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Delhi Pollution: पंजाब में आप की सरकार और दिल्ली में प्रदुषण की मार, क्या अरविन्द केजरीवाल निकाल पाएंगे कोई रास्ता!

पंजाब में जीती आम आदमी पार्टी और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार हमेशा से ही दिल्ली में प्रदुषण के बढ़ते स्तर की वजह पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा जलाये गए पराली को ही मानते है वजह चाहे जो भी हो, ऐसे में अब आम आदमी पार्टी पंजाब क्या कदम उठाती है ये देखने वाली बात होगी।

Delhi Pollution: मार्च 2022 चल रहा है। फागुन का महीना है। आज होली दहन और कल होली है। पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार बन गई है और दिल्ली में एमसीडी चुनाव भी टाल दिए गए हैं। ये सब अप्रसंग सा लगा रहा है। लेकिन मुद्दा पंजाब और दिल्ली को लेकर है और केंद्र आम आदमी पार्टी है। मार्च महीना इस लिए बता रहा हूं क्योंकि आज से ठीक 8 से 9 महीने बाद दिल्ली में एक बार उसी बड़ी समस्या का गुण गान होगा और सब पार्टी और तमाम लीडर्स राजनीति करेंगे।

आगर आपको ठीक से समझ न आ रहा हो तो मैं आपको ध्यान दिलाता हूं। आज से ठीक 7 से 9 महीने बाद दिल्ली पॉल्यूशन (Delhi Pollution) का स्तर इतना खराब हो जाएगा की दिल्ली में सांस लेना भी मुश्किल हो जायेगा। इसलिए सरकार इस समय क्या-क्या कदम उठा रही है या उठाने वाली है। इसके बारे में शायद आपको ढूंढना पड़े और इधर उधर हाथ पैर मरना पड़े लेकिन उस समय (नवम्बर 2022 के आस-पास) आपको अपने आप हर तरफ सरकार द्वारा विज्ञापन और ख़बरें देखने को मिलेंगी की सरकार क्या कर रही है।

पंजाब में जीती आम आदमी पार्टी और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार हमेशा से ही दिल्ली में प्रदुषण (Delhi Pollution) के बढ़ते स्तर की वजह पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा जलाये गए पराली को ही मानते है वजह चाहे जो भी हो, ऐसे में अब आम आदमी पार्टी पंजाब क्या कदम उठाती है ये देखने वाली बात होगी। हो सकता है इस बार पराली जलाई ही न जाए। क्योंकि भागवत मन सरकार के पास अभी टाइम भी है। क्या पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली के प्रदूषण को वाकई रोकने में कामयाब हो पायेगी या इस बार जुमलों से ही जनता को काम चलाना पड़ेगा।

खैर बात करते दिल्ली में सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी की जो दिल्ली में प्रदुषण (Delhi Pollution) को रोकने और कम करने के लिए विभिन्न उपाए कर रही है। जैसे पिछले साल दिल्ली सरकार ने ट्रायल बेसिस पर दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्मोक टावर इनस्टॉल किया था। रियल टाइम सोर्स अपार्शन्मेंट परियोजना के तहत सुपरसाइट लैब बनाने पर काम चल रहा है। यहीं नहीं, कई जगहों पर पानी का छिड़काव और स्मॉग गन भी लगाए जाते हैं जो आपको अभी शांत है और और नवम्बर के आस पास दुरुस्त होते हुए दिखाई देंगे। इसके अलावा, अरविन्द केजरीवाल की सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल को भी बढ़ावा दे रही है। लेकिन अलग अलग सरकार ने उपाए तो बहुत किये पर सफलता हाथ नहीं आई।

अगर दिल्ली में प्रदूषण (Delhi Pollution) के स्तर को देखें तो दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदुषण गाड़ियों से होता है। गाड़ियों के धुएं की वजह से 28 प्रतिशत प्रदूषण होता है। जबकि धूल-मिट्टी के कारण 17 प्रतिशत, कारखानों की गंदगी के कारण 30 प्रतिशत, खुले में कचरा जलाने की वजह से 4 प्रतिशत, डीजल जनरेटर की वजह से 10 प्रतिशत और पावर प्लांट के कारण 11 प्रतिशत प्रदूषण होता है।

देश की राजधानी दिल्ली में भले ही प्रदूषण (Delhi Pollution) के कई कारण हों, लेकिन केजरीवाल सरकार पराली जलाने को मुख्य वजह मानती रही है और कुछ सालों से ये मुद्दा इतना बड़ा बन गया है कि इस मुद्दे पर हर साल राजनीतिक टकराव देखने को मिलता है। दरअसल इस दम घोंटू और ज़ेहरली हवा से चार राज्य दिल्ली, हरियाणा पंजाब और यूपी सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं और हरियाणा, पंजाब और यूपी से दिल्ली घिरी हुई है और इन राज्यों में कृषि गतिविधिया होती है। ऐसे में इन राज्यों में पराली भी जलाई जाती जिसका सीधा असर दिल्ली की हवा पर पड़ता है।

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दिल्ली सरकार सालों से पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने पर रोक की मांग करती आ रही है। पिछले साल दिल्ली सरकार ने 1 से 6 नवंबर के आंकड़े दिखाते हुए दावा किया था जैसे-जैसे पराली जलने की घटनाएं बढ़ी है, दिल्ली का प्रदूषण (Delhi Pollution) स्तर भी बढ़ता गया है। दिल्ली सरकार ने नासा के सैटेलाइट के हवाले से पराली जलने की घटनाओं का डाटा भी पेश किया था। दिल्ली सरकार हमेश से ही पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने को वजह मानते रहे है जिसकी वजह से दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक होता रहा है।

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ऐसे में आम आदमी पार्टी फिलहाल के लिए क्या कदम उठाती है और पंजाब में किस तहर से पराली का निपटारा करती है और किसानों को पराली ना जलाने के लिए क्या सहायता करती है इस सब की जानकारी आपको फिलहाल अभी नहीं मिलेंगी क्योंकिं नवम्बर का महीना अभी काफी दूर है। मुझे भी नहीं पता दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी इस बार क्या करेगी कुछ करेगी भी या हर साल की तहर ही दो महीने इस मुद्दे पर राजनीती टकराव और जुमला बाज़ी होती रहेगी और फिर अगले साल यानि 2023 का इंतजार किया जायेगा। खेर जो भी हो अभी माहौल शांत है और दीवाली और नवम्बर 2022 का इंतजार करते हैं।

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