जानिए Prithviraj की Real Story में चाचा कन्ह की प्रतिज्ञा, Sanyogita का प्यार, MD Guari से वार, और Jaychand का धोखा, सबकुछ यहां
फिल्म में संजय दत्त पृथ्वीराज चौहान के चाचा यानी 'काका कन्ह' का रोल निभा रहे हैं। वैसे तो फिल्म अभी रिलीज नहीं हुई है लेकिन अगर फिल्म में काका कन्ह का रोल विस्तार से दिखाया गया तो आप पाएंगे कि पृथ्वीराज के साथ साथ उनके काका भी साहस के अद्भुत उदाहरण है।
![Prithviraj Chauhan real love and war story](http://i0.wp.com/jantaconnect.com/wp-content/uploads/2021/11/Prithviraj-Chauhan-real-love-and-war-story-1.jpg?fit=700%2C400&ssl=1)
12 साल की आयु मे बिना किसी हथियार के शेर को मार गिराने वाले पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) एक ऐसे शूरवीर योद्धा थे, जिनके साहस और पराक्रम के किस्से भारतीय इतिहास के पन्नों पर सुशोभित हो रहे हैं। वे आर्कषक कद-काठी के सैन्य विद्याओं में निपुण योद्धा थे। जिन्होंने अपने अद्भुत साहस से सूरदास होकर भी दुश्मनों को धूल चटाई थी।
पृथ्वीराज के टीजर में संजय दत्त की झलक-
डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी (Dr. Chandra Prakash Dwivedi) के निर्देशन मे बन रही पृथ्वीराज 21 जनवरी 2022 (Prithiviraj Release Date) को दुनियाभर में रिलीज होगी। अभिनेता अक्षय कुमार (Akshay Kumar in Prithiraj Chauhan) ने अपनी ऐतिहासिक फिल्म ‘पृथ्वीराज’ के टीजर को सोमवार को रिलीज किया और कहा कि यह फिल्म पृथ्वीराज चौहान की बहादुरी और साहस को सच्ची श्रद्धांजलि है।
![Prithviraj Chauhan Who is Kaka kahn and What is his story](http://i0.wp.com/jantaconnect.com/wp-content/uploads/2021/11/Prithviraj-Chauhan-Who-is-Kaka-kahn-and-What-is-his-story.jpg?resize=708%2C404&ssl=1)
इस टीजर में 58वें सेकंड के एक फ्रेम में संजय दत्त (Sanjay Dutt in Prithviraj Chauhan) आंखों पर पट्टी बांधे दिखाई देते हैं, वो भी साइड पोज में। दरअसल, फिल्म में संजय दत्त पृथ्वीराज चौहान के चाचा यानी ‘काका कन्ह’ (Kaka Kanh) का रोल निभा रहे हैं। वैसे तो फिल्म अभी रिलीज नहीं हुई है लेकिन अगर फिल्म में काका कन्ह का रोल विस्तार से दिखाया गया तो आप पाएंगे कि पृथ्वीराज के साथ साथ उनके काका भी साहस के अद्भुत उदाहरण हैं।
पृथ्वीराज की कहानी उनके ही दोस्त चंदबरदाई की जुबानी-
मूवी रिलीज होने के बाद आप सबको पता चल जाएगा कि इस फिल्म मे कितना कुछ छिपाया गया है और कितना कुछ बताया गया है। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे पृथ्वीराज चौहान के वो किस्से जिन्हे कवि चंद्रवरदाई (Kavi Chandrvardai) ने अपनी काव्य रचना “पृथ्वीराजरासो” (Prithviraj Raso) में उल्लेख किया है।
![Prithviraj Raso by Kavi Chandbardai](http://i0.wp.com/jantaconnect.com/wp-content/uploads/2021/11/Prithviraj-Raso-by-Kavi-Chandbardai.jpg?resize=708%2C404&ssl=1)
इतिहास के इस महान योद्धा पृथ्वीराज का जीवन-
चौहान वंश के क्षत्रिय शासक सोमेश्वर (King Someswar) और कर्पूरा देवी (Karpura Devi) के घर साल 1149 में जन्में पृथ्वीराज चौहान के जन्म (Prithviraj Born) के समय से ही उनकी मृत्यु को लेकर राजा सोमेश्वर के राज में साजिश रची जाने लगी थी। राज घराने में पैदा होने की वजह से पृथ्वीराज चौहान का पालन-पोषण काफी सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण वातावरण (Prithviraj Chauhan Childhood) में हुआ था।
युद्ध और शस्त्र विद्या की शिक्षा उन्होंने अपने गुरु श्री राम जी से प्राप्त की थी। इसी समय पृथ्वीराज चौहान की मुलाकात चंद्रवरदाई से हुई। दोनों इतने अच्छे दोस्त बन गए कि वे दोनों एक दूसरे का भाई की तरह ख्याल रखने लगे।
![Prithviraj Chauhan Biography](http://i0.wp.com/jantaconnect.com/wp-content/uploads/2021/11/Prithviraj-Chauhan-Biography-.jpg?resize=708%2C403&ssl=1)
पृथ्वीराज चौहान जब महज 11 साल के थे, तभी उनके पिता सोमेश्वर की एक युद्ध में मौत (Prithviraj Father Died) हो गई, जिसके बाद वे साल 1166 में अपने नाना अनंगपाल (Prithviraj ke Nana Anagpal) की मौत के बाद दिल्ली के राजसिंहासन पर बैठे और कुशलतापूर्वक उन्होंने दिल्ली की सत्ता संभाली।
पृथ्वीराज चौहान के नाम लड़कियों का प्रेम पत्र-
पृथ्वीराज चौहान के अद्भुत साहस और वीरता के किस्से हर तरफ थे, जब राजा जयचंद (King Jay chand) की बेटी संयोगिता (Sanyogita) ने उनकी बहादुरी के किस्से सुने तो उनके हृदय में पृथ्वीराज चौहान के लिए प्रेम भावना (Prithviraj Chauhan and Sanyogita Love Story) उत्पन्न हो गईं। वे रोज गुप्त रुप से पृथ्वीराज चौहान को पत्र भेजने लगीं।
पृथ्वीराज चौहान भी राजकुमारी संयोगिता की खूबसूरती से बेहद प्रभावित थे और वे भी राजकुमारी के प्यार में दिल दे बैठे थे। वहीं दूसरी तरफ जब रानी संयोगिता और पृथ्वीराज चौहान के बारे में उनके पिता राजा जयचंद को पता चला तो उन्होंने अपनी बेटी संयोगिता के विवाह के लिए स्वयंवर करने का फैसला किया।
पृथ्वीराज के दुश्मन बने संयोगिता के पिता जयचंद-
राजा जयचंद ने समस्त भारत पर अपना शासन चलाने की घोषणा कर रखी थी। पृथ्वीराज चौहान नहीं चाहते थे कि क्रूर और घमंडी राजा जयचंद का भारत में प्रभुत्व हो, इसलिए उन्होंने राजा जयचंद का विरोध भी किया था। जिससे राजा जयचंद के मन में पृथ्वी के प्रति घृणा और भी ज्यादा बढ़ गई थी।
राजा जयचंद ने पूरे भारत पर शासन करने की इच्छा के चलते अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन करने का निश्चय किया और एलान किया कि इस यज्ञ के बाद ही रानी संयोगिता का स्वयंवर (Sanyogita Swayanvar) होगा। राजा जयचंद ने अपनी बेटी के स्वयंवर के लिए देश के कई छोटे-बड़े महान योद्धाओं को न्योता दिया, लेकिन पृथ्वीराज चौहान को अपमानित करने के लिए उन्हें न्योता नहीं भेजा गया। जब पृथ्वीराज चौहान को जयचंद के इस चालाकी के बारे मे पता चल तो उन्होंने अपनी प्रेमिका को पाने के लिए एक गुप्त योजना बनाई।
जब भरे दरबार से राजकुमारी को ले गए पृथ्वीराज-
स्वयंवर के दिन कई बड़े-बडे़ राजा, राजकुमारी संयोगिता से विवाह (Sanyogita aur Prithviraj Ke Vivah Ki Kahani) करने के लिए पहुंचे। जयचंद ने पृथ्वी राज को अपमान करने के उद्देश्य से द्वारपालों के स्थान पर पृथ्वीराज चौहान की तस्वीरें लगवा दीं। स्वयंवर शुरू हो चुका था। राजकुमारी संयोगिता जिस राजा के गले मे वरमाला डालती, उनका विवाह उस राजा के साथ हो जाता। अपने हाथों मे वरमाला लेकर राजकुमारी एक-एक कर सभी राजाओं के पास से गुजरी। राजकुमारी बिना किसी को देखे सीधे बढ़ती जा रही थीं। राजकुमारी संयोगिता उस स्थान पर पहुंची जहा उनके पिता ने पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति खड़ी कारवाई थी।
![Prithviraj Chauhan Love Story With Sanyogita](http://i0.wp.com/jantaconnect.com/wp-content/uploads/2021/11/Prithvira-Chauhan-Love-Story-With-Sanyogita.jpg?resize=708%2C404&ssl=1)
उन्होंने बिना देरी किये दोनों हाथ उठाए और द्वारपाल बने पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति (Prithviraj ki murti per daala haar) पर हार डाल दिया, जैसे ही उन्होंने वरमाला डाला, पूरे स्वयंबर मे हंगामा मच गया। स्वयंवर में आए सभी राजा खुद को अपमानित महसूस करने लगे।
पृथ्वीराज के पीछे खड़े चौहान आ गए सामने-
स्वयंबर में जब हंगामा हो रहा था तभी द्वारपाल की प्रतिमा के पीछे खड़े पृथ्वीराज चौहान, सामने आए और राजा जयचंद के सामने ही रानी संयोगिता को उठाया और सभी राजाओं को युद्ध के लिए ललकार कर वे तुरंत अपने घोड़े में बैठ महल के बाहर चले गए। ये सब इतना तेजी से हुआ कि जब तक कोई कुछ करता तब तक पृथ्वीराज अपनी राजकुमारी के साथ निकल चुके थे।
![Prithviraj Chauhan and Sanyogita Love Story](http://i0.wp.com/jantaconnect.com/wp-content/uploads/2021/11/Prithviraj-Chauhan-and-Sanyogita-Love-Story.jpg?resize=708%2C404&ssl=1)
इसके बाद राजा जयचंद गुस्से से इतना आग बबूला हो गए कि इसका बदला लेने के लिए उन्होंने तुरंत अपनी सेना को पृथ्वीराज चौहान का पीछा करने का आदेश दे दिया, लेकिन उनकी सेना महान पराक्रमी पृथ्वीराज चौहान को पकड़ने में असमर्थ रही और जयचंद के सैनिक पृथ्वीराज चौहान का बाल भी बांका नहीं कर सके। इसके बाद राजा जयचंद और पृथ्वीराज चौहान के बीच साल 1189 और 1190 में भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में हार जीत तो किसी की नहीं हुई लेकिन इसमे कई लोगों की जान चली गई और दोनो सेनाओं को भारी नुकसान हुआ।
पृथ्वीराज चौहान की 300 हाथी से सुसज्जित सेना-
3 लाख सैनिक और 300 हाथी से सुसज्जित सेना दूरदर्शी शासक पृथ्वीराज चौहान की थी, उनकी विशाल सेना में घोड़ों की सेना का भी खासा महत्व था। अपनी इस विशाल सेना की वजह से उन्होंने न सिर्फ कई युद्ध जीते बल्कि वे अपने राज्य का विस्तार भी करने में कामयाब रहे। पृथ्वीराज चौहान जैसे-जैसे युद्ध जीतते गए, वैसे-वैसे वे अपनी सेना को भी बढ़ाते गए।
मुहम्मद गोरी को पृथ्वीराज चौहान ने चटाई धूल-
पृथ्वीराज चौहान की यश कीर्ति सुन मुहम्मद ग़ोरी (Mohammad Gauri) ने पृथ्वीराज के शासन को हड़पने के उद्देश्य से अपनी सेना के साथ हमला कर दिया। पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गोरी का वीरता के साथ मुकाबला किया, जिसके चलते मुहम्मद ग़ोरी बुरी तरह घायल हो गया, कुछ समय के बाद मुहम्मद ग़ोरी ने फिर एक बार आक्रमण किया। पृथ्वीराज हर बार गोरी को जीवित ही छोड़ देते थे। इतनी बार हार जाने के बाद मुहम्मद ग़ोरी के मन ही मन में प्रतिशोध बढ़ता ही जा रहा था।
![Prithviraj Chauhan and Muhhamad Gauri War](http://i0.wp.com/jantaconnect.com/wp-content/uploads/2021/11/Prithviraj-Chauhan-and-Muhhamad-Gauri-War.jpg?resize=708%2C403&ssl=1)
जयचंद ने मिलाया मुहम्मद गोरी से हाथ-
जब संयोगिता के पिता और पृथ्वीराज चौहान के सख्त दुश्मन राजा जयचंद को इस बात की भनक लगी तो जयचंद ने अच्छा मौका जान मुहम्मद ग़ोरी से हाथ मिला लिया और दोनों ने मिलकर पृथ्वीराज चौहान को जान से मारने के लिए षड़यंत्र रचा।
जब दुश्मनों से अकेले लड़े पृथ्वीराज चौहान-
इसके बाद दोनों ने मिलकर साल 1192 में अपने मजबूत सैन्य बल के साथ पृथ्वीराज चौहान पर फिर से तराइन के मैदान पर आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान अकेले पड़ गए थे, तब उन्होंने अन्य राजपूत राजाओं से मदद मांगी लेकिन राजकुमारी संयोगिता के स्वयंवर में पृथ्वीराज चौहान द्धारा किए गए अपमान को लेकर कोई भी राजपूत शासक उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया।
पृथ्वीराज को अफगानिस्तान ले गए-
इस मौके का फायदा उठाते हुए राजा जयचंद ने पृथ्वीराज चौहान का भरोसा जीतने के लिए अपना सैन्य बल पृथ्वीराज चौहान को सौंप दिया। उदार स्वभाव के पृथ्वीराज चौहान राजा जयचंद की इस चाल को समझ नहीं पाए और इस तरह जयचंद्र की धोखेबाज सैनिकों ने पृथ्वीराज चौहान के सैनिकों का संहार कर दिया और पृथ्वीराज चौहान और उनके मित्र चंद्रवरदाई को अपने जाल में फंसाकर उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गए।
मुहम्मद गौरी ने फोड़ डाली पृथ्वीराज की आंखे-
पृथ्वीराज चौहान से कई बार पराजित होने के बाद मुहम्मद ग़ोरी अंदर ही अंदर प्रतिशोध से भर गया था, इसलिए बंधक बनाने के बाद भी पृथ्वीराज चौहान को उसने कई शारीरिक यातनाएं दीं और उसने पृथ्वीराज चौहान की दोनों आँख फोड़ डाली। काफी यातनाएं सहने के बाद भी वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान अडिग रहे।
एक दिन पृथ्वीराज चौहान के बेहद करीबी मित्र और राजकवि चंद्रवरदाई ने मुहम्मद ग़ोरी को पृथ्वीराज चौहान के शब्दभेदी वाण चलाने की खूबी के बारे मे बताया। जिसके बाद ग़ोरी हंसने लगा और कहा कि एक अंधा बाण कैसे चला सकता है, मुहम्मद ग़ोरी ने एलान किया कि पृथ्वी अगर शब्दभेदी बाण चलाने में असमर्थ रहे तो वो पृथ्वीराज चौहान को तुरंत मार देगा। अगले दिन तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमे कई महाराजाओ को निमंत्रण दिया गया।
“चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान“
सूरदास हो चुके पृथ्वीराज धनुष बाण के साथ मैदान में पहुचे। जैसे ही पृथ्वीराज ने दोनों हाथ उठाए तभी उनके मित्र चंद्रवरदाई ने दोहों के माध्यम से अपनी अद्भुत कला प्रदर्शित की और भरी सभा में कहा कि “चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान।”
![Prithviraj Chauhan Chilhood Friend Chandra Badardai](http://i0.wp.com/jantaconnect.com/wp-content/uploads/2021/11/Prithviraj-Chauhan-Chilhood-Friend-Chandra-Badardai.jpg?resize=708%2C403&ssl=1)
पृथ्वीराज चौहान ने चंद्रवरदाई के दोहे को सुना और तुरंत बाण लेकर दूरी और दिशा को समझते हुए ऐसा तीर चलाया कि गौरी के दरबार में ही उसकी खड़े-खड़े मौत हो गई इसके बाद पृथ्वीराज चौहान और उनके मित्र ने अपने दुश्मनों के हाथों मरने के बजाय एक-दूसरे पर वाण चलाकर अपनी जीवनलीला खत्म कर दी, वहीं जब राजकुमारी संयोगिता को इस बात की खबर लगी तो उन्हो ने भी पतिवियोग में अपने प्राण त्याग दिए। फिल्म पृथ्वीराज से डेब्यू करने वाली मानुषी छिल्लर ने संयोगिता की भूमिका निभाई है।
दिया गर किसी ने मूछों पर ताव तो काट डालूँगा उसका सर-
फिल्म में काका कन्ह के बारे मे कितना बताया गया है, ये तो रिलीज होने के बाद पता चलेगा लेकिन आज हम आपको पृथ्वीराज चौहान के ऐसे काका के बारे मे बताने जा रहे हैं जिनके बारे मे चंदवरदाई ने “पृथ्वीराज रासौ” मे लिखा है कि काका कन्ह का प्रण था कि मेरे सामने यदि किसी ने अपनी मूंछ पर हाथ भी रखा तो फिर चाहे वो कोई भी व्यक्ति क्यों न हो, मैं उसका सिर काट दूंगा या स्वयं मर जाऊंगा।
काका कन्ह ने क्यों खाई थी ऐसी प्रतिज्ञा-
एक समय की बात है जब अजमेर महाराज सोमेश्वर चौहान (पृथ्वीराज चौहान के पिता) के दरबार में महाभारत का प्रसंग चल रहा था और योद्धाओं के शौर्य का बखान हो रहा था। जोश जोश में दरबार मे बैठे एक नागरिक प्रताप सिंह ने अपनी मूंछ पर ताव दे दिया। उन्हें पृथ्वीराज के काका और सोमेश्वर के भाई कन्ह चौहान की प्रतिज्ञा का पता नहीं था कि उनके सामने अगर कोई मूंछ पर ताव देगा, तो वे उसे जिन्दा नहीं छोड़ेंगे।
![Prithviraj Chauhan Kaka Kanh Real Story](http://i0.wp.com/jantaconnect.com/wp-content/uploads/2021/11/Prithviraj-Chauhan-Kaka-Kanh-Real-Story.jpg?resize=708%2C404&ssl=1)
कन्ह ने जैसे ही प्रताप के मूंछ मरोडने को देखा वो तुरंत अपने सिंहासन से उठे और भरी सभा में प्रताप सिंह का शरीर दो टुकड़े मे बाँट दिया। यह देखकर प्रताप के बाकी 6 भाई भी कन्ह पर टूट पड़े और दरबार रणभूमि बन गया। महाराजा सोमेश्वर हक्के-बक्के रह गए। उनके दरबार में खून बह रहा था और वे असहाय थे। वे दुखी मन से महल में चले गए। इस घटना से व्यथित राजा सोमेश्वर चौहान ने कन्ह की आंखों पर सदैव पट्टी बांधने का फैसला सुना दिया।
घघ्घर के युद्ध में हटाई थी आंख से पट्टी-
“पृथ्वीराज रासौ” मे एक घग्घर नदी के युद्ध का जिक्र किया गया है जिसमे पृथ्वीराज चौहान के काका कन्ह के युद्ध वर्णन से जुड़ी एक कविता है। इस युद्ध में ही पृथ्वीराज चौहान के विशेष आग्रह पर काका कन्ह की आंख से पट्टी उतार दी गई थी। इसके बाद गौरी के प्रमुख सेनानायक ने जब मूंछ पर हाथ रखा तो काका कन्ह ने उसको हाथी पर सवार ही नहीं होने दिया, और उसे सिर से पैर तक चीर कर दो फाड़ कर दिया ।
कब आएंगे अक्षय कुमार उर्फ पृथ्वीराज चौहान?
‘पृथ्वीराज’ अगले साल यानी 21 जनवरी 2022 को थिएटर में रिलीज़ होगी। टीज़र तो आ गया है लेकिन ट्रेलर आने के बाद थोड़ा और साफ़ हो जाएगा कि सिनेमाघर में हमें क्या देखने को मिलेगा। क्योंकि राजपूत और गुर्जर समाज ने पृथ्वीराज के इतिहास से छेड़छाड़ को लेकर पहले ही अक्षय कुमार को धमकी दे दी है।