Farmers Protest: सरकार-विपक्ष की सहमति, किसान आंदोलन पर होगी 15 घंटे की चर्चा
संसद में अब किसान आंदोलन को लेकर 15 घंटे चर्चा की जाएगी। चर्चा राज्यसभा में होगी, जहां प्रश्नकाल को अगले दो दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है। वहीं, 16 से अधिक विपक्षी दलों ने किसान विरोध प्रदर्शन पर पांच घंटे की स्टैंडअलोन चर्चा की मांग की थी।
किसान विरोध प्रदर्शन (Farmers Protest) पर संसद में 15 घंटे तक चर्चा होगी। सरकार ने विपक्ष के साथ अपनी एक वार्ता में आज सहमति व्यक्त की। किसान आंदोलन पर चर्चा राज्यसभा में होगी। जहां प्रश्नकाल को अगले दो दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है। बता दें 16 से अधिक विपक्षी दलों ने किसान विरोध प्रदर्शनों पर पांच घंटे की स्टैंडअलोन चर्चा की मांग की थी, जिसे सरकार ने बढ़ाकर 15 घंटे कर दिया।
संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने विपक्ष की मांग पर सहमति के बाद ये घोषणा की। वहीं, कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा, “चूंकि सरकार ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है, इसलिए हम चर्चा के लिए तैयार हैं।”
तीन कृषि कानूनों (Farmers Law) के खिलाफ दिल्ली के बाहर नेशनल हाईवे पर नवंबर से किसान इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका मानना है कि न्यूनतम गारंटी नहीं मिलने से उनकी आय में भारी कमी आएगी। जहां उनकी फसलों को बड़े कॉर्पोरेट्स के लिए खुला छोड़ दिया जाएगा और उनके द्वार उनका शोषण होगा। ऐसे में किसान आंदोलन पर चर्चा को समायोजित करने के लिए शुक्रवार को संसद में कोई प्रश्नकाल नहीं होगा। वहीं, निजी संसद सदस्यों के बिल शुक्रवार को नहीं लिए जाएंगे।
बता दें, किसान आंदोलन (Farmers Protest) को आज 70 दिन हो गए हैं। जो नवंबर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, हाल ही किसान नेताओं ने घोषणा की थी वे 6 फरवरी को देश में चक्का जाम करेंगे। ऐसे में पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं। दिल्ली के बोर्डर पर पुलिस बेरिकेड्स के साथ उन पर कटिली तारे लगाई है। यही नहीं पुलिस किसानों को रोकने के लिए सड़क पर बड़ी बड़ी किले भी लगाई। ऐसे में दिल्ली के बोर्डर किसी इंटरनेशनल बोर्डर से कम नहीं लग रहे हैं।
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वहीं, पुलिस द्वारा किसानों के खिलाफ इस तरह के इंतजाम उन्हें किसान होने से परे कुछ अलग पहचान दी जा रही है। ऐसे में मोदी सरकार और पुलिस के प्रति किसानों का आक्रोश बड़ता ही जाएगा। हालांकि, अब किसान आंदोलन को लेकर संसद में क्या चर्चा होती है और उसका क्या निष्कर्ष निकलता है, यह देखने वाली बात होगी।
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