कौन है लखीमपुर खीरी में पत्रकार रमन कश्यप का कातिल?
पत्रकार रमन कश्यप (Journalist Raman Kashyap) की कहीं कोई चर्चा नहीं है। जिनके मारे जाने की खबर अब सोशल मीडिया पर फैल चुकी है।
लखीमपुर खीरी में किसान और सरकार के बीच समझौता हो गया है। सरकार की तरफ से मृतक चार किसानों के परिवार वालों को 45 लाख रुपये के साथ एक सरकारी नौकरी देने की बात कही गई है। इस हिंसक झड़प में घायल किसानों को 10 लाख रुपये दिए जाएंगे। यह बात खुद यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कही है। लेकिन पत्रकार रमन कश्यप (Journalist Raman Kashyap) की कहीं कोई चर्चा नहीं है। जिनके मारे जाने की खबर अब सोशल मीडिया पर फैल चुकी है।
क्या किसी पत्रकार की मौत मायने नहीं रखती-
जानकारी के मुताबिक जब यह हिंसा भड़की तो इस हिंसा को कवर करने स्थानिय पत्रकार रमन कश्यप भी वहां पहुचे। लेकिन हिंसक भीड़ ने उन्हे भी अपना शिकार बना लिया। पत्रकार रमन कश्यप घायल अवस्था में अस्पताल पहुंचे। जहां हालत गंभीर होने की वजह से उनकी मौत हो गई। इस पूरी घटना में किसान नेताओं ने मृतक किसानों को न्याय दिलवाने के साथ मुआवजे की मांग की। जिसको लेकर सरकार मान गई और एफआईआर के साथ सरकारी नौकरी और 45 लाख रुपये तय हुए। लेकिन उस पत्रकार का क्या, जिसकी मौत को भी दबा दिया गया है।
पत्रकार को किसने उतारा मौत के घाट-
पत्रकार रमन कश्यप (Journalist Raman Kashyap) का कातिल कौन है? किसानों ने कहा उनके ऊपर बीजेपी के नेता ने कार चढ़ा दी, जिससे उनके साथियों की मौत हुई। केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने कहा किसानों ने उनके तीन कार्यकर्ता और एक ड्राइवर को मार डाला। लेकिन किसी की रिपोर्ट में या आरोप में इस बात का जिक्र नहीं है कि स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप की मौत कैसे हुई। क्या उन्हे किसानों ने मारा या फिर बीजेपी के कार्यकर्तओं ने कार चढ़ा कर घायल कर जान ले ली।
किसान को मुआवजा लेकिन पत्रकार को क्या-
सोशल मीडियो पर भी जनता यही सवाल पूछ रही है। पत्रकार रमन कश्यप (Journalist Raman Kashyap) के साथ न ही बीजेपी पार्टी और न ही किसान खड़े हुए हैं। जाहिर सी बात है कि रमन कश्यप का भी अपना एक परिवार होगा। वो भी अपने परिवार के लिए कमाते होंगे। अब उनके जाने के बाद उनके परिवार का क्या होगा। क्या सरकार को उनके घरवालों को मुआवजा देने की घोषणा नहीं करनी चाहिए।