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शास्त्री उनका नाम नहीं डिग्री है, पढ़िए Lal Bahadur Shastri से जुड़े ये दिलचस्प किस्से

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) की आज 56वीं पुण्यतिथि है। 11 जनवरी 1966 को उनका निधन हो गया था। उनके निधन को लेकर कई सवाल हैं जोकि आज तक कोई सुलझा नहीं सका है।

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) की आज 56वीं पुण्यतिथि है। 11 जनवरी 1966 को उनका निधन हो गया था। उनके निधन को लेकर कई सवाल हैं जोकि आज तक कोई सुलझा नहीं सका है। लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बनने से पहले देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले एक अहम व्यक्ति थे। शास्त्री जी को उनकी विनम्र, मृदुभाषी व्यवहार और आम लोगों से जुड़ने की क्षमता के लिए जाना जाता था। जिसका छाप भारतीय राजनीति पर भी देखने को मिलती है।

लाल बहादुर शास्त्री कांग्रेस से थे। पंडित जवाहर लाल नेहरु के निधन के बाद उन्हे देश का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया। प्रधानमंत्री के रुप में लाल बहादुर शास्त्री जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक कार्यरत रहें।

उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में जन्मे शास्त्री जी-

शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। जब वह केवल डेढ़ वर्ष के थे, तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। सर से पिता का साया हट जाने के बाद उनकी मां ने शास्त्री जी और उनके भाई-बहनों को पाला। शास्त्री जी बचपन से ही एक समझदार बालक के रुप में उभरने लगे थे। उन्हे बचपन में घर पर सभी ‘नन्हे’ कहकर बुलाया करते थे। गांव में पढ़ाई के बाद शास्त्री जी अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए वाराणसी चले गए।

16 वर्ष में मां भारती की आजादी के लिए त्यागा सबकुछ-

शास्त्री जी केवल 16 वर्ष के ही थी जब उन्होने महात्मा गांधी से काफी प्रेरित हुए। महात्मा गांधी के ही आह्वान पर ध्यान केंद्रित किया। जैसे ही महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की शास्त्री जी भी उस आंदोलन में शामिल हो गए। इसी के साथ शास्त्री जी वाराणसी के काशी विद्या पीठ में शामिल हुए। जहां से वह देश के कई राष्ट्रवादियों और बुद्धिजीवियों के प्रभाव में आए।

शास्त्री उनका नाम नहीं डिग्री है-

बता दें कि यह सिर्फ कुछ लोगों को ही पता है। पढ़ाई करते-करते लाल बहादुर ने शास्त्री की स्नातक डिग्री हासिल की। जिसके बाद लोगों ने उनके नाम के पिछे ही शास्त्री जोड़ दिया। आज भी वह हम सब के बीच लाल बहादुर शास्त्री के नाम से ही विख्यात हैं।

जीवन के सात साल जेल में रहे शास्त्री जी-

देश की आजादी में शास्त्री जी की अहम भूमिका रही। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में वो कई बार जेल गए। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वह कुल 7 साल तक जेल में ही रहें। जेल जाते रहे और जेल से बाहर आते रहे लेकिन मां भारती की आजादी का संघर्ष उन्होने कभी नहीं त्यागा।

आजादी के बाद मिली ये जिम्मेदारियां-

1946 में देश की आजादी के बाद शास्त्री जी को सबसे पहले उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके बाद 1951 में, शास्त्री जी नई दिल्ली चले गए। जहाँ शास्त्री जी रेल मंत्री, परिवहन और संचार मंत्री और वाणिज्य और उद्योग मंत्री सहित कैबिनेट में कई पदों पर कार्य किया।

इसलिए छोड़ दिया था रेल मंत्री का पद-

रेल मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, एक ट्रेन दुर्घटना में कई लोगों की जान चली गई। दुर्घटना के बाद शास्त्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, क्योंकि उन्होंने इसके लिए खुद को जिम्मेदार महसूस किया।

ऐसे बने शास्त्री जी भारत के प्रधानमंत्री-

1964 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद, शास्त्री जी को भारत का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया। उन्होंने देश की खाद्य और डेयरी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए हरित क्रांति और श्वेत क्रांति को बढ़ावा दिया।

1965 में पाकिस्तान को मुहतोड़ दिया जवाब-

शास्त्री जी के समय में 1965 में भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ। जिस दौरान देश में खाने की कमी हो गई। इस बीच देश के सैनिकों और किसानों का मनोबल बढ़ाने के लिए शास्त्री जी ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया। देश को संकट में देख शास्त्री जी ने प्रधानमंत्री के रुप में मिलने वाली आय को भी लेने से इंकार कर दिया था।

अचानक से शास्त्री जी कह गए अलविदा-

11 जनवरी, 1966 को ताशकंद, रुस में शास्त्री जी की मृत्यु हो गई। रुस के ताशकंद में शास्त्री जी पाकिस्तानी राष्ट्रपति एम अयूब खान के साथ युद्धविराम की घोषणा पर हस्ताक्षर करने और 1965 के युद्ध को समाप्त करने गए थे। शास्त्री जी के निधन की खबर सुनते ही पूरा देश शोक में डूब गया। पाकिस्तान पर भी कई लोगों का शक गया। लेकिन शास्त्री जी की मौत का कारण दिल का दौड़ा बताया गया।

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