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नीतीश कुमार और लाठी-डंडो की सरकार

बिहार में, किसी भी सरकारी नौकरी में आमतौर पर होने वाले प्री, मेंस और इंटरवीयू के साथ-साथ कोर्ट-कचहरी और फिर सरकार की लाठी वाले चरण से भी गुजरना पड़ता है। जिसकी कोई गैरेंटी नहीं होती।

बिहार और वहां की बदहाल शिक्षा व्यवस्था की स्थिती किसी से छिपी नहीं है। इसके लिए सिर्फ और सिर्फ यहां की सरकार जिम्मेदार है। चुनाव से पहले सीएम नीतीश कुमार ने शिक्षा को लेकर कई दावे और वादे किए थे। लेकिन अब जब वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हो गये है, तो फिर से अपने पुराने दमनकारी रुप में आ गये है।

बिहार में, किसी भी सरकारी नौकरी में आमतौर पर होने वाले प्री, मेंस और इंटरवीयू के साथ-साथ कोर्ट-कचहरी और फिर सरकार की लाठी वाले चरण से भी गुजरना पड़ता है। लेकिन इसके बाद भी नियुक्ति प्रक्रिया हो जाएगी इसकी कोई गैरेंटी नहीं होती है।

दरअसल, पिछले 2 सालों से भी अधिक समय से बिहार में प्रारंभिक विद्यालयों में रिक्त पड़े 94 हजार पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। ये नियोजन प्रखंड स्तर के लगभग 71 हजार प्रारंभिक विद्यालयों के लिए होनी थी।

पटना हाइकोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद नीतीश सरकार ने नियोजन की कवायद तेज जरुर कर दी थी। शिक्षा विभाग ने अंतिम मेरिट लिस्ट 10 जनवरी 2021 तक जारी कर काउंसेलिंग की भी बात कही थी। लेकिन बार-बार नियोजन प्रक्रिया शुरू करने के दावे के बावजूद अभी तक नियोजन पूरा नहीं किया गया है।

मजबूरन नियुक्ति की आस में बैठे हजारों अभ्यर्थियों ने बीते सोमवार (18 जनवरी) को पटना के गर्दनीबाग मैदान में बड़ी संख्या में जुटकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी और प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद मंगलवार (19 जनवरी) की शाम नीतीश कुमार अपने गुडंई मोड में आकर इन आंदोलनरत अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज करवा दिया। इस लाठी चार्ज के दौरान पुलिस ने अभ्यर्थियों को बर्बरता से पिटा था। इसमें महिला और दिव्यांग अभ्यर्थियों भी शामिल थे।

जानकारी के मुताबिक टीईटी अभ्यर्थी संघ को पहले धरना के लिए 21 जनवरी तक परमिशन मिला था। लेकिन 19 जनवरी को लाठीचार्ज के बाद प्रशासन ने 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) का हवाला देते हुए परिमिशन को रद्द कर दिया गया। इससे गुस्साए अभ्यर्थियों ने लाठीचार्ज के विरोध में कारगिल चौक पर मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री का पुतला फूंका।

फिलहाल, लाठीचार्ज के बाद आंदोलनरत अभ्यर्थियों से मिलने पहुंचे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के हस्तक्षेप के बाद गर्दनीबाग में धरना देने की अनुमति मिल गई है। संगठन ने जल्द-से-जल्द नियोजित शिक्षकों के नियोजन प्रक्रिया पूरी करने और काउंसिलिंग की तिथि जारी करने की मांग रखी है। तब तक अनिश्चितकाल धरना जारी रखने की बात कही गई है।

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इससे पहले शुक्रवार (22 जनवरी) को सरकार ने प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों को वार्ता के लिए बुलाया था। अभ्यर्थियों ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ. रंजीत कुमार से मुलाकात की लेकिन उन्होंने नियुक्ति संबंधी स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया। इससे नाराज अभ्यर्थियों ने आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया है।

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प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों ने सरकार की नियुक्ति प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया है। उनका का कहना है कि पहले ही नियोजन की प्रक्रिया बहुत धीमी रफ्तार से चली है। अब सरकार पंचायत चुनाव के बहाने इसे और दो-ढ़ाई साल के लिए टालना चाहती है। सरकार को नियुक्ति में पारदर्शीता लाने कि जरूरत है, जिसमें धांधली की कोई गुंजाइश नहीं रहे। शिक्षकों के हजारों पद खाली हैं फिर भी नियुक्ति नहीं होना समझ से परे है।

नियोजित शिक्षक संघ ने भी इस आनदोलन का समर्थन किया है। नियोजित शिक्षक संघ ने एक ब्यान में कहा है कि बिहार सरकार एवं शिक्षा विभाग अगर समय रहते नियोजन प्रक्रिया पूरी नहीं करती है तो आनदोलनरत अभ्यर्थियों के साथ सड़क से लेकर न्यायालय तक की लड़ाई लड़ेंगे।

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