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पहली बार किसी हिंदी भाषी उपन्यास ने रचा International Booker Prize में यह इतिहास

हिंदी भाषा में लिखे जाने वाले उपन्यासों के लिए आज काफी खास दिन है। हिंदी उपन्यासकार और लघु कथाकार गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) का उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' ('Tomb of Sand') अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (International Booker Prize) के लिए दुनिया भर कुल 13 किताबों में शामिल हो चुका है।

हिंदी भाषा में लिखे जाने वाले उपन्यासों के लिए आज काफी खास दिन है। हिंदी उपन्यासकार और लघु कथाकार गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) का उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ (‘Tomb of Sand’) अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (International Booker Prize) के लिए दुनिया भर कुल 13 किताबों में शामिल हो चुका है। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार में इस स्थान तक पहुंचे वाला यह पहला हिंदी भाषा का उपन्यास है।

हिंदी से अंग्रेजी में किया गया अनुवाद फिर –

2018 में ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ उपन्यास को ‘रिट समाधि’ (‘Ret Samadhi’) के नाम से पहली बार प्रकाशित किया गया था। इसे हिंदी भाषा से अंग्रेजी भाषा में लेखक डेज़ी रॉकवेल ने अनुवादित किया था। डेज़ी रॉकवेल ने इस उपन्यास के बारे में कहा कि, “‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ उपन्यास एक समृद्ध, सुंदर और प्रायोगिक कार्य पर लिखी गई है। इसे अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए लेखिका गीतांजलि श्री के साथ काम करना एक सम्मान की बात थी। मैं इस बात से काफी खुश हूं कि अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जूरी ने अपनी लंबी सूची में से हमारी इस उपन्यास को भी चुना।”

क्या है ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ उपन्यास में खास –

प्रकाशन कंपनी पेंगुइन ने 22 मार्च, 2022 को अंग्रेजी भाषा में ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ की औपचारिक रिलीज तारीख रखी है।  ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ एक 80 वर्षीय महिला की कहानी है। जोकि अपने पति की मृत्यु के बाद पाकिस्तान जाती है। पाकिस्तान और भारत जिन हालातों में 1947 में अलग हुआ। उस समय यह महिला और इसका परिवार भी पाकिस्तान छोड़ भारत आया। लेकिन एक फिर से जब यह महिला पाकिस्तान जाती है तब अपने सभी विभाजन और जवानी के अनुभवों के अनसुलझी यादों का सामना करती है। ऐसे में लेखिका खूबसूरत तरीके से 80 साल की बुजुर्ग महिला को एक माँ, बेटी, एक महिला, एक नारीवादी होने के सभी पहलुओं में पिरो कर एक नया अर्थ देती है।

लेखिका गीतांजलि श्री का परिचय –

64 वर्षीय लेखिका गीतांजलि श्री थिएटर (Who is Geetanjali Shree) में भी सक्रिय रही हैं। उन्हें अपने कार्यों के लिए कई पुरस्कार और फेलोशिप प्राप्त हुए हैं। ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ ब्रिटेन में प्रकाशित होने वाली उनकी पहली किताबों में से एक है। गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘माई’ को 2001 में क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड के लिए चुना गया था। इसका अंग्रेजी में अनुवाद नीता कुमार ने भी किया था। जिन्हें अनुवाद के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार और बशीर उनवान द्वारा उर्दू में सम्मानित किया गया था। गीतांजलि श्री की पहली कहानी, ‘बेल पत्र’ (1987) साहित्यिक पत्रिका ‘हंस’ में प्रकाशित हुई थी और उसके बाद लघु कहानियों का संग्रह ‘अनुगूंज’ (1991) था।

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अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की राशि –

2016 के बाद से, यह पुरस्कार अंग्रेजी (International Booker Prize Money) में अनुवादित और यूनाइटेड किंगडम या आयरलैंड में प्रकाशित एक एकल पुस्तक को प्रतिवर्ष दिया जाता है, विजेता शीर्षक के लिए £50,000 का पुरस्कार है। यह पुरस्कार लेखक और अनुवादक के बीच समान रूप से साझा किया जाता है। पुरस्कार के लिए 2022 की शॉर्टलिस्ट की घोषणा 7 अप्रैल को लंदन बुक फेयर में और विजेता की घोषणा 26 मई को लंदन में एक समारोह में की जाएगी।

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