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13 अगस्त 2013 को करीब 1 बजे पटना के आईबी ऑफिसर का फोन बजता है. उस समय बिहार आईबी यूनिट की मीटिंग चल रही थी जिसमें बिहार यूनिट के ज्वाइंट डायरेक्टर भी थे. इतनी महत्वपूर्ण मीटिंग होने के बावजूद आईबी ऑफिसर अर्जेंट कॉल का हवाला देकर गलियारे की तरफ लगभग भागते हुए जाते है और फोन उठाते है.
सामने से हांफते हुए आवाज आई “खबर पक्की है सर, डॉक्टर यहीं है” उसने आगे कहा कि उसके खबरी ने उसको देखा है. जो भी करना है जल्दी करना होगा. खबर चौंकाने वाली थी क्योंकि जिस डॉक्टर की बात फोन पर हो रही थी वो और कोई नहीं इंडियन मुजाहिद्दीन का संस्थापक यासीन भटकल था. इंडिया का मोस्ट वांटेड मोहम्मद अहमद जरार सिद्दीबापा उर्फ यासीन भटकल जिसे भारत में इंडिया का ओसामा बिन लादेन कहा जाता था. भारत सरकार ने साढ़े तीन करोड़ रुपए का इनाम इस आतंकी के सिर पर रखा था.
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दिल्ली ने कहा “नहीं होगा कोई ऑपरेशन”
आईबी ऑफिसर दौड़ते दौड़ते मीटिंग में पहुंचे और ज्वाइंट डायरेक्टर आईबी से धीरे आवाज में कहा सर बहुत बड़ी टिप मिली है, भटकल नेपाल में है. मीटिंग को जल्दी खत्म कर दिया गया. ज्वाइंट डायरेक्टर ने तुरंत दिल्ली फोन घुमाया. दिल्ली में बैठे अतिरिक्त आईबी निदेशक ने बात सुनते ही जवाब दिया कि “पचास जानकारी आपको मिलेगी तो क्या आप पचास टीमें भेजेंगे? भटकल नेपाल में नहीं, पाकिस्तान में है. कोई ऑपरेशन की जरूरत नहीं है.” ऐसा कहकर फोन रख दिया गया.
दिल्ली से मदद न मिलने की खबर सुनकर आईबी बिहार के ऑफिसर्स गुस्से से भर गए उन्होंने अपने बॉस ज्वाइंट डायरेक्टर से कहा कि “सर, मेरी सूचना एकदम पक्की है, हमें परमिशन दीजिए, नेपाल जाकर अंडरकवर ऑपरेशन करने के लिए, मुझे पूरा यकीन है कि वो यासीन भटकल ही है. हमें नेपाल जाना ही होगा, भले ही इसके लिए बाद में हमें जेल हो जाए.
बिहार यूनिट के आईबी ज्वाइंट डायरेक्टर अपने आफिसर्स की बात सुनकर मुस्कुराए और बोले, तुम पांच आईबी अफसरों ने बहुत दिनों से छुट्टी नहीं ली है, जाओ घूम कर आओ लेकिन याद रखना 4 दिन के अंदर वापस नहीं आए तो भूल जाना कि तुम लोग इंडिया के हो. ज्वाइंट डायरेक्टर ने उन पांच ऑफिसर्स से दो टूक कह दिया था कि ये आधिकारिक ऑपरेशन नहीं है, आपकी टीम के लोग अपने साथ कोई पहचान पत्र नहीं ले जाएंगे. ये मिशन बिना दिल्ली के परमिशन के हो रहा है इसीलिए दिल्ली से कोई फंड नहीं मिलेगा. उन पांच ऑफिसर्स ने अपने जेब से कुछ पैसे मिलाए और कुछ उधार मांगकर करीब 40 हजार जेब में रखकर चल दिए उस मिशन की तरफ जिसके बारे में कोई ज्यादा जानकारी नहीं थी.
सबसे पहले टीम पटना से निकलकर सीधे पूर्वी चंपारण के एसपी विनय कुमार से मिलती है जोकि टीम लीडर के अच्छे दोस्त थे । एसपी विनय कुमार की नेपाल में अच्छी पकड़ थी इसीलिए उनको मिशन में शामिल कर लिया गया । लेकिन टारगेट यासीन भटकल के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई.
आईबी टीम 20 अगस्त को नेपाल के पोखरा गांव के लिए निकल पड़ती है । ये वही जगह है जहां यासीन भटकल, यूनानी डॉक्टर बनकर छुपा हुआ था. आईबी टीम ने नेपाल बॉर्डर पर काठमांडू जाने की एंट्री कराई थी और उनसे कहा था कि वो घूमने के लिए आए हुए है. पर्यटक बनकर आईबी की एसओजी टीम 20 अगस्त, 2013 को नेपाल के पोखरा पहुंच जाती है, टीम यहां के माउंट व्यू होटल में रुकी. अगले दिन 21 अगस्त की सुबह करीब 9:30 बजे मुखबिर जिसने टीम लीडर को फोन किया था वो होटल में पहुंचा. मुखबिर ने पूरी जानकारी टीम को बताई और कहा कि यासीन को कुछ रोज पहले उसके एक आदमी ने देखा था, उसने ढाढ़ी बढ़ा ली है और मूछें भी, लेकिन क्लीन शेव वाले फोटो से आँखें हूबहू मैच करती हैं.
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आईबी की टीम मुखबिर की बात सुनकर थोड़ी चिंतित थी, वो सोच में थी कि ये कैसे पक्का किया जाए कि वो संदिग्ध यासीन भटकल ही है. आईबी टीम मुखबिर से कुछ कहती कि इतने में मुखबिर का फोन बजता है. फोन पर बात होने के बाद मुखबिर, टीम लीडर से बताता है कि पोखरा में एक आदमी है जो भारतीय सेना में रह चुका है. उसने धर्म बदलकर अपना नाम बाल बहादुर थापा से अब्दुल्लाह रख लिया है. शायद वो कुछ मदद कर सकता है.
जब पहली बार आतंकवादी से हुआ आमना सामना
एसओजी की टीम बिना समय गंवाए 10 बजे हाफ पैंट और टीशर्ट में होटल से निकली और दो मोटरसाइकिल किराए पर ले लेती है. मुखबिर, अब्दुल्लाह के पास पहुंचता है. और कहता है कि वो शहर में नया है उसे नमाज पढ़ने के लिए जगह बता दे. अब्दुल्लाह मुखबिर को ओरेगांव चौक ले जाता है जोकि सिर्फ 4 किमी दूर था. पीछे पीछे आईबी की टीम दोनों पर नजर रखी हुई थी. तभी किस्मत से एक बाइक आईबी टीम के बगल से गुजरती है जिसमें पीछे बैठा आदमी मुंह ढका हुआ था. उसकी आँखें देखकर सभी टीम मेंबर चौक गए क्योंकि ये वही आंखे थी जिसे इंडिया पिछले 7 साल से ढूंढ रहा था. द मोस्ट वांटेड यासीन भटकल जिसने भारत में 220 से ज्यादा लोगों को जान ले रखी थी.
जब फोन पर हुई भटकल की आवाज मैच
टीम लीडर ने दिल्ली फोन घुमाया लेकिन वहां से फिर वहीं कहा गया कि यासीन पाकिस्तान में है. टीम लीडर ने मुखबिर को यासीन भटकल के पास मरीज बनाकर भेजा. चूंकि यासीन भटकल वहां डॉ. यूसुफ़ बनकर काम कर रहा था इसीलिए ये तरकीब सही निकली. मुखबिर ने फोन पर रिकॉर्डिंग ऑन की हुई थी, 24 अगस्त को मुखबिर यूनानी डॉक्टर यासीन भटकल के पास मरीज बनकर गया और आवाज रिकॉर्ड करके ले आया. भटकल के पुराने टेप किए गए वॉइस सैम्पल से रिकॉर्डेड वॉयस मैच की है जिसके बाद अब एकदम क्लियर था कि वो यासीन भटकल ही है.
दिल्ली को भी इस बार यकीन हो गया था कि भटकल नेपाल में है. भारत सरकार के निर्देश के बाद नेपाल के भारतीय दूतवास ने नेपाल सरकार से बात की. नेपाल सरकार ने पूरी मदद करने की बात कही. 25 अगस्त को नेपाल पुलिस के चार अधिकारी एसओजी टीम से मिलने आये. गोपनीयता बनाए रखने के लिए भारतीय टीम ने नेपाली पुलिस को यासीन भटकल का नाम नहीं बताया . केवल घर की ओर इशारा किया और गिरफ्तारी करने को कहा.
जब नेपाल ने दिखाए भारत को तेवर
नेपाली पुलिस ने एसओजी से कहा कि ये ऑपरेशन रात में होगा और केवल नेपाल पुलिस ही इसे अंजाम तक पहुंचाएगी. उस समय भटकल के घर के पास कोई एसओजी का अफसर नहीं दिखना चाहिए. चूंकि एस ओ जी टीम के पास कोई हथियार नहीं थे और भारत सरकार से ऑर्डर नहीं थे इसीलिए उन्हें नेपाल पुलिस की बात माननी पड़ी.
जब आईबी टीम से हुई बड़ी गड़बड़
26 अगस्त की दोपहर एक गड़बड़ हो गई. आईबी टीम का एक मेंबर उस घर के पास कोक की बॉटल पी रहा था. तभी आईबी टीम के उस मेंबर ने घर से एक व्यक्ति को अपनी ओर आते देखा. कुछ गड़बड़ होने का आभास होने पर वह वहां से भागे. उस आदमी ने आईबी मेंबर का पीछा करना भी शुरू कर दिया। अल कायदा के आदमी से बचने के लिए एसओजी आदमी को पास के एक हेयर सैलून में छिपना पड़ा. बाद में पता चला कि वो पीछा नहीं कर रहा था.
नेपाल पुलिस ने 25 अगस्त और 26 अगस्त का दिन बर्बाद कर दिया और कोई करवाई नहीं की. इसके बाद 27 अगस्त को फिर से भारत सरकार की तरफ से नेपाल सरकार को अनुरोध किया गया. 27 अगस्त को रात के करीब नौ बजे नेपाल पुलिस ओरेगांव इलाके में भटकल के ठिकाने के करीब पहुंची. एसओजी वाले काफ़ी दूर खड़े सबकुछ देख रहे थे. पुलिस वाले मकान में घुसने ही वाले थे कि काठमांडू के भारतीय दूतावास से एक अधिकारी का फोन एसओजी के पास आया. उसने बोला- ‘आप लोग गलत आदमी को पकड़ रहे हो, वो एक टरबाइन इंजीनयर है.’
जब इंडिया को मिली डबल खुशखबरी
ये सुनते ही एसओजी की टीम के लीडर बोले- ‘आप कैसे अधिकारी हो, आपको शक की बू नहीं आ रही. एक टरबाइन इंजीनियर कैसे यूनानी डॉक्टर का काम कर सकता है. आपको नहीं लगता कि कुछ गड़बड़ है. आप नेपाली पुलिस से कहिए संदिग्ध व्यक्ति को बाहर लेकर आए, हम उसकी पहचान करेंगे’ अगर वो भटकल नहीं हुआ तो हम लोग छोड़ देंगे. करीब 10 बजे नेपाल पुलिस मकान में जाती है और 10 मिनट बाद यासीन भटकल को एक और आदमी के साथ बाहर लेकर आती है. एसओजी की टीम दूसरे आदमी को देखकर हैरान थी क्योंकि ये दूसरा आदमी असदुल्लाह अख्तर उर्फ़ ‘हड्डी’ था. सिमी का खूंखार आतंकवादी जिसपर भारत सरकार ने 10 लाख रुपये का इनाम रखा था.
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नेपाली पुलिस ने आईबी टीम से कहा कि वे पकड़े गए दोनों आतंकी सरगनाओं को सीमा तक ले जाएंगे, जहां एसओजी के लोग उन्हें हिरासत में ले सकते हैं। एसओजी के लोग अपने बैग उठाने और सीमा की ओर भागने के लिए अपने होटल वापस लौट आए। आधी रात हो चुकी थी. होटल ने उन्हें सीमा तक पहुँचने में मदद की. दोनों आतंकियों को नेपाल पुलिस भारतीय बॉर्डर तक लेकर आई और फिर इन्हें एसओजी की टीम को 29 अगस्त की सुबह करीब 6 बजे सौंप दिया गया.
भटकल फिलहाल तिहाड़ जेल की जेल नंबर 2 में बंद है. एसओजी टीम लीडर को बाद में प्रशस्ति पत्र और 1 लाख रुपए का नकद इनाम दिया गया. तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने उन्हें 3.5 लाख रुपए का इनाम देने की अधिसूचना जारी की, लेकिन मंत्रालय ने कुछ ही समय बाद एक शुद्धिपत्र जारी कर इसे वापस ले लिया, और सफाई दी गई कि यह उनका कर्तव्य था.