत आज (21 जनवरी) को सेंसेक्स में आई रिकॉर्ड तेजी से पता चलता है।

स्टॉक मार्केट के लिए आज का दिन बेहद खास रहा है। मार्केट में पहले इतनी बड़ा उछाल देखने को मिला। दरअसल, आज यानी 21 जनवरी को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के इंडेक्स सेंसेक्स के लिए ऐतिहासिक रहा है। सेंसेक्स पहली बार 50 हज़ार के आंकड़ा के पार गया है। आज सुबह सेंसेक्स 304 पोइंट्स के उछाल के साथ 50,096 पोइंट्स पर खुला। इसके अलावा, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के इंडेक्स निफ्टी 50 में भी तेजी आई है। निफ्टी 86 पोइंट्स की तेजी के साथ 14,730 पोइंट्स पर खुला।

इस वजह से स्टॉक मार्केट में आई उछाल-
जानकारों की मानें तो बाजार में आई तेजी के पीछे अमेरिका में नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण एक बड़ी वजह है। जो बाइडेन ने 20 जनवरी को यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लि थी। जिसके बाद वॉल स्ट्रीट में भी रिकॉर्ड तेजी देखने को मिली।
सेंसेक्स में आई तेजी में बजाज फिनसर्व, टाटा मोटर्स, बजाज फाइनेंस, यूपीएल, इंडसइंड बैंक और एक्सिस बैंक के शेयर्स में काफी उछाल आया है। वहीं, टीसीएस, एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी के शेयर में गिरावट देखने को मिली है। इससे पहले कल (20 जनवरी) को भी बाज़ार बढ़त के साथ ही बंद हुआ था। सेंसेक्स 110 पोइंट्स की तेजी के साथ 49,508.79 पर खुला और और कुछ ही देर में 209 पोइंट्स तक बढ़ गया था।

BSE ने इस तरह पार किया 50,000 का आंकड़ा-
सेंसेक्स के 50 हज़ार का आंकड़ा पार करने कि जानकारी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने ट्विटर पर दी। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने अपने इस ट्विट में सेंसेक्स के सफर के बारे में बताया है। इसके आकड़े के अनुसार साल 1999 में पहली बार सेंसेक्स 1 हज़ार के पार पहुंचा था। फिर इसे 1 हज़ार से 5 हज़ार पहुंचने में लगभग 10 साल लग गए। वहीं, 2006 में सेंसेक्स 10 हज़ार के आंकड़े पर पहुंचा और 2007 में 20 हज़ार का आकड़ा पार किया। 2019 में 40 हज़ार के पार हुआ औऱ अब ये 50 हज़ारी बन गया है।

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बीएसई ने किया बड़ी घटनाओं और घोटलों का जिक्र-
BSE ने सेंसेक्स के उतार-चढ़ाव भरे सफर के दौरान देश में हुई बड़ी घटनाओं और घोटलों का जिक्र भी किया है, जिसका असर मार्केट पर लगातार पड़ता रहा है। इसमें हर्षद मेहता और केतन पारेख के स्कैम, उदारीकरण की नीति, कारगिल युद्ध, UPA-2 में सत्यम घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला, टेलीकॉम घोटाला, वैश्विक मंदी, NDA के आने के बाद PNB घोटाला, नोटबंदी, GST का असर और इसके बाद कोरोना महामारी भी इस लिस्ट में शामिल हैं।

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