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चित्रकुट में क्या है ऐसा खास कि दर्शन मात्र से धूल जाते हैं इंसान के पाप!

चित्रकुट (Chitrakoot) वर्तमान में उत्तर प्रदेश का एक जिला है। यह भारत के सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में से एक है। चित्रकूट शांत, सुंदर प्रकृति और ईश्वर की बनाई गई रचनाओं में से एक अद्भुत रचना है।

चित्रकुट (Chitrakoot) वर्तमान में उत्तर प्रदेश का एक जिला है। यह भारत के सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में से एक है। चित्रकूट शांत, सुंदर प्रकृति और ईश्वर की बनाई गई रचनाओं में से एक अद्भुत रचना है। चित्रकूट को प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक इसलिए माना जाता है क्योंकि भगवान राम ने पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपने 14 वर्ष के वनवास में से 11 वर्ष का वनवास चित्रकूट में ही बिताया था।

चित्रकुट में ब्राह्मा, विष्णु और महेश ने लिया था जन्म-

त्रितकुट यह वही स्थान है जहां पर ऋषि अत्रि और सती अनसूइया ने ध्यान लगाया था। चित्रकूट में ही सती अनसूइया के घर ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने जन्म लिया था। यह सब माता सती अनसूइया के तेज प्रताप से ही मुमकीन हो सका था। तीनों देवों ने यहां बाल रुप में जन्म लेकर बाल लीलाएं की थी। ऐसी पावन धरती पर भला कोई क्यों नहीं जाना चाहेगा।

Mata Anshuyia Mandir Chitrakoot
Photo Source: UP Government

भगवान राम और भाई भरत की यहीं हुई थी मुलाकात-

चित्रकूट (Chitrakoot) में वनवास के दौरान भगवान राम से उनके भाई भरत की मुलाकात हुई थी। ऐसी मान्यता है कि यह मुलाकात इतनी भावुकपुर थी कि वहां की जमीन तक पिघल गई थी। जिसके प्रमाण आज भी वहां जाने वाले लोग देख सकते हैं। इसके अलावां भी चित्रकूट में ऐसी कई जगह हैं जो इतिहास और आस्था से जुड़ी हुई हैं।

Chitrakoot में स्थित जानकी कुंड

चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के किनारे जानकी कुंड है। जनक पुत्री होने के कारण मां सीता को जानकी भी कहा जाता था। चित्रकुट में वनवास के दौरान जानकी कुंड में ही सीता मां स्नान करती थी। इसी के समीप ही राम जानकी रघुवीर मंदिर और संकट मोचन मंदिर स्थित है।

Janaki Kund Chitrakoot Uttar Pradesh
Photo Source: UP Government

Chitrakoot में स्थित स्फटिक शिला-

स्फटिक शिला मंदाकिनी नदी के किनारे ही है। ऐसा माना जाता है कि इस शिला पर मां सीता खड़ी थी जब जयंत ने काक रूप धारण कर उन्हें चोच मारी थी। इसी शिला पर बैठ भगवान राम और सीता चित्रकूट (Chitrakoot) की सुंदरता निहारते थें।

अनुसुइया-अत्रि आश्रम-

चित्रकुट में यह आश्रम धनी वनों से घिरा एकमात्र आश्रम है। इस आश्रम में अत्रि मुनि, अनुसुइया, दत्तात्रेय और दुर्वासा मुनि की प्रतिमा स्थित है।

Chitrakoot में मौजुद गुप्त गोदावरी-

चित्रकुट नगर से 18 किलोमीटर की दूरी पर गुप्त गोदावरी स्थित हैं। यहां पर दो गुफाएं हैं। गुफा के अंत में एक छोटा सा तालाब है। जिसे गोदावरी नदी कहा जाता है। साथ में इन गुफाओं में से एक गुफा से हमेशा पानी बहता रहता है। ऐसा कहा जाता है कि इसी गुफा के अंत में राम और लक्ष्मण ने दरबार लगाया था।

भगवान राम का रामघाट-

राम-भरत मिलाप मंदिर के पास ही रामघाट भी स्थित है। इसी घाट पर आपको गोस्वामी तुलसीदास जी की प्रतिमा भी मिलेगी। इस घाट पर अनेक तरह के धार्मिक क्रियाकलाप चलते रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम इसी घाट पर स्नान किया करते थे। इस घाट पर अक्सर साधु संत को भजन कीर्तन करते देखा जाता है। शाम के वक्त इस घाट पर अद्भुत आरती की जाती है, जो मन को सुकून पहुंचाती है।

Ram Ghat Chitrakoot Aarti Uttar Pradesh
Photo Source: UP Government

राम सेवक हनुमान धारा-

यहां हनुमान जी की एक विशाल मूर्ति पहाड़ी के शिखर पर है। मूर्ति के सामने ही तलाब के झरने से पानी गिरता रहता है। यह कहा जाता है कि यह धारा श्री राम ने लंका दहन से आए हनुमान के आराम के लिए बनाई थी। पहाड़ी के शिखर पर ही सीता रसोई है। इस पहाड़ी से चित्रकूट का सुंदर दृश्य भी देखने को मिलता है।

भरतकूप में एकत्रित सभी नदियों का जल-

ऐसा माना जाता है कि भगवान राम के राज्यअभिषेक के लिए भरत ने भारत की सभी नदियों का जल एकत्रि किया था। अपनी मां कौकेयी के व्यवहार से काफी दुखी होकर अयोध्यावासियों के साथ भरत चित्रकूट भगवान राम को मनाने आए थे। लेकिन अंत में उन्हें निराश होकर केवल भगवान राम की खड़ाऊं लेकर वापस अयोध्या लौटना पड़ा था। जिस वजह से अत्रि मुनि के परामर्श पर भरत ने एकत्रित जल को एक कूप में रख दिया था। अब इस कूप को भरतकूप के नाम से जाना जाता है।

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