मीट दुकानदारों को बताना होगा हलाल या झटका? SDMC ने लागू किया ये कानून
नागरिक निकाय ने पिछले साल दिसंबर में एक प्रस्ताव रखा था जिसमें कहा गया था कि हलाल मीट का सेवन 'हिंदू धर्म और सिख धर्म' में 'निषिद्ध' और धर्म 'विरुद्ध' है।
दक्षिण दिल्ली नगर निगम ने गुरुवार को जिले के सभी रेस्तरां और मीट की दुकानों के लिए ‘हलाल मिट’ या ‘झटका मीट’ लिखना अनिवार्य कर दिया है। चाहे वो किसी भी प्रकार का मीट हो, जिसे परोसा और बेचा जा रहा है। नागरिक निकाय ने पिछले साल दिसंबर में ये प्रस्ताव रखा था जिसमें कहा गया था कि हलाल मांस का सेवन ‘हिंदू धर्म और सिख धर्म में निषिद्ध और धर्म विरुद्ध’ है। साउथ दिल्ली यानी एसडीएमसी के अंतर्गत आने वाले चार ज़ोन के 104 वार्डों में हज़ारों रेस्तरां चल रहे हैं और 90% रेस्तरां में मांस परोसा जा रहा है, लेकिन यह उनके द्वारा प्रदर्शित नहीं किया जाता है कि जो वो मीट परोस या बेच रहे हैं, वो हलाल या झटका मीट है।
हिंदू और सिख धर्म ये मीट खाना धर्म के खिलाफ-
हिंदू धर्म और सिख धर्म के मुताबिक, हलाल मांस खाना मना है और ये धर्म के खिलाफ है, इसलिए, समिति का कहना है कि यह निर्देश रेस्तरां और मांस की दुकानों को दिया जाए कि यह उनके द्वारा बेचे और परोसे जाने वाले मीट के बारे में अनिवार्य रूप से लिखा जाए कि हलाल या झटका मीट यहां उपलब्ध है। वहीं, इस निर्णय का पालन करते हुए हलाल या झटका मीट लिखना दुकानदारों के लिए अनिवार्य है। साथ ही, दक्षिणी दिल्ली में रेस्तरां और मांस की दुकानों को तदनुसार लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता भी होगी।
ग्राहकों को पता होना चाहिए वो कौन-सा मीट ले रहे हैं-
रिपोर्ट्स के मुताबिक स्थायी समिति के चेयरपर्सन राजदत्त गहलोत ने तर्क दिया था कि जिस तरह का मांस परोसा जा रहा है, उसके संबंध में खरीदार को पता होना चाहिए, ताकि वे सूचित निर्णय ले सकें। उन्होंने कहा, “अभी हमारे पास एक ऐसी स्थिति है, जिसमें एक प्रकार के मांस के लिए लाइसेंस जारी किया गया है, जबकि कुछ और बेचा जा रहा है।” वहीं, इस प्रस्ताव को छतरपुर की पार्षद अनीता तंवर द्वारा स्थानांतरित किया गया और 9 नवंबर, 2020 को चिकित्सा और सार्वजनिक कल्याण पैनल द्वारा पेश किया गया।
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पिछले कुछ सालों देखें गए मीट से जुड़े कई प्रस्ताव-
आपको बता दें पिछले कुछ वर्षों में, मांस के संबंध में प्रस्तावों के साथ नागरिक निकायों को देखा गया है। कुछ महीने पहले, पूर्वी निगम ने एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें कहा गया था कि डीडीए के नए मास्टर प्लान में आवासीय लेन में अनुमति दी गई 24 ट्रेडों के बीच मांस की दुकानों को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। वहीं, अगस्त 2018 में इसने हलाल-झटका बोर्डों को अनिवार्य करने के लिए एक समान प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी।
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