विश्व की नंबर एक इस भारतीय खिलाड़ी के पिता अभी भी चलाते हैं ऑटो रिक्शा
कहते हैं कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। काम तो काम होता है। लेकिन बदलते समय के साथ इंसान अपने काम को लेकर कई बदलाव भी करता है। आपने सुना होगा कि घर में बेटी या बेटे के खिलाड़ी बनते ही परिजनों का काया पलट हो गया। सबने नए नए काम शुरु कर दिए।
![Archer Deepika Kumari Father Still drive auto rikshaw](http://i0.wp.com/jantaconnect.com/wp-content/uploads/2021/07/Toyota-Innova-Crysta-2.jpg?fit=700%2C400&ssl=1)
कहते हैं कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। काम तो काम होता है। लेकिन बदलते समय के साथ इंसान अपने काम को लेकर कई बदलाव भी करता है। आपने सुना होगा कि घर में बेटी या बेटे के खिलाड़ी बनते ही परिजनों का काया पलट हो गया। सबने नए नए काम शुरु कर दिए। लेकिन एक खिलाड़ी का परिवार ऐसा भी है जोकि अभी भी रिक्शा ही चलाता है। खिलाड़ी के परिवार में उसके पिता अभी भी रिक्शा चलाते हैं और शान से कहते हैं कि इसमें कैसी शर्म। इस विश्व नंबर एक खिलाड़ी का नाम दीपिका कुमारी है। दीपिका कुमारी एक तीरंदाज हैं। इतना ही नहीं वो विश्व की नबंर एक तीरंदाज हैं।
दीपिका के पिता (Deepika’s Father) का नाम शिवनारायण महतो (Shivnarayan Mahto) है। उनका कहना है कि कोई भी काम बड़ा या छोटा नहीं होता है। उन्होने बताया कि कैसे उन्होने ऑटो रिक्शा चलाकर दीपिका को पढ़ाया और तीरंदाज बनने के उसके सपनों को भी सच किया। हालांकि उन्होने इस बात को भी कहा कि घर में सभी लोग उन्हे रिक्शा चलाने से मना करते हैं। लेकिन उन्होने ये काम नहीं छोड़ा। शिवनारायण महतो पहले के मुकाबले अब 3 से 4 घंटे ही दिनभर में रिक्शा चलाते हैं। उनको ये काम करने से खुशी मिलती है।
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![Archer Deepika Kumari in tokyo olympics 2020](http://i0.wp.com/jantaconnect.com/wp-content/uploads/2021/07/Delhi-Police-Commissioner-1.jpg?resize=708%2C404&ssl=1)
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शिवनारायण महतो जैसा पिता और इंसान बड़े ही भाग्य से लोगों को मिलते हैं। जो अपने शुरुआती संघर्षों को हमेशा याद रखते हैं। आज भले ही उनकी बेटी दुनिया की नंबर एक तीरंदाज है लेकिन वो आज भी इस बात को लेकर खुश हैं कि बेटी अपना कर्तव्य निभा रही है और वो अपना निभा रहे हैं।