दुनिया

जानिए क्यों तालिबान के आने से भारत है परेशान जबकि पाकिस्तान के लिए है वरदान ?

“चोर चोर मौसेरे भाई” का अवॉर्ड अगर दुनिया मे दिया जाता तो इस बात से कोई इनकार नहीं करेगा कि इस खिताब का पहला हकदार चीन और पाकिस्तान ही होगा। बीते दो दशक में भारत ने भारी निवेश किया है। भारत के अभी 22,000 करोड़ के प्रोजेक्ट दांव पर लगे हुए है।विदेश मंत्रालय के मुताबिक अफगानिस्तान में भारत के 400 से अधिक छोटे-बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं।

पाकिस्तान किस बला का नाम है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस देश की खुफिया एजेंसी ISI ने तालिबान की मदद (Taliban In Afghanistan) के लिए मदरसों से 20,000 से ज़्यादा लड़ाके अफगानिस्तान पहुंचाए हैं। तालिबान का एकाएक इतना शक्तिशाली हो जाना और 19 प्रांतों की राजधानी पर कब्जा कर लेना, ये सब पाकिस्तान की ही मेहरबानी है।

दोनों का पेट एक, इरादा कभी न नेक-

“चोर चोर मौसेरे भाई” का अवॉर्ड अगर दुनिया में दिया जाता तो इस बात से कोई इनकार नहीं करेगा कि इस खिताब का पहला हकदार चीन और पाकिस्तान ही होगा। चीन और पाकिस्तान दोनों अफगानिस्तान में भारत की मौजूदगी को पसंद नहीं करते है। बीते दो दशक में भारत ने भारी निवेश किया है। भारत के अभी 22,000 करोड़ के प्रोजेक्ट दांव पर लगे हुए हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक अफगानिस्तान में भारत के 400 से अधिक छोटे-बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं।

Taliban In Afghanistan का एनर्जी बूस्टर पाकिस्तान-

अफगानिस्तान के 65% इलाके अब तालिबान (Taliban In Afghanistan) के कब्जे में आ चुके हैं। तालिबान काबुल से महज 50 किमी दूर रह गया है, मतलब सिर्फ 2 घंटे में ही काबुल पहुंचा जा सकता है। दुनिया आज भी ये सोचकर हैरान है कि इतनी जल्दी तालिबान ने अफगानिस्तान पर कैसे कब्जा कर लिया।

कुछ हफ्ते पहले ही पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक रूप से चेतावनी दी थी कि अगर अफगानिस्तान की सेना ने तालिबान को रोकने की कोशिश की तो उनका देश एयर स्ट्राइक करेगा। कुछ हफ्तों के भीतर ही पाकिस्तान ने 20,000 लड़ाकों की फौज उतार दी। ISI द्वारा अफगानिस्तान में तालिबानी और पाकिस्तानी आतंकवादियों को भारत के बनाए प्रतिष्ठान और संपत्तियों को निशाना बनाने के लिए कहा जा रहा है। पाकिस्तानी सेना और ISI आतंकवादियों को ट्रेनिंग देने के साथ-साथ तालिबानी (Taliban In Afghanistan) लड़ाकों को हथियार मुहैया करवा रही है। अफगानिस्तान से सटे इलाकों में पाकिस्तानी सेना के अस्पतालों में तालिबान के घायल कमांडरों का इलाज किया जा रहा है।  ये पाकिस्तान और तालिबान की घनिष्ठ मित्रता के वो संकेत हैं, जिनका जिक्र अफगानिस्तान विश्व मंच पर कुछ समय से करता आया है। सवाल यह है कि पाकिस्तान इन तालिबानियों की मदद क्यों कर रहा है?

भारत को Taliban In Afghanistan से क्या डर है ?

दुश्मन का पड़ोसी हमारा मित्र होना चाहिए, और ये बात भारत से अच्छा कोई नहीं समझ सकता है ईरान, मंगोलिया, वियतनाम और अफगानिस्तान जैसे देशों मे भारत के मिलयन डॉलर के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। अफगानिस्तान भारत की सुरक्षा की दृष्टि से हमेशा बहुत महत्वपूर्ण रहा है। अफगानिस्तान में अस्थिरता बढ़ने पर जिहादी और कट्‌टरपंथी ग्रुप कश्मीर में सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे में भारत की रणनीति रही है कि अफगानिस्तान की उस राजनीतिक सत्ता से नजदीकी रखी जाए, जो वहां के कट्‌टरपंथी समूहों (Taliban In Afghanistan) को काबू में रख सके।

सोये को कोई जगाये पर जगे को कौन जगाये?

अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बार-बार बता रहा है कि तालिबान का कुंदूज पर कब्जा करना पाकिस्तान की सबसे बड़ी जीत है। अफगानिस्तान को मध्य एशिया से जोड़ने वाले रास्ते पर पड़ने वाला ये शहर ड्रग तस्करी के रूट पर पड़ता है। अफगानिस्तान से यूरोप जाने वाली अफीम और हेरोइन यहीं से होकर गुजरती है। इस शहर पर कब्जे का मतलब है कि तालिबान को कमाई का एक बड़ा ज़रिया मिल गया है।

कश्मीर में बन सकता है आतंक का नया कॉरिडोर:

अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी चिंता की बात है। अतीत में हमेशा देखा गया है कि अफगानिस्तान में अस्थिरता बढ़ने पर कश्मीर में जेहादी ग्रुप हावी हो जाते हैं। हालांकि तालिबान ने पिछले साल कहा था कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और तालिबान उसमें कोई दखल नहीं देगा।

Taliban On Indian Kashmir
Photo Source: Social Media

एक्सपर्ट कबीर तनरेजा कहते हैं, ‘अफगानिस्तान की समस्या ये है कि वहां तालिबान जैसे 20 से ज्यादा समूह हैं। यदि तालिबान ऐसे समूहों को पनपने देता है तो ये भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है। हो सकता है कि लश्कर-ए-तैयबा या जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को तालिबान सुरक्षित ठिकाना दे दे। ऐसे में अफगानिस्तान से पाकिस्तान होकर एक मिलिटेंट कॉरिडोर बन सकता है। जो भारत के लिए चिंता की बात होगी।

UP में अब तक 8 हजार से भी ज्यादा हुए एनकाउंटर, 146 अपराधियों का राम नाम सत्य, देखें पूरी लिस्ट यहां

जरांज हाइवे भारत ने बनवाया है:

ईरान सीमा के पास जरांज पर कब्जा करना भी तालिबान की एक बड़ी जीत है। ईरान और अफगानिस्तान के कारोबार का रूट यही है। ये शहर 217 किलोमीटर लंबे देलाराम- जरांज हाइवे पर है, जिसे भारत ने अफगानिस्तान में बनाया है। इस कब्जे से कारोबारी गतिविधियों पर तालिबान (Taliban In Afghanistan) का दखल हो जाएगा।

सलमा डैम:

अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में 42 मेगावॉट का हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट है, जो भारत के सहयोग से बनाया गया है। 2016 में इसका उद्घाटन हुआ था और इसे भारत-अफगान मैत्री प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाता है। फिलहाल तालिबान ने इसे अपने कब्जे मे ले लिया है और भारत के लिए ये सबसे बड़ी चिंता का कारण बना हुआ है।

India Afghanistan Salma Damm
Photo Source: Social Media

अफगान संसद:

अफगानिस्तान में भारत के सबसे प्रमुख प्रोजेक्ट में काबुल में अफगानिस्तान की संसद है। इसके निर्माण में भारत ने लगभग 675 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इसका उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2015 में किया था और भारत-अफगान मैत्री को ऐतिहासिक बताया था। इस संसद में एक ब्लॉक पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर भी है।

Afghanistan Parliament Made By India
Photo Source: Social Media

शराफत की कीमत चुकाना किसे कहते हैं जानने के लिए Bhuj: The Pride Of India जरुर देखें

अफगानिस्तान के मामलों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ कबीर तनरेजा कहते हैं, ‘तालिबान (Taliban In Afghanistan) के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद भारत का निवेश पूरी तरह डूब जाएगा, ऐसा नहीं है। तालिबान सत्ता में आ भी जाता है तब भी उसे जन सुविधाएं तो देनी ही होंगी। इसलिए इस बार तालिबान भारत के निवेश को नष्ट करने की वैसी कोशिश नहीं करेगा, जैसा कि उन्होंने बामयान के बुद्धा को नष्ट किया था, लेकिन तालिबान पर भारत का कोई नियंत्रण नहीं होगा। उदाहरण के तौर पर सलमा बांध जिन शर्तों पर भारत ने बनाया है, उन्हें तालिबान नहीं मानेगा। तालिबान अफगानिस्तान के इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपना नियंत्रण कर लेगा। वो इसे बर्बाद तो नहीं करेगा, लेकिन चलाएगा अपने हिसाब से ही, उसमें भारत का स्टेक नहीं रह जाएगा।’

close
Janta Connect

Subscribe Us To Get News Updates!

We’ll never send you spam or share your email address.
Find out more in our Privacy Policy.

और पढ़े

संबधित खबरें

Back to top button